PATNA : पटना हाईकोर्ट में बिहार नगरपालिका एक्ट,2007 के Chapter 5 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई दो सप्ताह के लिए टल गयी है। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ के समक्ष डा. आशीष कुमार सिन्हा व अन्य द्वारा दायर याचिका पर एडवोकेट जनरल ने हलफनामा दायर करने के लिए दो सप्ताह का समय लिया। याचिकाकर्ता की अधिवक्ता मयूरी ने बताया कि यह नगरपालिका संगठनात्मक संरचना से सम्बंधित कानून हैं। नगरपालिका के इस कानून में श्रेणी ए और बी पदों पर नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार को हैं। जबकि श्रेणी सी और डी के पदों पर नियुक्ति पर नगरपालिका का बहुत सीमित अधिकार था। लेकिन 31 मार्च,2021 को कानून में संशोधन कर श्रेणी सी और डी के पदों पर नियुक्ति के सीमित अधिकार को राज्य सरकार ने नगरपालिका से ले लिया है।
याचिकाकर्ता ने राज्य सरकार द्वारा इस कानून में किये गए संशोधन को लेकर पटना हाईकोर्ट में याचिका दायर किया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने 31 मार्च,2021 को कानून में संशोधन कर राज्य सरकार द्वारा मनमाने ढंग से नगरपालिका के शक्ति प्राप्त कमिटी के नियुक्ति सम्बन्धी अधिकार को लिए जाने को गम्भीरता से लिया।
याचिकाकर्ता के अधिवक्ता मयूरी ने कोर्ट को बताया कि कानून के तहत अन्य राज्यों में नगरपालिका के कर्माचारियों की नियुक्ति नगर निगम करती हैं। उन्होंने कहा कि नगर निगम स्वायत्तशासी संस्था है। इसके लिए जरूरी है कि नित प्रति दिन के कार्य में सरकारी हस्तक्षेप नहीं हो और ये इकाई स्वायत्तशासी संस्था के रूप में कार्य कर सके। कोर्ट को बताया गया कि नगर निगम के कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों पर राज्य सरकार का नियंत्रण है,जबकि ये पैसा निगम के फंड से दिया जाता है।निगम के कर्मचारियों के cadre का केंद्रीयकृत होना नगरपालिका संस्थाओ के स्वायतता के मूल भावना के विरूद्ध है। इस मामले पर अगली सुनवाई 2 सप्ताह बाद होगी।