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गया में धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए देना होगा शुल्क, पंडों ने किया विरोध, कहा - यह मुगलों के "जजिया कर" की तरह

गया में धार्मिक स्थलों के दर्शन के लिए देना होगा शुल्क, पंडों ने किया विरोध, कहा - यह मुगलों के "जजिया कर" की तरह

GAYA : देश से भले ही 150 साल पहले मुगलों का युग समाप्त हो गया है। लेकिन गया के नगर निगम ने एक बार फिर से मुगलों की वापसी करवा दी है। यह कहना के गया के पंडों का। उनका कहना है कि यहां के नगर निगम ने एक ऐसा फैसला लिया है, जो इससे पहले सिर्फ मुगलों के काल में देखा जाता था। वह फैसला है हिंदुओं के धार्मिक स्थानों पर दर्शन करने के लिए शुल्क अदा करना। मुगल कालीन में इसे जजिया कर कहा जाता था। अब गया नगर निगम ने भी यहां के धार्मिक स्थलों पर दर्शन के लिए शुल्क लगा दिया है। मतलब अब गया के प्रमुख  धार्मिक स्थलों में जाने के लिए भक्तों को शुल्क देना होगा।

अक्षयवट वेटी और सीता कुंड वेदी पर की गई व्यवस्था

नगर निगम ने जिन जगहों पर जाने के लिए शुल्क लगाने की व्यवस्था की है, वह जगह है अक्षयवट वेदी और सीताकुंड वेदी। यह वह जगह हैं जहां सबसे अधिक लोग पहुंचते  हैं। लेकिन अब यहां जाने के लिए नगर निगम द्वारा तय किए शुल्क को देने के बाद ही जाने की अनुमति मिलेगी।

पंडाओं ने किया विरोध, गयाजी की छवि धूमिल करने का आरोप

गया नगर निगम के शुल्क लगाने के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है। गया के पंडों और तीर्थ यात्रियों ने ननि के फैसले की तुलना मुगलों के जजिया कर से की है। उनका कहना है कि देश में कहीं भी ऐसा नहीं है किसी धार्मिक स्थान पर जाने के लिए शुल्क अदा करना पड़ता हो, लेकिन  गया नगर निगम इसे अपने आय का जरिया बनाना चाह रही है। पंडाओं और तीर्थयात्रियों ने मांग की है नगर निगम को तत्काल प्रभाव से अपना फैसला वापस लेना होगा।  गयावाल माखन बाबा ने कहा कि 70 सालों में आज तक इस तरह का कोई भी शुल्क किसी पदाधिकारी एवं नेताओं के द्वारा नही लगाया गया था। तो आज फिर नगर निगम इस तरह का शुल्क लेकर गयाजी की छवि को धूमिल कर रही है। एक तो कोरोना के कारण ऐसे भी तीर्थ यात्रियों का आना जाना कम है ऊपर से इस तरह का शुल्क लगाकर हिन्दू धर्म के आस्था को धूमिल किया जा रहा है।

कानून का दिया हवाला 

पंडों ने कहा देश का कानून भी इस बात का इजाजत नहीं देता है कि किसी भी धार्मिक स्थल पर आने जाने के लिए शुल्क लिया जाए। संविधान के आर्टिकल 26 में सभी धर्म के लोगों को अपने धार्मिक स्थलों पर जाने की छूट दी गई है। तीर्थ यात्री बिना शुल्क के हर तीर्थ स्थल पर जाते। तो फ़िर यहाँ किस बात की प्रवेश शुल्क लिया जा रहा है। जो कृत्य किया जा रहा है।वह किसी भी तरह से उचित नहीं है। 


REPORTED BY MANOJ KUMAR SINGH

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