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पीले बालू के काले खेल में कब तक बर्बाद होगा बिहार, चाहे पुलिस हो या आरोपी सबके हंसते-खेलते परिवारों का एक सा दर्द, ख़ास रिपोर्ट

पीले बालू के काले खेल में कब तक बर्बाद होगा बिहार, चाहे पुलिस हो या आरोपी सबके हंसते-खेलते परिवारों का एक सा दर्द, ख़ास रिपोर्ट

JAMUI : बिहार में अवैध बालू खनन आम लोगों के लिए नासूर बन रहा है। एक ओर बड़ी संख्या में बालू माफिया पैदा हो रहे हैं तो दूसरी ओर कई लोग जल्द पैसा कमाने के चक्कर में बालू के काले कारोबार में लिप्त हैं। वहीं पुलिस के लिए भी अवैध बालू खनन को रोकना एक बड़ी चुनौती बन रही है। बिहार के कई जिलों में अवैध बालू खनन के विरुद्ध कार्रवाई में कभी पुलिस वालों की मौत होती है तो कभी पुलिस वाले शहीद हो जाते हैं। अवैध खनन के आरोप से घिरे लोग या तो मारे जाते हैं या कानूनी शिकंजे में फंस जाते हैं। 

पिछले दिनों जमुई में ऐसी ही एक वारदात में एक दारोगा शहीद हो गए। 14 नवंबर की सुबह जमुई के पुलिस महकमे में खलबली मच गई। जब पता चला की एक बालू माफिया द्वारा जमुई के गरही थाना के एसआई प्रभात रंजन की ट्रैक्टर से कुचल कर हत्या कर दी गई। लगभग एक हफ्ते बाद भी मुख्य आरोपी कृष्णा रविदास पुलिस के गिरफ्त से बाहर है। अगर शहीद प्रभात रंजन की बात करें तो उनके बारे में उनके साथी बताते हैं कि वे काफी ऊर्जावान और साहसी अफ़सर थे। गरही थाने में ज्वॉइन करने के बाद ही इनकी लगातार कार्रवाई के बाद बालू माफियाओं में हड़कंप था और इसी कारण वह इस घटना का शिकार हो गए। जिला पुलिस के एक अधिकारी ने अपना नाम नही बताने के शर्त पर बताया की प्रभात रंजन के उस इलाके में तैनाती के बाद जहां अवैध बालू खनन में भारी कमी आईं। वही बॉर्डर से सटे नवादा जिले के बालू माफिया सक्रिय हो गए। ये ही नही अवैध बालू से संबंधित FIR में भी भारी बढ़ोतरी हो गई। एक सूत्र के हवाले से यह भी खबर मिल रही है की अवैध बालू के रेट में भी इजाफा हो गया। जहां पहले एक ट्रैक्टर बालू के एक हजार रुपए लगते थे। वही अब दो से तीन हजार में भी बालू मिलना मुश्किल हो गया है। सूत्रों की माने तो उस दिन ट्रैक्टर का पीछा करते हुए शहीद प्रभात रंजन जमुई जिला के सीमा रेखा से बाहर निकल गए थे। जिस इलाके में इनकी हत्या हुई थी। उस इलाके में अवैध बालू का कारोबार बहुत जोरो से फल फूल रहा था। साथ ही इससे इतर जिस गांव में समीप इनकी हत्या हुई। वह घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र भी रह चुका है। जहां कई साल पहले 10 पुलिस वालो की हत्या भी कर दी गई थी। सूत्रों की माने तो इस काले कारोबार को रोकने के मकसद से ही प्रभात रंजन का तबादला गरही थाना क्षेत्र में की गई थी, जिसमें जमुई पुलिस को बहुत हद तक सफलता मिली भी थी। 

हालांकि बालू माफियाओं के हौसले इतने बुलंद थे कि इतनी कड़ी निगरानी के बावजूद अवैध बालू का उठाव जारी था। अब बड़ा सवाल यह है की आखिर इसका जिम्मेदार कौन है?  एक तरफ शहीद प्रभात रंजन का रोता बिलखता परिवार और दूसरी तरफ कृष्णा रविदास की पत्नी जो एक दूधमुहे बच्चे के साथ आज जेल में बंद है। एक तरफ एक पत्नी जो अपने पति कृष्णा रविदास से गुहार लगा रही है की जल्द वापस आकर आत्मसमर्पण कर दो। वहीं दूसरी तरफ एक पत्नी जो आज भी टकटकी लगाए बैठी है अब कौन उनके परिवार का भरण पोषण करेगा और कब उनके पति को इंसाफ मिलेगा। इस बीच, सोशल मीडिया पर जमुई पुलिस को कटघरे में खड़ा कर दिया गया है। लोग पूछ रहे है की आखिर उस दूधमुंहे बच्चे का क्या कसूर था। कृष्णा रविदास जिसके बालू माफिया होने का आरोप है, वह एक ट्रैक्टर, दो बोलेरो, एक बुलेट और एक बाइक का मालिक है। लेकिन बालू के काले खेल में आज पूरा परिवार परेशान हो गया है। 

वहीं दूसरी ओर एसआई प्रभात रंजन को मुखाग्नि देता एक छह माह का बच्चा चिल्ला चिल्ला कर कह रहा है आखिर मेरा क्या कसूर था। अब रही बात कौन सही कौन गलत इसका आकलन भी आप ही कर ले। शहीद प्रभात रंजन जिसके कंधे पर जिम्मेदारियों का बोझ, बीमार पत्नी, बीमार मां, बीमार भाई और पता नही क्या क्या। ऐसे में फैसला आपको करना है की आखिर आज दो परिवार ऐसे मुहाने पर क्यों खड़ा है जिसमे एक परिवार का सब कुछ लूट चुका है। जबकि एक परिवार का सब कुछ दांव पर है। इसका जिम्मेदार कौन है?

साथ ही ऐसी क्या परिस्थिति आन पड़ी की एक इंसान जो कई गाड़ियों का मालिक है। जिसका हंसता खेलता परिवार है। उसके बावजूद उसे एक पुलिस वाले की जान लेनी पड़ी। बालू के इस काले धंधे में आखिर और कितनी जानें जाएंगी। इस पर टिप्पणी करना मुश्किल है। लेकिन आज समाज चीख चीख कर पूछ रहा है। आखिर कब तक ऐसे ही मौतों का खेल चलता रहेगा और सरकार मूकदर्शक बनी रहेगी। इतना ही नहीं अवैध बालू खनन के कारण जमुई जिले में कई ऐसे गड्ढे बन गए है। जहाँ पानी जमा होने से पिछले एक साल में कई लोगों की डूबने से मौत हो गई है। यानी पीले बालू का यह काला खेल आम लोगों की जान का दुश्मन बन गया है। 

जमुई से सुमित सिंह की रिपोर्ट 

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