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गया के मुस्लिम भाई-बहन ने पेश की 'सर्वधर्म सम्भाव' की मिसाल, बौद्ध धर्म से प्रेरित होकर लिखा “बुद्ध हो जाना”

गया के मुस्लिम भाई-बहन ने पेश की 'सर्वधर्म सम्भाव' की मिसाल, बौद्ध धर्म से प्रेरित होकर लिखा “बुद्ध हो जाना”

GAYA : यूं ही भारत को सर्वधर्म सम्भाव वाला देश नहीं कहा जाता है. सदियों से भारत गंगा जमुनी तहजीब की मिसाल पेश करता आ रहा है. यहां सभी धर्मों का सम्मान किया जाता रहा है. ऐसा ही उदाहरण बिहार के गया में मुस्लिम समुदाय से आने वाले भाई बहन की जोड़ी ने कर दिखाया है.


भगवान बुद्ध के विचारों का जिक्र बिहार सरकार के पर्यटन विभाग की एक किताब में किया है. 27 जनवरी को बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव के द्वारा गया के बोधगया में बौद्ध महोत्सव के उत्सव पर तथागत किताब का विमोचन किया गया था. बिहार सरकार के पर्यटन विभाग की ओर से लगभग 3 वर्ष के अंतराल पर अंतरराष्ट्रीय बौद्ध महोत्सव बोधगया में आयोजित हुई थी. इस बौद्ध महोत्सव में तथागत पुस्तक का विमोचन डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के साथ बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी, कृषि मंत्री कुमार सर्वजीत, सहकारिता मंत्री डॉ सुरेंद्र प्रसाद यादव, आईटी मंत्री सह गया जिला प्रभारी मंत्री मोहम्मद इसराइल मंसूरी के हाथों तथागत किताब विमोचन की गई थी. तथागत किताब में भगवान बुद्ध से जुड़े उनके विचारों का जिक्र किया हुआ है. कई साहित्यकार, पत्रकार और लेखकों के द्वारा कई आर्टिकल लिखे गये हैं. लेकिन इस पूरी किताब में चर्चा का विषय है मुस्लिम समुदाय से आने वाले भाई-बहन की जोड़ी द्वारा लिखा गया आर्टिकल “बुद्ध हो जाना”.भगवान बुद्ध के प्रति मुस्लिम समुदाय से आने वाले इन भाई बहन की जोड़ी को इतना लगाव कैसे आया की इन्होने बुद्ध हो जाना लिखा.

 मो०दानिश मसरूर व उनकी बहन डॉ० जकिया मसरूर बताते हैं कि कर्म में सत्य से शुद्ध हो जाना ही बुद्ध हो जाना है. अभ्यास में प्रयास से शुद्ध हो जाना ही बुद्ध हो जाना है. प्रेम में अनुराग से शुद्ध हो जाना ही बुद्ध हो जाना है. त्याग में मोह से शुद्ध हो जाना ही बुद्ध हो जाना है. मानव का देवत्व से शुद्ध हो जाना ही बुद्ध हो जाना है. 

उन्होंने कहा की महात्मा बुद्ध ने जन्म के आधार पर मनुष्य- मनुष्य में भेद न करते हुए जनमानस के लिए समान प्रारम्भिक शिक्षा की व्यवस्था का समर्थन करते हुए स्त्री की शिक्षा की बात भी कही है. पूरी तरह से ज्ञान की प्राप्ति ही बुद्ध हो जाना है.

मोहम्मद दानिश मसरूर बताते है की बुद्ध कहकर पुकारती थी मां. वहीँ जकिया बताती है की जब हम छोटे थे तो हमारी मां, भाई को बुद्ध कहकर पुकारती थी. गौतम बुद्ध के बारे में जानने की उत्सुकता बढ़ी. हम लोगों ने बुद्ध के बारे मे पढ़ा, जाना और समझ आया कि महात्मा बुद्ध के जो उपदेश हैं, वो हमें सही रास्ते पर चलने के लिए बताते हैं. अगर इस उपदेश को कोई भी धर्म के लोग पालन करें, तो वह सही रास्ते पर चल सकेगा. इन्होने बताया कि सभी धर्मों के लोग को इनके उपदेश पढ़ने चाहिए.

गया से मनोज कुमार की रिपोर्ट 

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