KATIHAR: बिहार में कटिहार सहित 26 जिले इस वक्त बाढ़ प्रभावित हैं। गंगा, कोसी और महानंदा से घिरे कटिहार के ज्यादातर निचले इलाकों में कमर तक पानी भर चुका है। लाखों की आबादी इस वक्त घर-बार छोड़कर पलायन को मजबूर हैं। हालांकि पलायन करने वालों में समस्या उन लोगों को है, जिनके पास बड़ी संख्या में मवेशी है।
दियारा के पशुपालक हैं चिंतित
बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में मवेशियों के चारा उपलब्ध करवाने के दावे के बीच, कटिहार के मनिहारी अनुमंडल स्थित गंगा-दियारा में बड़ी संख्या में मवेशी पालक कई दिनों से बाढ़ के पानी में बंधक जैसे हालात में बने हुए हैं। बड़ी बात यह है इनके साथ साथ दियारा में रहने वाले मवेशी पालक भी मवेशियों के लिए चारा उपलब्ध नहीं होने से काफी परेशान हैं। मनिहारी गंगा दियारा में हालात चारा बिन बेचारा जैसे बन गए हैं। बाढ़ के पानी बीच ही मवेशी परेशान होकर यहां-वहां भटक रहे हैं, जिससे पशुपालकों की चिंता बढ़ गई है।
क्या कहते हैं मवेशी पालक
मवेशी पालक भिखारी यादव और बद्री मंडल बताते हैं कि बाढ़ ने पहले से ही हमारी कमर तोड़ दी है। अब मवेशियों का चारा उपलब्ध नहीं होने से समस्या दोगुनी बढ़ गई है। 20 दिनों से ज्यादा का वक्त बीत चुका है, मगर प्रशासन की तरफ से कोई व्यवस्था नहीं की गई। दूसरा कोई उपाय नहीं मिलने की स्थिति में सभी परेशान हैं कि बड़ी संख्या में मवेशी लेकर कैसे दूसरे स्थानों पर जाएं?
रेलवे ट्रैक की निगरानी जारी
जिले के कई इलाकों के रेलवे ट्रैक पर निगरानी रखने के लिए रेलवे हर साल मॉनसून पेट्रोलिंग करता रहा है। बाढ़ और बारिश के दौरान ट्रैक को कोई नुकसान ना पहुंचे, इसका ध्यान रखा जा रहा है। इस बार भी गंगा और कोसी के इलाके में बाढ़ से तबाही मचा रखी है। इसी को लेकर एक बार फिर कटिहार रेल मंडल के अधिकारी मॉनसून पेट्रोलिंग के सहारे ही रेलवे ट्रैक ऊपर नजर रखने की बात कह रहे हैं।
क्या कहते हैं रेल मंडल के डीआरएम
कटिहार रेल मंडल के डीआरएम कर्नल शुभेन्दु चौधरी ने बताया कि फिलहाल कहीं पर कोई बड़ा खतरा नहीं है, लेकिन रेल मंडल जिला बाढ़ नियंत्रण के संपर्क में रहने के साथ-साथ मॉनसून पेट्रोलिंग के सहारे बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र या नदी के जद वाले इलाके से जुड़े रेलवे ट्रैक पर लगातार मॉनसून पेट्रोलिंग चला कर हालात पर विशेष नजर बनाएंगे हुए हैं।