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ट्रेनों में भेड़-बकरी की तरह कब तक यात्रा करेंगे बिहारी ! बिहार के भाजपा सांसद ने स्लीपर और जनरल डिब्बों पर संसद में उठाई बड़ी मांग

ट्रेनों में भेड़-बकरी की तरह कब तक यात्रा करेंगे बिहारी ! बिहार के भाजपा सांसद ने स्लीपर और जनरल डिब्बों पर संसद में उठाई बड़ी मांग

पटना. भारतीय रेलवे द्वारा मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में स्लीपर और जनरल श्रेणी के कोचों की संख्या में लगातार की जा रही कमी का मुद्दा राज्यसभा में गूंजा. भाजपा के राज्यसभा सांसद भीम सिंह ने अपनी ही सरकार की रेल से जुडी नीतियों पर सवाल उठाया. उन्होंने ट्रेनों में लगातार स्लीपर और जनरल डिब्बों की कम होती संख्या पर चिंता जताई. इसे बिहार जैसे राज्यों के यात्रियों के मुसीबत वाला निर्णय करार दिया. भीम सिंह ने केंद्र की मोदी सरकार से ट्रेनों में स्लीपर और जनरल डिब्बों की संख्या बढ़ाने की मांग की. 

भीम सिंह ने राज्यसभा में कहा कि भारत के दैनिक जीवन में रेलवे एक महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती है. हर दिन लाखों लोग ट्रेनों का सहारा लेकर अपने गंतव्य को पहुंचते हैं. रेलवे ने सभी ट्रेनों में एसी प्रथम दर्जा, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के डिब्बों की संख्या बढाई गई है. लेकिन, साधारण श्रेणी के डिब्बों की बढ़ोत्तरी बिल्कुल नगण्य है. इससे बिहार, उत्तर प्रदेश और झारखंड के प्रवासी मजदूरों को बेहद परेशनी होती है. इन्हें रेलों में ठूंसकर यात्रा करने की मजबूरी होती है. इसलिए रेलों में साधारण श्रेणी के डिब्बों की संख्या बढाई जानी चाहिए. भीम सिंह ने विशेष उल्लेख के जरिए ट्रेनों में जनरल डिब्बों की संख्या बढ़ाने की मांग की.

दरअसल मेल/एक्स्प्रेस ट्रेनों में पिछले कुछ वर्षों में लगातार स्लीपर और जनरल कोचों की संख्या कम की गई है. पहले जहां मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों में 12 से 14 स्लीपर, 5 से 6 एसी कोच और 6-7 जनरल कोच होते थे. लेकिन अब इसका उल्टा हो गया है. ट्रेनों में अब ज्यादातर ट्रेनों में 12 से 14 एसी कोच, 5 स्लीपर और मात्र 2 जनरल रहते हैं. इससे ट्रेनों के स्लीपर और जनरल श्रेणी में सफर करने वाले यात्रियों को भेड़-बकरियों की तरह ठूंस कर यात्रा करने की मजबूरी रहती है. बड़े स्तर पर यात्री अपनी इस तकलीफ को लेकर सोशल मीडिया पर भी आवाज उठाते रहते हैं. अब इस क्रम में भाजपा सांसद भीम सिंह ने भी संसद में ट्रेनों में स्लीपर और जनरल डिब्बों की संख्या बढ़ाने की मांग की है. 

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