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अपराधियों के लिए उनकी उंगलियां और हथेली ही बन जाएगी काल, सरकार ने बना ली है बड़ी योजना

अपराधियों के लिए उनकी उंगलियां और हथेली ही बन जाएगी काल, सरकार ने बना ली है बड़ी योजना

PATNA : किसी भी घटना के बाद अपराधियों तक पहुंच  पाना पुलिस के लिए बड़ा सिरदर्द होता है, क्योंकि कोई बड़ा सबूत पास नहीं होता है। लेकिन अब अपराधियों का बचना मुश्किल होने जा रहा है।  अपराधियों के लिए उनकी उंगलियां और हथेली ही काल बननेवाली हैं। 

बनाई गई है बड़ी योजना

दरअसल, अपराधियों की पहचान करने के लिए नई योजना बनाई गई है, जिसे नेशनल ऑटोमेटेड फिंगर प्रिंट आइडेंटिफिकेशन सिस्टम (एनएएफआईएस) परियोजना नाम दिया गया है। इस परियोजना के तहत रेल जिला सहित सभी जिलों में वर्क स्टेशन बनाने का काम जारी है। इस योजना के तहत अभियुक्तों की उंगलियों के साथ उनकी हथेलियों के निशान का भी डाटा बेस बनेगा। जिससे अपराध में शामिल होनेवाले अपराधियों की पहचान आसानी से हो जाएगी।

नेशनल डाटा बैंक से जुड़ा होगा

एनएएफआईएस परियोजना के तहत अभियुक्तों के उंगलियों और दोनों हथेलियों का डिजिटल फॉर्म में निशान लेना है। जैसे ही यह काम वर्क स्टेशन पर किया जाएगा, यह अपराध एवं अपराधी ट्रैकिंग नेटवर्क (सीसीटीएनएस) से जुड़ा होगा और तुरंत राज्य के फिंगर प्रिंट ब्यूरो के डाटा बेस में चला जाएगा। साथ ही नेशनल डाटा बैंक में भी फिड हो जाएगा। यह एक महत्वकांक्षी योजना है। जहां कहीं अपराध होता है और वहां फिंगर प्रिंट मिलता है तो उसका मिलान पहले स्टेट फिंगर प्रिंट ब्यूरो के रिकॉर्ड से किया जाएगा। इसके नहीं मिलने पर नेशनल डाटा बैंक के रिकॉर्ड से मिलान होगा।

छह वर्क स्टेशन हो चुके हैं तैयार

पुलिस मुख्यालय के मुताबिक एनएएफआईएस परियोजना के तहत 6 वर्क स्टेशन बनाने का काम पूरा कर लिया गया है। वर्क स्टेशन में हथेलियों के निशान लेने को फ्लैटवेडस्कैनर के साथ ही उंगलियों के निशान लेने के लिए भी छोटे स्कैनर लगाए जाने हैं। इसका काम प्रगति पर है और जल्द ही पहले चरण का काम पूरा कर लिया जाएगा। दूसरे चरण में यह व्यवस्था थाना स्तर पर की जाएगी। पुलिस मुख्यालय के मुताबिक वर्क स्टेशन पर काम सुचारू रूप से हो सके इसके लिए विभिन्न जिलों के 27 सब-इंस्पेक्टर को प्रशिक्षण दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

सर्वोच्च न्यायालय द्वारा वर्ष 2017 में पारित आदेश के आलोक में पुलिस अफसरों को फोटो व वीडियोग्राफी के साथ गवाहों की रिकार्डिंग के लिए भी ट्रेंड किया जा रहा है। पुलिस के फोटो ब्यूरो द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक हर थाने के दो अफसरों को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है। अबतक 729 अनुसंधानकर्ता पुलिस पदाधिकारियों को इसका प्रशिक्षण दिया गया है। आनेवाले दिनों में भी यह प्रशिक्षण जारी रहेगा। गंभीर कांडों के अनुसंधान में मदद के लिए 9 रेंज में क्षेत्रीय फोटो इकाई की स्थापना की जा रही है।


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