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बिहार में महागठबंधन को मिला सहनी का सहारा, NDA को हराने तेजस्वी यादव के साथ आए मुकेश, तीन लोकसभा में चुनाव लड़ेगी VIP

बिहार में महागठबंधन को मिला सहनी का सहारा, NDA को हराने तेजस्वी यादव के साथ आए मुकेश, तीन लोकसभा में चुनाव लड़ेगी VIP

पटना. वीआईपी नेता मुकेश सहनी ने एक बार फिर राजद के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला लिया है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मौजदूगी में मुकेश सहनी शुक्रवार को महागठबंधन का हिस्सा बने. लोकसभा चुनाव में मुकेश सहनी की पार्टी को राजद अपने कोटे से करीब तीन लोकसभा की सीटें दी हैं. इसमें गोपालगंज, झंझारपुर और मोतिहारी सीट पर वीआईपी उम्मीदवार उतारेगी. लोकसभा चुनाव में यह बिहार में महागठबंधन के लिए बड़ा साथ है. मछुआरों का प्रतिनिधित्व करने का दावा करने वाले (सन ऑफ़ मल्लाह) मुकेश सहनी के महागठबंधन में आने से यह वोटों के समीकरण से कई सीटों पर एनडीए को बड़ा झटका दे सकता है.

तेजस्वी यादव ने दावा किया कि मुकेश सहनी के साथ उनका गठबंधन न सिर्फ लोकसभा चुनाव तक सीमित रहेगा बल्कि आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में भी दोनों साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे. दरअसल, महागठबंधन में बिहार में लोकसभा सीटों का जो बंटवारा हुआ है उसमें 26 सीट राजद, 9 पर कांग्रेस और 5 वामदलों को दिया गया है. अब रादज ने अपने कोटे की 26 में से 3 सीटों पर मुकेश सहनी को उम्मीदवार उतारने दिया है. उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में एनडीए को हराना ही उनका मकसद है इसलिए दोनों एक साथ मिलकर बिहार की भलाई के लिए चुनाव लेंदेंगे. 

दरअसल, सन ऑफ मल्लाह के नाम से मशहूर और वीआईपी चीफ मुकेश सहनी निषाद की सभी उपजाति को मान सम्मान दिलाना चाहते हैं. निषाद समाज को आरक्षण मिले इसके लिए मुकेश सहनी ने पहले भी ऐलान किया था कि हम सरकार से हर लड़ाई लड़ने को तैयार हैं। अन्य राज्यों में निषाद जाति को आरक्षण मिल रहा है, लेकिन बिहार में नहीं मिला है। इसको लेकर मुकेश सहनी की लड़ाई जारी रहेगी। 

जातीय गणना की रिपोर्ट के अनुसार  बिहार में मल्लाह जाति समूह 34 लाख 10 हजार 093 (जनसंख्या का 2.36085%) और केवट जाति समूह 9 लाख 37 हजार 861 (0.717%) है, जबकि कैवर्त जाति समूह की जनसंख्या 2 लाख 65 हजार 943 (0.2034%) है, इसके अलावा बिंद जाति समूह की जनसंख्या 12 लाख 85 हजार 358 है। (0.9833%). इन सभी जातियों की संयुक्त जनसंख्या देखें तो कुल 58 लाख 99 हजार 255 है। ऐसे में इन जातियों को वोटों को गोलबंद कर उसे लोकसभा चुनाव में भुनाने पर मुकेश सहनी और तेजस्वी यादव की नजर है. जातीय समीकरणों के हिसाब से यह महागठबंधन के लिए मजबूत होने वाली स्थिति है. 



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