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कांग्रेस की ये कैसी मजबूरी, भाजपा का खेल समझ कर भी कर रही है समर्थन, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

कांग्रेस की ये कैसी मजबूरी, भाजपा का खेल समझ कर भी कर रही है समर्थन, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

भाजपा राजनीतिक के पीच पर अपने धुरंधर प्रतिद्वंद्वी को धूल चटाने में माहिर है तो राजनीतिक लाभ लेने में भी माहिर खिलाड़ी है. इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है महिला आरक्षण बिल. कांग्रेस काल की परिकल्पना को भाजपा ने पूर्ण कर इसका भरपुर राजनीतिक लाभ भी उठाया है. महिला आरक्षण बिल को 1996 से हीं संसद में पास करने की कवायद होती रही है. किसी न किसी राजनीतिक कारण से यह बिल लटका रहा. राजद के सांसद सुरेंद्र यादव ने तो तत्कालीन गृहमंत्री के हाथ में से महिला आरक्षण का बिल छीन कर फाड़ तक दिया था. नरेंद्र मोदी सरकार ने इसे पास कर एक पासे से हीं सभी विरोधियों को चित्त कर दिया. यहीं नहीं राजनीतिक कारणों से  सभी विपक्षी दलों ने इसका समर्थन भी किया.

विपक्षी दलों ने बिल पास करा कर इसका हिस्सा भी बने. तो इसके लागू करने से लेकर आरक्षण के प्रश्न को उठाकर विपक्ष ने अपनी किरकिरी भी करा ली. कहा जाता है कि जो दीतता है वहीं सिकंदर होता है और बिल पास कर मोदी सिकंदर तो बन हीं गए. विपक्ष ने सवाल खड़ा कर अधी आबादी को अपने पाले में करने में असफल हुई तो मोदी ने इसका पूरा श्रेय लिया.

नये संसद भवन में विशेष सत्र की बैठक कर मोदी सरकार नये संसद भवन के सपने को साकार कर दिया. आपको याद होगा कि कांग्रेस शासन में साल  2010 में  पुराने संसद भवन की सौ साल उम्र को देखते हुए नए भवन की बात उठी थी. लोकसभा की  तत्कालीन स्पीकर मीरा कुमार के सामने नए संसद भवन का प्रस्ताव साल 2010 में आया था, इसके लिए साल 2012 में एक समिति बनाई गई. लेकिन इसका काम अधर में लटक गया. साल  2014 में नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आ गई. साल 2019 में अपने दूसरे कार्यकाल में मोदी ने नया संसद भवन बनवाने के  काम को शुरू कराया और तय समय में  में नया संसद भवन बन कर तैयार हो गया. नया भवन बना तो  इसके उद्घाटन को लेकर विवाद शुरु हो गया. विपक्ष नए संसद भवन के निर्माण के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट गया, लेकिन वहां से भी उसे राहत नहीं मिली. विपक्ष ने उद्घाटन समारोह का भी विरोध किया और उससे अलग हीं रहा. 28 मई 2023 को नये  संसद भवन का उद्घाटन हुआ. कांग्रेस समेत 19 विपक्षी दलों ने कार्यक्रम का बायकाट कर दिया. बाद में संसद के विशेष सत्र में विपक्षी दलों ने नये भवन में बैठ कर महिला आरक्षण बिल पास करने में कोई आपत्ति नहीं हुई.

अब इंडिया गठबंधन के प्रमुख घटक दल तमिलानाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदय निधि स्टालिन सनातन के बयान भाजपा ने राजनीतिक हथियार बना लिया. बता दें उदयनिधि ने सनातन धर्म की तुलना डेंगू-मलेरिया जैसी खतरनाक बीमारियों से की थी.इसको भाजपा ने बड़ा हथियार बनाया और कांग्रेस समेत प्रमुख विपक्षी पार्टियों को उदय निधि के बयान से पल्ला झाड़ने पर मजबूर कर दिया. भाजपा तमिलनाडु के मंत्री और इंडिया महागठबंधन के प्रमुख घटक दल द्रमुक के उदयनिधि के सनातन धर्म विरोधी बयान के सहारे हिन्दू वोटों का  ध्रुवीकृत करने की कोशिश में जुटी है तो उसने बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के श्रीरामचरित मानस पर विवादित बयान के खिलाफ भी हल्ला बोल दिया है.

बहरहाल कांग्रेस के मुद्दे से हीं भाजपा कांग्रेस को मात दे रही है. कांग्रेस मौन हो कर खेल देखने को मजबूर हीं नहीं है वरन समर्थन करना उसकी मजबूरी भी बन जा रही है. भाजपा कांग्रेस के हथियार सेहीं कांग्रेस को परास्त कर रही हैं. देखना होगा कांग्रेस इसका क्या काट निकालती है.

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