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हाय रे स्वास्थ्य विभाग! सरकारी अस्पताल से महिला को बाहर पेड़ के नीचे प्रसुता की हुई डिलीवरी, जन्म लेने के कुछ देर बाद नवजात की हुई मौत

हाय रे स्वास्थ्य विभाग! सरकारी अस्पताल से महिला को बाहर पेड़ के नीचे प्रसुता की हुई डिलीवरी, जन्म लेने के कुछ देर बाद नवजात की हुई मौत

SASARAM : बिहार के सरकारी अस्पतालों की दशा सुधारने के दावे सरकार चाहे जितनी बार करे, लेकिन हकीकत कुछ और ही नजर आती है। इसका एक बड़ा उदाहरण करगहर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में देखने को मिला है। जहां डिलीवरी के लिए आई प्रसुता को पहले सदर अस्पताल रेफर कर दिया गया। जबतक प्रसुता को ले जाने के लिए इंतजाम हो पाता, उतनी देर में अस्पताल के कर्मियों ने संवेदनहीनता की सीमा को पार करते हुए प्रसुता को अस्पताल से बाहर कर दिया गया। इस दौरान अस्पताल के बाहर ही महिला की हालत खराब हो गई, जिसके बाद अस्पताल परिसर के पेड़ के नीचे महिला की डिलीवरी हो गई। अस्पताल में होने के बाद न तो महिला और उसके बच्चे को उस समय इलाज मिल पाया। नतीजा यह हुआ कि नवजात की इलाज के अभाव में मौत हो गई।

 बताया जाता है कि सिरसिया गांव का बबुआ मुसहर अपनी पत्नी की डिलीवरी के लिए उसे लेकर करगहर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र आया था. अस्पताल में जांच के बाद पता चला कि महिला का हीमोग्लोबीन काफी कम है. जिसके बाद डॉक्टरों ने उसे सासाराम सदर अस्पताल रेफर कर दिया और अस्पताल से बाहर निकाल दिया.महिला के पति का आरोप है कि "वो अपनी पत्नी को सदर अस्पताल ले जाने के लिए पैसों का इंतजाम करने गया था तभी अस्पताल वालों ने उसे बाहर निकाल दिया. जिसके कारण अस्पताल के बाहर ही एक पेड़ के नीचे महिला ने एक बच्चे को जन्म दिया. लेकिन इलाज नहीं मिलने के कारण नवजात की मौत हो गयी.

नहींं मिली एंबुलेंस, ठेले पर लेकर गए शव

अस्पताल की संवेदनहीनता और लापरवाही के कारण नवजात की मौत होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन का संवेदनहीन रवैया जारी रहा. अस्पताल प्रशासन ने प्रसूता ओर मृत नवजात बच्चे के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस तक उपलब्ध नहीं कराई. जिसके बाद बबुआ मुसहर ने ठेले का इंतजाम किया और अपनी पत्नी के साथ-साथ नवजात का शव लेकर अपने घर गया।

बचाव में बहानेबाजी पर उतरा अस्पताल प्रशासन

 इस मामले को लेकर अस्पताल प्रशासन बहाने बना रहा है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी का कहना है कि "हीमोग्लीबीन की कमी के कारण उसे सदर अस्पताल रेफर किया गया था."उन्होंने अस्पताल से बाहर निकालने के आरोपों को खारिज कर दिया. साथ ही कहा कि "अगर पीड़ित ने एंबुलेंस की मांग की होती तो जरूर उसे उपलब्ध कराई जाती."


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