जमुई: नाबालिग के साथ दुष्कर्म करने के बाद हत्या करने वाले रंजीत मांझी को प्रथम अपर सत्र न्यायाधीश धीरेंद्र बहादुर सिंह ने पोक्सो अधिनियम के अंतर्गत जीवन के अंतिम सांस तक के लिए कारावास की सजा सुनाई है. आपको बता दें यह कांड सूचक के सूचना के आधार पर 21 मई 2023 को अभियुक्त के द्वारा पीड़िता का अपहरण किए जाने के अंतर्गत दर्ज किया गया था.
एसपी ने खुद की मॉनिटरिंग
इतनी क्रूर कृत्य की जांच पुलिस अधीक्षक डॉ शौर्य सुमन ने खुद संभाल रखी थी. सूत्रों के अनुसार जमुई एसपी ने खुद क्राइम सीन बना कर इसकी जांच की और ठोस सबूत इक्कठ्ठा कर इस केस का सफल उद्भेदन किया.सीसीटीवी फुटेज के आधार पर अभियुक्त की गिरफ्तारी की गई. अभियुक्त ने अपने बयान में पीड़िता की अपहरण करने की बात को स्वीकार किया तथा उसके शव को जमुई के झाझा बस स्टैंड के करीब कूड़ेदान में फेके जाने की बात बताई थी.
वैज्ञानिक अनुसंधान से खुली पोल
डॉक्टर शौर्य सुमन के निगरानी और गहन छानबीन करने एवं पोस्टमार्टम रिपोर्ट और वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर पीड़िता के साथ दुष्कर्म किए जाने की बात स्थापित हुई.पीड़िता के शव से लिए गए खून का सैंपल और आरोपी के कपड़े से मिले खून के सैंपल की जांच FSL टीम को दी गई, जिसके जांचोपरांत पाया गया की बच्ची का ही खून आरोपी के कपड़ो से मिला. जिसकी जांच रिपोर्ट कोर्ट में समर्पित की गई थी.
महज नौ महीने में सुनवाई पूरी
जमुई पुलिस द्वारा जुटाएं गए सबूत और वैज्ञानिक अनुसंधान के आधार पर ही अभियुक्त रंजीत मांझी को आजीवन कारावास के साथ साथ पच्चीस हजार रूपए का अर्थदंड की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने इस घटना की गंभीरता को देखते हुए महज 9 महीने में ही सुनवाई पूरी कर सजा मुकर्रर कर दी.
जमुई से सुमित सिंह की रिपोर्ट