Desk. नरेंद्र गिरि की मौत के बाद अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष पद के लिए अखाड़ों में घमासान शुरू हो गया है. अध्यक्ष के लिए अखाड़ों अपनी-अपनी दावेदारी पेश कर रही है. इस बीच वैष्णव अखाड़ा के महंत चेतावनी देते हुए कहा कि अध्यक्ष पद उन्हें नहीं मिला, तो वे अखाड़ा परिषद से अलग हो जाएंगे. वहीं जूना अखाड़ा का तर्क है कि उन्हें अब तक कभी अध्यक्ष पद नहीं मिला है, इसलिए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष पद उन्हें मिलना चाहिए.
जूना अखाड़ा का तर्क
जूना अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि का तर्क है कि जब से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का गठन हुआ है, तब से उनके अखाड़े के महात्माओं को कभी अध्यक्ष पद नहीं दिया गया. उन्होंने कहा कि हमारे महात्माओं को हमेशा महामंत्री व दूसरा पद दिया गया. संख्या बल के लिहाज से सबसे बड़ा अखाड़ा होने के कारण अब जूना अखाड़े के महात्मा को अध्यक्ष बनाना चाहिए. जूना अखाड़ा के संरक्षक महंत हरि गिरि का कहना है कि अखाड़ों से इस बारे में बात की जाएगी. सर्वसम्मति से अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना जाएगा.
वैष्णव अखाड़ा की चेतावनी
अध्यक्ष पद नहीं मिलने पर वैष्णव अखाड़ों ने अपने आप को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद से अलग करने की धमकी दे डाली है. श्रीनिर्वाणी अखाड़ा के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास जी ने कहा कि हमारे 3 अखाड़ों में से किसी एक को अध्यक्ष बनाया जाए. वैष्णव अखाड़ों में श्रीनिर्मोही अनी, श्रीनिर्वाणी अनी और श्रीदिगंबर अनी अखाड़ा शामिल हैं.