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बिहार में 24 हजार बासरहित भूमिहीन लोगों को बासभूमि उपलब्ध कराएगी सरकार, एप से मिलेगी पूरी जानकारी

बिहार में 24 हजार बासरहित भूमिहीन लोगों को बासभूमि उपलब्ध कराएगी सरकार, एप से मिलेगी पूरी जानकारी

PATNA. बिहार के 24 हजार बासरहित भूमिहीन लोगों को बासभूमि उपलब्ध कराने के लिए सभी अपर समाहर्ताओं को 31 दिसंबर, 2023 तक का समय दिया गया है। साथ ही नए बासविहीन लोगों का पता लगाने के लिए नया सर्वे शुरू करने का निदेश भी दिया गया है। यह काम एक मोबाइल एप के जरिए किया जाएगा। इसी माह के आखिर में इस एप का औपचारिक रूप से शुभारंभ राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री आलोक कुमार मेहता द्वारा किया जाएगा। नया सर्वे 30 जून, 2023 तक पूरा कर लिया जाना है। 

इस ऐप के द्वारा सरकार को बासभूमि विहीन लोगों के बारे में तमाम जानकारी एक जगह प्राप्त हो जाएगी। इस ऐप के जरिए जिन लोगों को सरकारी जमीन दी जाएगी उनका भी पूरा ब्यौरा उपलब्ध रहेगा। साथ ही इस सरकारी योजना का पूर्व में लाभ ले चुके लोगों का पूरा ब्यौरा भी यहां मिल जाएगा। कई मामलों में ऐसा देखा गया है कि एक ही लाभार्थी कई जगहों से सरकारी जमीन हासिल कर लेते हैं। कई लाभार्थियों के बारे में सूचना है कि उनके द्वारा सरकार से प्राप्त जमीन को किसी दूसरे को बेच भी दिया गया है। 

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री आलोक कुमार मेहता आज पटना के शास्त्रीनगर स्थित सर्वे प्रषिक्षण संस्थान में अपर समाहर्ताओं की मासिक बैठक को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अधिकारियों को साफ शब्दों में कहा कि विस्थापन से पहले पुनर्वास की व्यवस्था करें। विभिन्न कारणों से विस्थापित हो रहे लोगों को कॉलोनी बनाकर कलस्टर में बसाया जाए और वहां बिजली, पानी, सड़क जैसी सामुदायिक सुविधाओं की व्यवस्था सरकार द्वारा ही किया जाए। 

इस अवसर पर मंत्री महोदय ने संभावना जताई कि पिछले सर्वे के बाद कई संयुक्त परिवार विभाजित हुए होंगे। साथ ही शादी के बाद भी भूमिहीन परिवार का वयस्क सदस्य इस योजना का लाभार्थी माना जाएगा। यह सर्वे काफी इंटेसिव होगा, हल्कावार परिवार का सर्वे किया जाएगा ताकि कोई भी बासभूमि विहीन व्यक्ति इसमें छूटे नहीं।

सुयोग्य श्रेणी के भूमिहीन लोगों को वास भूमि उपलब्ध कराने के लिए सरकार द्वारा ऑपरेषन बसेरा नाम से एक विषेष अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत सरकार द्वारा विभिन्न श्रेणियों के 92 हजार से अधिक लोगों को अबतक 5 डिसमिल तक की बासभूमि उपलब्ध करा चुकी है। इसमें महादलित, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अत्यंत पिछड़ा वर्ग एवं पिछड़ा वर्ग सभी श्रेणियों के लोग शामिल हैं। 

आज की मासिक बैठक में दाखिल-खारिज के लंबित मामलों की अंचलवार विस्तार से समीक्षा की गई। कई अंचलों में तय समय-सीमा के बाद भी बड़ी संख्या में म्युटेषन के मामले लंबित पाए गए हैं। कई छोटे अंचलों जैसे बेगूसराय के साम्हो, पष्चिम चंपारण के ठकराहा और पिपरासी और बक्सर के चक्की अंचल में प्रतिदिन औसतन 1 दाखिल-खारिज के केस दायर किए जाते हैं किन्तु यहां भी 35 दिनों की समय सीमा बीतने के बावजूद दाखिल खारिज के मामले लंबित पाए गए हैं। 

बैठक में मेहता ने सभी अपर समाहर्ताओं को निदेश दिया कि वो संबंधित अंचलों का दौरा कर देखें कि दाखिल-खारिज के मामले लंबित क्यों हैं। अगर किसी तरह की प्रशासनिक लापरवाही की बात सामने आती है तो विभाग को बताएं, संबंधित अधिकारी पर कार्रवाई होगी। 

जो अंचल छोटे हैं या जिन अंचलों में आवेदनों की संख्या कम है वहां 30 अप्रैल तक दाखिल खारिज के लंबित मामलों को निष्पादित करने का निदेश दिया गया जबकि बड़े अंचलों सहित पूरे बिहार में सभी प्रकार के लंबित मामलों को समाप्त करने की अंतिम समय सीमा 30 जून निर्धारित की गई है। 

साथ ही उन्होंने कहा कि अगले एक सप्ताह में दाखिल-खारिज के लंबित मामलों का निष्पादन करनेवाले अंचल अधिकारियों/राजस्व अधिकारियों को विभाग में बुलाकर सम्मानित किया जाएगा।


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