महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट बनाता है हिजाब, 21वीं सदी में 7वीं सदी के कानून लादे जाने पर गुस्साई मुस्लिम महिला लेखिका

दिल्ली. हिजाब विवाद पर जानीमानी लेखिका तस्लीमा नसरीन बेहद सख्त टिप्पणी की है. हिजाब को महिलाओं की स्वतंत्रता के खिलाफ बताते हुए मुस्लिम लेखिका ने यहाँ तक कह दिया कि हिजाब महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट बनाता है. उन्होंने सवाल किया कि जब हम 21वीं सदी में जी रहे हैं तो 7वीं सदी के कानून क्यों लागू होने चाहिए?
उन्होंने एक मीडिया के साथ साक्षात्कार में कहा कि मेरा मेरा मानना है कि एक धर्मनिरपेक्ष देश में शिक्षण संस्थानों को यह अधिकार है कि वे छात्रों के लिए ड्रेस कोड अनिवार्य कर सकते हैं. स्कूल और कॉलेज छात्रों को धार्मिक पहचान घर पर रखने के लिए कहते हैं तो इसमें गलत क्या है? शिक्षा के इन संस्थानों में धार्मिक कट्टरता, कट्टरवाद और अंधविश्वास के लिए जगह नहीं होनी चाहिए. स्कूलों में व्यक्तिगत स्वतंत्रता, लैंगिक समानता, उदारवाद, मानवतावाद और वैज्ञानिक सिद्धांतों को पढ़ाया जाना चाहिए.
तसलीमा ने कहा कि हिजाब का एकमात्र मतलब महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट बनाना है. हिजाब, नकाब और बुर्का का एक ही उद्देश्य है महिलाओं को सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में बदलना. उन्होंने कहा कि तथ्य यह है कि महिलाओं को पुरुषों से छिपाने की जरूरत है, जो उन्हें देखकर लार टपकाते हैं. यह बहुत ही अपमानजनक है. इस प्रथा को जल्द से जल्द बंद कर देना चाहिए. उन्होंने कहा कि ज्यादातर घरों में परिवार के सदस्य महिलाओं को हिजाब और बुर्का पहनने को मजबूर करते हैं. जरूरी नहीं है कि यह हर महिला की पसंद हो.
उन्होंने यूनिफॉर्म सिविल कोड का समर्थन करते हुए कहा कि किसी भी धर्मनिरपेक्ष देश में समान नागरिक संहिता होनी चाहिए. किसी समुदाय के लिए अलग कानून क्यों होना चाहिए? मुसलमानों को यह समझना चाहिए कि मुख्यधारा का हिस्सा बनकर वे गरीबी, लैंगिक और धार्मिक भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ सकते हैं.
हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाई कोर्ट में सुनवाई चल रही है. वहीं कर्नाटक के कई शिक्षण संस्थानों में इस विवाद के कारण पढाई बाधित है. समुदायों में तनाव को देखते हुए राज्य के कई शहरों में पीयू कॉलेज बंद हैं. हालांकि सरकार की ओर से संस्थानों को खोलने का निर्देश दिया गया है लेकिन सुरक्षा कारणों से उन्हें बंद रखा गया है.