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बिहार के लॉ कॉलेजों की खराब हालत पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता, पूछा बिना मानक पूरा किए कैसे लिया जा रहा है एडमिशन, मांगी पूरी रिपोर्ट

बिहार के लॉ कॉलेजों की खराब हालत पर हाईकोर्ट ने जताई चिंता, पूछा बिना मानक पूरा किए कैसे लिया जा रहा है एडमिशन, मांगी पूरी रिपोर्ट

PATNA : पटना हाईकोर्ट में  राज्य के सभी सरकारी और निजी लॉ कालेजों की दयनीय हालात को काफी गंभीरता से लिया। चीफ जस्टिस केवी चंद्रन की खंडपीठ ने कुणाल कौशल की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए सभी 27 लॉ कालेजों के सम्बन्ध में  बीसीआई को विस्तृत ब्यौरा देने का निर्देश दिया।कोर्ट ने जानना चाहा कि  ये लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा लॉ की पढ़ाई के लिए निर्धारित मानको को पूरा कर रहे है। वहां क्या क्या सुविधाएं उपलब्ध है।

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू  कुमार ने कोर्ट को बताया कि बहुत सारे लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा नही करने के बाद भी चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि इन लॉ कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षक भी बीसीआई द्वारा निर्धारित शैक्षणिक योग्यता नहीं रखते है।पीएचडी की डिग्री उन शिक्षकों के लिए आवश्यक है, लेकिन इन लॉ कालेजों में इनका पालन नही किया जा रहा है। कोर्ट ने जानना चाहा कि बगैर बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा किये बहुत से लॉ कालेजों में  छात्रों का एडमिशन कैसे लिया जा रहा है  कोर्ट ने इन लॉ कालेजों में छात्रों के एडमिशन पर रोक लगा रखा है।

पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि अगर कोई लॉ  कालेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है, तभी छात्रों का एडमिशन होना चाहिए।कोर्ट ने स्पष्ट किया था कि  कोई लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा करता है,उन कालेजों में ही लॉ की पढ़ाई होनी चाहिए। 

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट समक्ष पक्ष प्रस्तुत करते हुए अधिवक्ता दीनू कुमार ने बताया कि राज्य के सरकारी और निजी लॉ कालेजों की स्थिति काफी खराब है।इन कालेजों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है। उन्होंने बताया कि बहुत सारे लॉ कॉलेज बीसीआई द्वारा निर्धारित मानकों को पूरा नहीं करते है।इस कारण उन कालेजों में  स्तरीय लॉ की पढ़ाई नहीं होती है।

उन्होंने कोर्ट को बताया कि इन लॉ कालेजों में  पढ़ाने के पर्याप्त संख्या में योग्य शिक्षक नहीं है।इन शिक्षकों का तय मानदंडो के अनुसार शैक्षणिक योग्यता नहीं है।इन शिक्षकों को पीएचडी डिग्री प्राप्त होना चाहिए,लेकिन इन कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों में से अधिकतर के पास ये योग्यता नहीं है। इस जनहित याचिका पर सुनवाई  4 सप्ताह बाद की जाएगी।

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