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CAG रिपोर्ट से 'सुशासन' बेनकाब! लोहिया पथ चक्र में गलत फैसले से खजाने पर 18.42 करोड़ का एक्स्ट्रा भार

CAG रिपोर्ट से 'सुशासन' बेनकाब! लोहिया पथ चक्र में गलत फैसले से खजाने पर 18.42 करोड़ का एक्स्ट्रा भार

PATNA: बिहार विधानसभा में गुरूवार को नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक की रिपोर्ट को सदन के पटल पर रखा गया। 31 मार्च 2019 को समाप्त हुए वर्ष के लिए सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों की CAG रिपोर्ट में गंभीर वित्तीय गड़बड़ी की पोल खुली है। बिहार राज्य पुल निर्माण निगम लिमिटेड ने कई स्तर पर गड़बड़ी की जिससे सरकार को भारी नुकसान हुआ है।

पुल निर्माण निगम द्वारा पटना में बनाए जा रहे फ्लाईओवर का विश्लेषण किया गया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि कंपनी द्वारा नियमावली के प्रावधानों का उल्लंघन करते हुए न केवल निविदा का आमंत्रण तथा फ्लाईओवर के कार्यों की शुरुआत की गई बल्कि तकनीकी स्वीकृति से पहले ही संवेदक को 66.25 करोड़ का भुगतान किया गया। कंपनी द्वारा बिहार वित्त नियमावली के प्रावधान का उल्लंघन कर अनुबंध किए बिना मेसर्ष फाउंडेशन फ़ॉर इन्नोवेशन एंड टेक्नोलॉजी ट्रांसफर आईआईटी दिल्ली को 4.08 करोड़ का भुगतान किया। कंपनी ने बिहार वित्त नियमावली के प्रावधानों का उल्लंघन कर एकल स्रोत से चयन हेतु पूर्ण औचित्य दर्ज किए बिना, जो कि नियमावली के अंतर्गत आवश्यक था। नामांकन के आधार पर मेसर्स प्लानिंग इनोवेशन एवं कंसलटेंसी सर्विसेज को नियुक्त किया।

लोहिया पथ चक्र में भी की गई भारी गड़बड़ी

CAG रिपोर्ट में लोहिया पथ चक्र परियोजना में भी भारी गड़बड़ी का खुलासा किया है। रिपोर्ट में बताया गया है कि लोहिया पथ चक्र परियोजना के लिए कंपनी द्वारा 16.90 करोड़ डिजाइन के लिए 6.04 करोड़ और पर्यवेक्षण सलाहकार कर लिये 10.86 करोड़ परियोजना निधि पर गलत तरीके से भारित (दिसंबर 2019) किया गया। उस पर 1.52 करोड़ सेंटेंस के रूप में दर्ज किया गया. जिसके फलस्वरूप राजकोष पर 18.42 करोड़ का भार पड़ा।

बिहार राज्य रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड द्वारा अस्वीकार्य मधु पर सेंटेंस प्रभारित करने के फलस्वरूप न केवल 23.97 करोड़ के अतिरिक्त आय का भुगतान करना पड़ा बल्कि राजकोष पर कुल 61.73 करोड़ का भार पड़ा। कम मूल्य वर्ग की सावधि जमा में निवेश न करने के कारण बिहार स्टेट रोड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 1.34 करोड़ के अतिरिक्त ब्याज अर्जित करने का अवसर खो दिया। बैंक ड्राफ्ट बनाकर उन्हें उपयोगिता प्रमाण पत्र के उद्देश्य से खर्च मानकर बिहार शहरी आधारभूत संरचना विकास लिमिटेड ने वित्तीय विवेक के सिद्धांतों का उल्लंघन किया। जिसके कारण 1.38 करोड के ब्याज की हानि हुई।


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