बिहार के गवर्नमेंट स्कूल के स्टूडेंट्स देश के बच्चों के लिए बने नजीर, अन्य राज्यों के बच्चों से ज्यादा इंटेलिजेंट हैं सूबे के छात्र, केंद्र की रिपोर्ट से हुआ खुलासा

पटना / दिल्ली - बिहार के सरकारी स्कूलों में इन दिनों नये-नये प्रयोग हो रहे हैं. ये प्रयोग प्राथमिक और माध्यमिक शिक्षा से अधिक से अधिक बच्चों को जोड़ने के लिए किये जा रहे हैं. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को बढ़ावा देने, ड्रॉपआउट बच्चों को स्कूल कैंपस तक लाने और पूरे समय तक बच्चों के विद्यालय में ठहराव के लक्ष्य को पूरा करने के लिए राज्य का शिक्षा विभाग गंभीर दिख रहा है. राज्य सरकार का ध्यान भी शिक्षा प्रणाली को दुरुस्त करने में लगा है. वहीं बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों को लेकर केंद्र सरकार के एक रिपोर्ट जारी किया है, इसके उनुसार बिहार के सरकारी स्कूलों के बच्चे दूसरे राज्यों के बच्चों से ज्यादा तेज यानी बुद्धिमान हैं. रिपोर्ट के अनुसार बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चों में सीखने की क्षमता 24 राज्यों के बच्चों से बेहतर है. शिक्षा मंत्रालय के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि गुजरात, केरल, दिल्ली, कर्नाटक, झारखंड, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि राज्यों के बच्चे सीखने में बिहार के बच्चों से पीछे हैं. शिक्षा मंत्रालय के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार इन राज्यों के बच्चों में सीखने की क्षमता 40 से 60 फीसदी तक ही है, जबकि बिहार के बच्चों में यह 70 से 75 फीसदी है.
बता दें पिछले दिनों शिक्षा मंत्रालय द्वारा सर्वे कराया गया था. इस सर्वे में देशभर के सभी राज्यों के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले तीन से 8वीं तक के बच्चों को शामिल किया गया था. सर्वे जनवरी से मई के बीच हुआ था. हाल में इसकी रिपोर्ट शिक्षा मंत्रालय ने जारी की है. सर्वे के दौरान बिहार से 35 लाख बच्चों से स्कूल जाकर फीडबैक लिया गया. शिक्षा मंत्रालय के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स सर्वे में यह देखा गया है कि छोटी कक्षाओं के बच्चे पढ़ाई पर अधिक मेहनत करते हैं. बार-बार एक ही पाठ को पढ़ने से सीखने की क्षमता विकसित हुई है.
वहीं शिक्षा मंत्रालय के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि बिहार के सरकारी स्कूलों की आधारभूत संरचना के मामले में सभी राज्यों से इंडेक्स में नीचे है. सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर बिहार के सरकारी स्कूल की आधारभूत संरचना को बेहतर किया जाए तो यहां के बच्चे और बेहतर करेंगे. बच्चों को स्कूल में सारी सुविधाएं नहीं मिलती हैं जिसकी उन्हें जरूरत है. बिहार के किसी स्कूल में बेंच है तो डेस्क नहीं तो कसी स्कूल में भवन तक नहीं है. भवन है भी तो तो कमरे कम पड़ रहे हैं. शिक्षकों की कमी भी है.
शिक्षा मंत्रालय के परफॉर्मेंस ग्रेडिंग इंडेक्स रिपोर्ट से खुलास हुआ है कि बिहार के सरकारी स्कूल के बच्चे जो सीखते हैं वो काफी दिनों तक याद रखते हैं और कक्षा में जो पढ़ाया जाता है, उसे बार-बार अभ्यास करते हैं.