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जवाब दे सुशासन की सरकार....बड़ी मछली पर कब होगी कार्रवाई? पटना DTO में करोड़ों के घोटाले में केवल छोटे कर्मियों पर एक्शन

जवाब दे सुशासन की सरकार....बड़ी मछली पर कब होगी कार्रवाई? पटना DTO में करोड़ों के घोटाले में केवल छोटे कर्मियों पर एक्शन

PATNA:  सुशासन की सरकार में पिछले साल करोड़ों का घोटाला हुआ था। घोटालेबाजों के गिरोह का जब ट्रांसफर हुआ इसके बाद पूरे घपले से पर्दा उठा । विभाग ने मामले को गंभीर देख और मीडिया में खबर के बाद जांच टीम गठित की थी। फिर खास को फंसते देख जांच के नाम पर फाइल को दबा दिया गया। मीडिया में जब सुशासन की सरकार की भद्द पिटी तो जांच की गाड़ी आगे बढ़ी। पटना के डीटीओ ऑफिस में करोड़ों के घोटाले का खुलासा हुए 6 माह से बीत गए। न्यूज4नेशन ने इस घोटले को उजागर किया था। परिवहन विभाग के अधिकारी दोषियों को बचाने में जुटे थे। 6 महीने बाद एक कर्मी को सस्पेंड किया गया है। कई डाटा ऑपरेटरों से शो-कॉज पूछा जा रहा। लेकिन बड़ी मछली पर कब कार्रवाई होगी यह बताने को कोई तैयार नहीं। जानकार बताते हैं कि छोटे लोगों पर कार्रवाई का दिखावा कर बड़े को बचाने का खेल रचा जा रहा।  

बड़ी मछली पर कब होगी कार्रवाई?

जानकार बताते हैं कि परिवहन विभाग में आरोपी अधिकारी को बचाने की सेटिंग चल रही है। एक तरह के आरोप में कुछ दिन पहले अदना सा क्लर्क को सस्पेंड किया गया । छोटे-छोटे कंप्यूटर ऑपरेटर्स से शो-कॉज पूछा जा रहा और मुख्य साजिशकर्ता पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है।सोमवार को भी पांच कंप्यूटर ऑपरेटरों से इस संबंध में शो-कॉज पूछा गया है। लेकिन जिस पत्र से करोड़ों के घपले का खुलासा हुआ उसी पत्र में क्लर्क और तत्कालीन डीटीओ की भूमिका के बारे में स्पष्ट उल्लेख किया गया था। छह महीना बाद  परिवहन विभाग ने माना की राजस्व की बड़ी क्षति हुई है। इस जुर्म में लिपिक को तो सस्पेंड किया गया लेकिन तत्कालीन डीटीओ पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। पटना के वर्तमान डीटीओ के पत्र पर जांच टीम गठित करने वाले परिवहन विभाग के कमिश्नर से जब हम इस संबंध में जानकारी चाही तो उन्होंने फोन ही रिसीव नहीं किया।  

परिवहन आयुक्त ने किया था सस्पेंड

परिवहन विभाग ने पटना डीटीओ ऑफिस के तत्कालीन लिपिक अमित कुमार गौतम को निलंबित कर दिया था।  20 मार्च को निलंबन का आदेश जारी किया गया .बिहार के परिवहन आयुक्त ने आदेश में कहा गया है पटना डीटीओ ऑफिस का तत्कालीन लिपिक अमित कुमार गौतम गलत तरीके से वाहनों को बैकलॉग एंट्री एवं निबंधन साथ ही साक्ष्य छुपाने के लिए वाहनों का ब्लैक लिस्ट करता था .गौतम के गलत ढंग से किए गए निबंधन के कारण सरकारी राजस्व की भारी क्षति हुई है. इनके विरुद्ध लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया प्रमाणित होते हैं. प्रमाणित आरोपों के लिए जांच समिति ने इन्हें तत्काल प्रभाव से निलंबित करते हुए विभागीय कार्यवाही की अनुशंसा की थी। उक्त आलोक में अमित कुमार गौतम लिपिक जिला परिवहन कार्यालय भोजपुर को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है. इसके विरुद्ध  अलग से आरोप पत्र गठित कर विभागीय कार्यवाही का संचालन किया जाएगा. परिवहन आयुक्त ने अपने आदेश में कहा है कि पटना के डीटीओ ने 17 सितंबर 2020 को प्रतिवेदन भेजा था. जिसके बाद 19 सितंबर 2020 को जांच के लिए कमेटी की गठित की गई. कमेटी ने सभी आरोपों की जांच की. इस दौरान लिपिक से भी स्पष्टीकरण की मांग की गई। लेकिन उनका जवाब स्वीकार योग्य नहीं पाया गया। इसके बाद लिपिक को निलंबित किया गया है। 

17 सितंबर 2020 को भारी गड़बड़ी का हुआ था खुलासा

पटना के डीटीओ ने पत्रांक-3318 से 17 सितंबर 2020 को करोड़ों के घोटाले से पर्दा उठाया था । अधिकारी ने परिवहन कमिश्नर सीमा त्रिपाठी को इसके बारे में सबूत के साथ तीन पन्नों की रिपोर्ट दी थी। 17 सितंबर से लेकर 18 मार्च तक फाइल को गोपनीय रखा गया। जांच की गाड़ी कहां तक पहुंची यह बताने के लिए कोई तैयार नहीं था। बिहार परिवहन मंत्री शीला कुमारी भी इस बड़े गड़बड़ी के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं होने से भौचक्के और आश्चर्य चकित थे. उन्होंने विस में न्यूज4नेशन से बातचीत में कहा था कि वे इस पूरे मामले को दिखवाते हैं। 6 महीने बाद परिवहन विभाग ने एक क्लर्क को सस्पेंड किया है।   

जानिए पूरा मामला

पटना के तत्कालीन डीटीओ-कर्मी की मिलीभगत से वाहन BS-4 वाहन का बिना सरकारी राजस्व के ही निबंधन और चोरी की गाड़ी का भी निबंधन किया गया था. इस कारनामें से सरकार को पचास करोड़ से अधिक के राजस्व की क्षति हुई थी। इसके साथ ही तत्कालीन डीटीओ अजय कुमार ठाकुर और कर्मी अमित कुमार गौतम पर कई अन्य आरोप लगे थे। वर्तमान डीटीओ ने 17 सितंबर को  अपनी रिपोर्ट परिवहन कमिश्नर को भेज दिया था,जिसमें पूरे मामले की जांच कराने और जिम्मेदार अधिकारी और कर्मी पर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था। डीटीओ के घोटाले वाले पत्र के बाद परिवहन कमिश्नर ने जांच के लिए कमेटी बनाई थी। तत्कालीन डीटीओ और कर्मी ने हर गुनाह किये लेकिन परिवहन विभाग के आलाधिकारी मौन साधे रहे। 

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