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कोविड-19 वेरिएंट को रोकने में मदद कर सकती है एचआईवी की दवा, वैक्सीन के साइड इफेक्ट पर राज्यसभा में क्या उठे सवाल, जानिए

कोविड-19 वेरिएंट को रोकने में मदद कर सकती है एचआईवी की दवा, वैक्सीन के साइड इफेक्ट  पर राज्यसभा में क्या उठे सवाल, जानिए

नई दिल्ली-एचआईवी (ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस) की दवा सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम वेरिएंट-कोविड 2 सहित कई कोरोनोवायरस से होने वाली बीमारियों को रोकने में कारगर है। एक शोध में यह पता चला है।शोधकर्ताओं ने पहले दिखाया है कि "कोबिसिस्टैट" नामक एक बूस्टर दवा, जिसका उपयोग आम तौर पर एचआईवी-रोधी दवाओं के प्रभाव को बढ़ाने के लिए किया जाता है। 2020 की शुरुआत में यूरोप में फैलने वाले सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम वेरिएंट-कोविड 2 के खिलाफ एंटीवायरल गुण हो सकते हैं।जर्नल एंटीवायरल रिसर्च में प्रकाशित शोध में शोधकर्ताओं ने जांच की कि क्या सार्स-कोविड-2 के चिंता के प्रमुख वेरिएंट (वीओसी) और मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनवायरस (एमईआरएससीओवी) सहित अन्य कोरोनोवायरस के खिलाफ कोबिसिस्टैट के एंटी-सार्स-कोविड-2 गुणों को बनाए रखा गया था।

30 प्रतिशत से अधिक की मृत्युदर के साथ मिडिल ईस्ट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोविड बिना किसी वैक्सीन या विशिष्ट उपचार के पूरे मध्य पूर्व, अफ्रीका और दक्षिण एशिया में फैलता है।शोधकर्ताओं ने कोबिसिस्टैट के प्रभावों की तुलना रिटोनावीर के प्रभावों से भी की, जो संरचनात्मक रूप से समान है जो सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम वेरिएंट-कोविड 2 के एंटीवायरल उपचार के लिए वर्तमान स्वर्ण मानक, पैक्सलोविड के घटकों में से एक है।

कैबिसिस्टैट और रिटोनाविर के एंटी-कोरोनावायरस प्रभावों की स्क्रीनिंग और समानांतर तुलना के लिए स्वचालित छवि विश्लेषण का उपयोग करते हुए शोधकर्ताओं ने पाया कि कैबोबिस्टैट और रिटोनावीर दोनों परीक्षण किए गए सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम वेरिएंट-कोविड 2 के सभी आठ वीओसी के साथ-साथ एमईआरएस सहित अन्य मानव कोरोनवीरस के खिलाफ कार्य करते हैं।शोधकर्ताओं ने कहा, "हमारे अध्ययन से पता चलता है कि सीवाईपी 3 ए,अवरोधक रिटोनावीर और अधिक हद तक कैबोबिस्टैट को स्वीकृत खुराक के नियमों को समायोजित करके विवो में संभावित रूप से प्राप्त सांद्रता पर व्यापक रूप से प्रभावी एंटी-कोरोनावायरस एजेंटों के रूप में पुन: उपयोग किया जा सकता है।"

वहीं राज्यसभा सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने  शुक्रवार को जानकारी दी कि भारत में 50 वर्ष से कम आयु के 5 लाख से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हार्ट अटैक से हुई है।उन्होंने कहा कि फाईजर की वैक्सीन जो अमेरिका में कई लोगों को लगाई गई थी, जब उन पर दबाव आया, तो अब जाकर उन्होंने बताया है कि इस वैक्सीन के क्या-क्या साइड इफेक्टैं। उन्होंने कहा कि शायद हमें इस पर भी आत्मचिंतन करने की आवश्यकता है।राज्यसभा में प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है। इस पर खास तौर पर ध्यान देना चाहिए। कोविड के गंभीर स्वरूप में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जो दवाइयां बताई गई, क्या उसमें कहीं कोई कमी रह गई।उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस विषय पर गाइडलाइंस दिए हैं लेकिन वह इतनी पुख्ता नहीं है कि इस समस्या का समाधान दे सकें।

चतुर्वेदी ने कहा कि बड़ी संख्या में ऐसे लोग हैं जिन्हें हृदय रोग की कोई समस्या नहीं थी, लेकिन अचानक हार्ट अटैक से उनकी मृत्यु हो गई। राज्यसभा सांसद ने इसे कोरोना से जोड़ा। उन्होंने कहा कि भारत में हार्ट अटैक की बढ़ती घटनाएं चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को इस विषय पर थोड़ी और ज्यादा रिसर्च कर डाटा एकत्र करना चाहिए। इसके जरिए यह देखा जाना चाहिए कि कोरोना के उपरांत क्या प्रभाव हो रहे हैं। इसके साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि जो दवाई व जो वैक्सीन है, उसको लेकर हमें रिसर्च, फ्रेमवर्क बनाना पड़ेगा।राज्यसभा में उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय को फ्रेमवर्क बनाना होगा कि 50 वर्ष से कम आयु के व्यक्तियों में हार्ट अटैक को कैसे काबू में ला सकते है।उन्होंने कहा कि लैंसेट (रिसर्च पत्रिका) की स्टडी बताती है कि भारत में 5 से 6 लाख लोगों की हार्ट अटैक से मृत्यु हुई है और यह सभी 50 वर्ष से कम आयु के थे। यह सिर्फ उनके परिवारों के लिए ही बल्कि देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी दुख का विषय है। युवाओं की हार्ट अटैक से मृत्यु होना चिंता का कारण है।

चतुर्वेदी के मुताबिक कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां क्रिकेट खेलते खेलते हुए खिलाड़ी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गई।उन्होंने कहा कि मैं स्वास्थ्य मंत्रालय से डेटाबेस बनाने की अपील करती हूं। रोज हम इस प्रकार की खबरों से रूबरू हो रहे हैं कि कभी कोई क्रिकेट खेलते खेलते तो कोई डांडिया करते-करते हार्ट अटैक से मर रहा है, जबकि इन व्यक्तियों की हृदय रोग की कोई हिस्ट्री नहीं थी।उन्होंने यह भी बताया कि ट्रेन में बीते दिनों 38 साल के एक स्वस्थ युवा को अचानक हार्ट अटैक आया।

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