PATNA : बिहार में शराबबंदी को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा समय-समय पर पुलिस को इसके रोकथाम के लिए आदेश देते आ रहे हैं। लेकिन पुलिस वाले उनकी आदेश की अवहेलना कर अपने स्टाइल में ही काम करती है। ताजा मामला दीदारगंज थाना क्षेत्र में सामने आया है। मामला है कि 7 अगस्त को कंकड़बाग रोड नंबर एक के रहने वाले फिरोज आलम ने 15 अगस्त की पार्टी के लिए जेठूली के अपने दोस्त प्रवीण कुमार से जेटली जाकर 20 बोतल शराब खरीदी। शराब खरीदकर जब वह चलें तो जेटली के मनीष कुमार ने थाना के प्रमोद कुमार को इसकी सूचना दी। प्रमोद कुमार ने चेक पोस्ट के आरक्षी लक्ष्मण कुमार को मोबाइल पर इसकी सूचना दी। चेक पोस्ट के आरक्षी लक्ष्मण कुमार ने अन्य आरक्षी विशाल कुमार सिंह के सहयोग से उस स्कूटी को पकड़ा तथा स्कूटी में रखे 20 बोतल शराब और चालक फिरोज आलम को चेक पोस्ट पर लाएं। उस समय चेक पोस्ट पर दो और आरक्षी विजय पासवान और आरक्षी राजकुमार मौजूद थे। उन चारों ने फिरोज आलम से बरामद सामान स्कूटी और उन्हें छोड़ने के एवज में 50 हज़ार रूपये मांगा। लेकिन बात 30 हज़ार में बनी। फिरोज आलम ने अपने दोस्त प्रवीण से इस संबंध में बात की और उन्हें ₹20000 लाने को कहा तथा ₹11000 अपने भाई को अपने मोबाइल पर भेजने को कहा। मोबाइल पर ₹11000 आने पर आरक्षी लक्ष्मण ने उसे चेक पोस्ट के बगल के दुकानदार विकास कुमार का गूगल नंबर दिया। पकड़ाए व्यक्ति फिरोज आलम ने ₹10000 विकास के नंबर पर भेज दिया। उसके बाद लक्ष्मण उस दुकान पर गया और उससे यह रकम अपने घर के अकाउंट पर ट्रांसफर करवा लिया। उसके बाद प्रवीण ₹10000 की व्यवस्था कर पुनःप्रमोद से संपर्क किया। जिसकी सूचना पर फिरोज आलम की गिरफ्तारी हुई थी। प्रवीन उर्फ झुनझुना ने प्रमोद को ₹10000 दिया और फिरोज को छुड़ाने के लिए कहा की प्रमोद ने पुनः आरक्षी लक्ष्मण से संपर्क किया और चेक पोस्ट के बाहर ₹10000 भुगतान कर दिया। उसके बाद चुकी पूरी रकम नहीं मिली थी। इसलिए सिर्फ फिरोज आलम को ही छोड़ा गया। फिरोज आलम को छोड़ने के बाद थाना पर शराब के साथ स्कूटी बरामदगी की सूचना दी गई। जिसे सूचना गस्ती पदाधिकारी पुलिस अवर निरीक्षक रवि रंजन कुमार ने वहां जाकर विधि सम्मत कार्रवाई की और दीदारगंज थाना कांड संख्या 206 /22 दिनांक 7 तारीख को बिहार मध्य निषेध एवं उत्पाद अधिनियम दर्ज किया गया। कांड के अनुसंधानकर्ता जब वहां पहुंचे तो यह खबर मिली कि चेक पोस्ट के जवानों द्वारा दारू ले जाने वाले व्यक्ति को पकड़ कर छोड़ दिया गया है।
उन्होंने थाना आकर इस आशय की सूचना दर्ज की चेक पोस्ट के जवानों से जब इस संबंध में पूछा गया तो उन लोगों ने इससे इनकार कर दिया। जब शाम के समय फिरोज आलम और प्रवीण कुमार अपनी स्कूटी का हेलमेट लेने पुनः चेक पोस्ट पहुंचे। तब पांचवे आरक्षी अमरेंद्र कुमार अमर को भी आरक्षी विजय पासवान द्वारा बुलवा लिया गया था। बाद में फिर इन सभी आरक्षियों में पैसे को लेकर विवाद होना शुरू हो गया। जिसके बाद यह बात सामने आई। हालांकि जब इस मामले की जांच की गई तो फिरोज आलम को पूछताछ हेतु थाना में बैठाया गया और पूछताछ के क्रम में फिरोज आलम ने सारी बातें बताएं कि किस प्रकार आरक्षी लक्ष्मण कुमार और विशाल कुमार सिंह ने इन से पैसे लिए और उसके बाद इन्हें छोड़ दिया।
फिरोज ने यह भी आरोप लगाया की इस दौरान उन्हें पीटा भी गया था। हालांकि पांचो आरक्षियों से इस बाबत पूछताछ की गई तो यह प्रमाणित हुआ कि शराब लाने वाला वास्तविक व्यक्ति फिरोज आलम ही था। जिसे इन पांचो आरक्षियों ने पकड़ कर पैसे लेकर छोड़ दिया था और पुनः दबाव पड़ने पर और लिए गए पैसे के हिसाब से बेईमानी होने पर पकड़ कर मारपीट की और थाना को सौंप दिया। आरक्षी लक्ष्मण के पास से प्रमोद कुमार द्वारा दिए गए ₹10000 भी बरामद कर लिया गया। इस मामले में गिरफ्तार पांचो आरक्षियों के नाम इस प्रकार हैं ,अमरेंद्र कुमार अमर विजय पासवान ,राजकुमार लक्ष्मण कुमार और विशाल कुमार और इनके दलाल एवं गूगल पर पैसा हस्तांतरित करने बालो पर दीदारगंज थाना कांड संख्या 206/22 दर्ज कर इन्हें गिरफ्तार किया गया है। हालाँकि बरामद सामानों में एक स्कूटी,20बोतल अंग्रेजी शराब,आरक्षी लक्ष्मण कुमार के शर्ट से 10000 रुपये बरामद,मोबाइल बरामद जिससे इनोलोगों को पैसा हस्तातंत्रित किया गया था।
बताते चले कि इससे पहले भी दीदारगंज थाना की पुलिस पर दाग लगते रहे है ।जब 23 अगस्त 2018 को मालसालामी थाना और दीदारगंज थाना के ऊपर ट्रैक्टर चालको से बसूली मामले ने दोनों थानों की पूरी पुलिस को उस समय रहे एसएसपी मनु महाराज के द्वारा निलंबित कर दिया गया था। हद तो तब हो गयी जब 18 जून 2021 को बालू गिट्टी लदे ट्रकों से अबैध बसूली में थाने के सिपाही बिबेक कुमार औऱ थानाध्यक्ष राजेश कुमार को निगरानी विभाग की टीम ने पैसा लेते रंगे हाथ पकड़ लिया था। हालाँकि निगरानी विभाग ने थानेदार राजेश कुमार को थाना से ही पकड़ लिया था। एक तरह से कहा जाए तो राजधानी पटना के दीदारगंज थाना घूसखोरी को लेकर बदनाम हो चली है।
पटनासिटी से रजनीश की रिपोर्ट