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बीजेपी को प्रदेश के सभी सीटों पर जितना हुआ बेहद मुश्किल? क्या कायम रह पाएगा जीत का पुराना रिकार्ड? इंडिया गठबंधन ने दे दी है कठिन चुनौती...

बीजेपी को प्रदेश के सभी सीटों पर जितना हुआ बेहद मुश्किल? क्या कायम रह पाएगा जीत का पुराना रिकार्ड? इंडिया गठबंधन ने दे दी है कठिन चुनौती...

LUCKNOW: लोकसभा चुनाव को लेकर सियासत गरमाई हुई है। बीजेपी एक ओर जहां 400 पार का नारा दे रही है। वहीं कई राज्यों में इंडिया गठबंधन बीजेपी को कड़ी टक्कर दे रही है। हालात यह है कि इन सीटों पर बीजेपी का जितना बेहद मुश्किल लग रहा है। इन सीटों पर जीत हासिल करने के लिए बीजेपी को कठिन परिश्रम करना पड़ सकता है। दरअसल, हम बात यूपी की 80 लोकसभा सीटों की कर रहे हैं। यूपी में 7 चरणों में चुनाव होना है। लेकिन कई ऐसी सीटें हैं जहां बीजेपी को इंडिया गठबंधन कड़ी टक्कर दे रही है। इन सीटों पर मुकाबला बेहद रोमांच भरा हो सकता है। 

इंडिया गठबंधन बीजेपी को दे रही कड़ी टक्कर 

दरअसल, राजनीतिक जानकारों की मानें तो यूपी का बदायूं, मैनपुर, आजमगढ़, अमेठी, रायबरेली समेत कई सीट ऐसी सीटें हैं, जहां इंडिया गठबंधन बीजेपी को कड़ी टक्कर देगी। दिल्ली का रास्ता तय करने वाले उत्तर प्रदेश में पक्ष विपक्ष के प्रत्याशियों को कड़ी मेहनत के बाद जीत का ताज पहना पड़ेगा। बीजेपी के लिए इस बार की लोकसभा चुनाव में मुश्किलें बढ़ने की सबसे बड़ी कारण इंडिया गठबंधन में सभी विपक्षी टीमों का गठजोड़ भी है। सभी विपक्ष पार्टियों के एकजुट होने के कारण अब बीजेपी को प्रदेश में हर कदम बहुत ही सावधानी से उठानी पड़ रही है। यूपी में कांग्रेस-सपा अपनी जीत को लेकर उत्साहित है। 

80 लोकसभा जीत पाना है मुश्किल

वहीं अमेठी, रायबरेली, बदायूं, घोषी, आजमगढ़, रामपुर समेत कई सीटों पर मुकाबला 20-20 मैच जैसे रोमाचंक होने वाला है। जैसे मैच के आखिरी बॉल तक आप तय नहीं कर पाते की कौन जीतेगा और कौन हारेगा वैसे ही इन सीटों पर मतगणना के बाद ही तय हो पाएगा कि किसने बाजी मार ली है। बिहार में बीजेपी ने 40 की 40 लोकसभा जीतने की दावा की है तो वहीं यूपी में भी बीजेपी 80 की 80 लोकसभा सीट जीतने की लक्ष्य लेकर चल रही है। इंडिया गठबंधन के गठजोड़ के कारण बीजेपी का यह लक्ष्य सफल होते नहीं दिख रहा है। बीजेपी को 2019 में हारी हुई सीट को बचाने के लिए मेहनत तो करना ही होगी, साथ की जीती हुई सीट को बचाना भी बीजेपी के लिए बड़ी चुनौती होगी।    

अमेठी में कौन होगा कांग्रेस उम्मीदवार

हालांकि कांग्रेस ने अब तक यूपी में अपने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है। लेकिन बावजूद इसके इन सीटों पर जिन नामों की चर्चा हो रही है। वह बीजेपी को कांटे की टक्कर दे सकते हैं। तो अगर हम यूपी की सबसे हॉट सीट की बात करें तो पहला नाम अमेठी सीट हो सकती है। अमेठी लोकसभा सीट पर उसी स्थिति में मुकाबला कांटे का होने की संभावना है, जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़े। अमेठी कांग्रेस का गढ़ रहा है और 2019 के चुनाव में अमेठी से राहुल गांधी चुनाव हार गए थे। उधर, बीजेपी ने मौजूदा सांसद और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को उम्मीदवार बनाया है। हाल ये है कि कांग्रेस अभी तक उम्मीदवार की घोषणा तक नहीं कर पाई है। चर्चा है कि सोनिया गांधी के दामाद और प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा अमेठी से चुनाव लड़ सकते हैं। रॉबर्ट वाड्रा के चुनाव लड़ने पर भी मुकाबला करो या मरो वाला हो जाएगा। इस सीट पर कांग्रेस का उम्मीदवार घोषित होने के बाद ही मुकाबला कैसा होगा, ये कह पाना संभव होगा। 

