G-20: बाइडन को बताया प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय भग्नावशेष का महत्व, भारत मंडपम में दिखा बिहार का जलवा

दिल्ली- भारत को विश्व का गुरु माना जाता है. इसका साक्षी था नालंदा विश्वविद्यालय. इस विश्वविद्यालय का गौरवमय इतिहास आज भी नालंदा विशवविद्याल के खंडहरों के एक एक ईट पर लिखा हुआ है. इसकी झलक जी 20 सम्मेलन में भी देखने को तब मिली जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को जी-20 के लिए भारत मंडपम में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के साथ डिनर के लिए आए मेहमानों का स्वागत   किया. शनिवार की रात भारत मंडपम में आयोजित किया जाने वाला डिनर के समय  पीएम  अलग-अलग राष्ट्राध्यक्षों से गर्मजोशी से मिले और वहां प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को भग्नावशेष  के गौरवमय इतिहास से मेहमानों को परिचित कराया. ये वहीं विश्विद्यालय है जहां पढ़ने की ख्वाइश खास से लेकर आम लोगों को होती थी. इस विश्वविद्यालय के शिक्षक अर्थशास्त्र के जनक  कौटिल्य हुआ करते थे.  भारत मंडपम में लगे नालंदा के एतिहासिक विश्वविद्यालय की छवि और उसके इतिहास को जानकर  विश्व के महारथियों ने दांतो तले उंगली दबा ली.

वहीं सबसे पहले प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय भग्नावशेष के मुख्य द्वार पर जीविकाकर्मी, सीडीपीओ कार्यालय के कर्मी और शिक्षा विभाग के कर्मी के द्वारा तिलक लगाने के बाद माला पहना कर मेहमानों का स्वागत किया गया.

बता दें भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत प्राचीन नालंदा विशष्वविद्यालय के भग्नावशेष को विदेशी मेहमानों को परिचित कराया गया.सभी देशों के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री या उप प्रधानमंत्री, सभी एक रेड कारपेट पर और एक जैसी दूरी तय कर प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को भग्नावशेष  क पहुंचे  पीएम मोदी ने सभी मेहमानों का एक जैसे तरीके से अभिवादन किया . पीएम मोदी के इस स्वागत भाव से उम्मीद है कि आने वाले समय में 'सतत विकास लक्ष्यों' में तेजी आएगी. दुनिया में भारत की छवि के साथ बिहार की तस्वीर भी निखरेगी. निवार की रात भारत मंडपम में आयोजित किया जाने वाला डिनर के समय विश्व की महाशक्तियों ने  अमेरिका, चीन, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री दक्षिण अफ्रीका, तुर्किए, बांग्लादेश, मॉरीशस, अर्जेंटीना और कोमोरोस के प्रतिनिधियों ने जब प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय को भग्नावशेष  को देखा तो बिहार की विश्व को ऐतिहासिक देन के गौरवमय इतिहास से परिचित हुए.

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