पहली बार चांद के दक्षिणी पोल पहुंचे प्रज्ञान रोवर के पहियों में लगा है भारत का यह खास प्रतीक चिह्न, चलने के साथ चांद की सतह पर छोड़ेगा यह निशान

पहली बार चांद के दक्षिणी पोल पहुंचे प्रज्ञान रोवर के पहियों में लगा है भारत का यह खास प्रतीक चिह्न, चलने के साथ चांद की सतह पर छोड़ेगा यह निशान

DESK : चांद की दक्षिणी पोल पर पहुंचे चंदयान को उतारकर भारत ने दुनिया में अपनी एक नई पहचान बना ली है। चंद्रयान के प्रज्ञान रोवर ने अपना काम भी शुरू कर दिया है। हालांकि, विक्रम लैंडर के चांद की सतह पर उतरने के बाद रोवर प्रज्ञान को बाहर निकालने में थोड़ा समय लगा। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि जब तक विक्रम लैंडर के टचडाउन से उड़ी धूल शांत नहीं हो जाती, तब तक रोवर को लॉन्च नहीं किया जा सकता था। धूल शांत होने से पहले रोवर को बाहर निकाला गया।

पहियों में अशोक स्तंभ की छाप

चंद्रयान की सफलता ने जहां भारत को अंतरिक्ष की दुनिया में एक नई पहचान दी है। जो कभी नहीं मिटने वाली है। ऐसा ही एक खास निशान प्रज्ञान  रोवर ने चांद की सतह पर भी छोड़ना शुरू कर दिया है। इसरो के मुताबिक, 26 किलो का रोवर प्रज्ञान का वजन यह एक रोबोट वाहन है जो छह पहियों पर चंद्र सतह पर खोज करेगा। यह एक सेंटीमीटर प्रति सेकंड की गति से चंद्र सतह पर यात्रा करेगा। इसके पहियों में अशोक स्तंभ की छाप है। जैसे-जैसे रोवर चांद की सतह पर चलेगा, वैसे-वैसे अशोक स्तंभ की छाप छपती चली जाएगी।

चंद्रमा की सतह पर 14 दिवसीय कार्य शुरू करेगा रोवर

चंद्रयान-3 की चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग के बाद अब रोवर मॉड्यूल इसरो के वैज्ञानिकों द्वारा दिए गए 14 दिवसीय कार्य शुरू करेगा। उसके विभिन्न कार्यों में चंद्रमा की सतह के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए वहां प्रयोग करना भी शामिल है। ‘

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अनुसार, लैंडर और रोवर में पांच वैज्ञानिक उपक्रम (पेलोड) हैं जिन्हें लैंडर मॉड्यूल के भीतर रखा गया है।  प्रज्ञान रोवर का सरफेस थर्मो फिजिकल एक्सपेरिमेंट (ChaSTE) ध्रुवीय क्षेत्र के पास चंद्र सतह के तापीय गुणों का मापन करेगा। चंद्र भूकंपीय गतिविधि उपकरण (आईएलएसए) लैंडिंग स्थल के आसपास भूकंपीयता को मापेगा और मून क्रस्ट और मेंटेल की संरचना का चित्रण करेगा। लैंडर पेलोड, रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून-बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फीयर एंड एटमॉस्फियर (RAMBHA), निकट सतह के प्लाज्मा घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तनों को मापेगा। 

इसरो ने कहा कि चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक प्रयोग करने के लिए रोवर की तैनाती चंद्र अभियानों में नयी ऊंचाइयां हासिल करेगी। लैंडर और रोवर दोनों का जीवन काल एक-एक चंद्र दिवस है जो पृथ्वी के 14 दिन के समान है। चंद्रयान-3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास अपना रोवर को तैनात करेगा, जो चंद्रमा की मिट्टी और चट्टानों की संरचना के बारे में अधिक जानकारी देगा। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर बर्फ और खनिजों का भंडार होने की उम्मीद है। 


Find Us on Facebook

Trending News