मोदी लहर भी नहीं भेद पाई कांग्रेस का किला 

जबकि, रायबरेली सीट की बात करें तो यह कांग्रेस का अभेद्य किला रहा है। मोदी लहर के बावजूद बीजेपी 2014 और 2019 के चुनाव में कांग्रेस के इस किले को भेद नहीं पाई थी। हालांकि इस बार सोनिया गांधी चुनाव नहीं लड़ रही है। कांग्रेस से चुनाव कौन लड़ेंगा, अभी संशय बना हुआ है। अगर गांधी परिवार का कोई भी सदस्य चुनाव लड़ता है तो ये सीट कांग्रेस आसानी से जीत सकती है। अगर किसी अन्य को टिकट मिलता है तो कांग्रेस के लिए रायबरेली बचाना मुश्किल हो जाएगा। सूत्रों की मानें तो प्रियंका गांधी रायबरेली से चुनाव लड़ सकती हैं। वहीं अगर प्रियंका चुनाव लड़ी तो कांग्रेस का रास्ता साफ हो जाएगा। बीजेपी के मिशन 80 पर प्रियंका पानी फेर सकती है।

सपा के गढ़ में फहरेगा बीजेपी का झंडा ?

वहीं मैनपुरी सीट की बात करें तो इसे सपा का गढ़ माना जाता है। लेकिन अगर बीजेपी यहां से नेताजी मुलायम सिंह यादव की छोटी बहू अपर्णा यादव को टिकट देती है तो उस स्थिति में चुनाव में कठिन मुकाबला होने की संभावना है। दरअसल, इस सीट पर हुए उपचुनाव के नतीजों को देखें तो यह साफ-साफ संकेत है कि इस बार भी नतीजे सपा के पक्ष में आएंगे। डिंपल यादव आसानी से चुनाव जीत जाएंगी। अपर्णा चुनाव लड़ी तो लड़ाई बेहद रोमाचंक होगी, उस स्थिति में जीत हार का आंकलन कर पाना बहुत मुश्किल होगा। बदायूं सीट पर इस बार बीजेपी को कड़ा मुकाबला मिलने वाला है। यहां से सपा ने कद्दावर नेता शिवपाल यादव को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी ने मौजूदा सांसद संघमित्रा मौर्य का टिकट काट दिया है। इस बार बीजेपी के दुर्विजय शाक्य की टक्कर शिवपाल यादव से होगी। हालांकि शिवपाल यादव अपने बेटे आदित्य को चुनाव लड़ाना चाहते हैं। अगर आदित्य चुनाव लड़े तो उस स्थिति में बदायूं सीट पर रोमांचक मुकाबला होगा। आखिरी समय तक कुछ भी कह पाना संभव नहीं होगा। 

घोषी सीट पर करो या मरो का मुकाबला 

यूपी के घोषी सीट पर भी मुकाबला करो या मरो वाला होने वाला है। वहीं आजमगढ़ सीट पर भी सपा ने धर्मेंद्र यादव को उतार कर दिनेश लाल निरहुआ को कड़ी टक्कर दे दी है। सपा का गढ़ रही इस सीट पर भी कांटे की टक्कर हों सकती है। बता दें कि, घोषी सीट बीजेपी के सहयोगी दल सुभासपा के खाते में गई है। सुभासपा से डॉ. अरविंद राजभर उम्मीदवार बनाए गए है। वहीं सपा ने यहां से राजीव राय को प्रत्याशी बनाया है। उपचुनाव की बात करें तो बीजेपी उम्मीदवार दारा सिंह चौहान यहां से चुनाव हार चुके हैं। ऐसे में घोषी सीट को जीत पाना बीजेपी के लिए कठिन है। 

मेरठ और मुरादाबाद में सपा दे रही कड़ी टक्कर 

ठीक वैसे ही मेरठ और मुरादाबाद सीट पर सपा के उम्मीदवार बदलने के कारण दोनों सीट पर कड़ी टक्कर होने की संभावना है। मुरादाबाद में मौजूदा सांसद एसटी हसन का टिकट कटने के बाद से ये सीट भी हॉट सीट बन गई है। यहां से सपा ने एसटी हसन का टिकट काटकर आजम खान की करीबी मानी जाने वाली रुचि वीरा को उम्मीदवार बनाया है, जबकि बीजेपी ने कुंवर सर्वेश कुमार सिंह कैंडिडेट घोषित किया है। दूसरी ओर बसपा ने इरफान सैफी को प्रत्याशी बनाया है। इस सीट पर जीत की बात करें तो इस सीट पर उसकी ही जीत होती है, जिनके साथ मुस्लिम वोट जाएगा। वहीं मेरठ में भानु प्रताप सिंह के बाद विधायक अतुल प्रधान का भी सपा ने टिकट काट दिया है। अब पूर्व विधायक योगेश वर्मा की पत्नी सुनीता उम्मीदवार बनाई गई है। अब मुरादाबाद सीट पर एसटी हसन और मेरठ पर अतुल प्रधान की भूमिका सपा की जीत हार पर बहुत कुछ निर्भर करेगा।

बहुत कठिन है डगर पनघट की

इन सभी लोकसभा सीटों को देखे तो बीजेपी के लिए यूपी में 80 की 80 लोकसभा सीट जीत पाना फिलहाल तो मुश्किल लग रही है। फिल्मी गाना "बहुत कठिन है डगर पनघट की..." कहीं ना कहीं बीजेपी के लिए इन लोकसभा सीटों पर सही साबित करती हुई दिख रही है। बीजेपी को इन सीटों को अपने खाते में लाने के लिए जी तोड़ मेहनत करनी होगी। अब बीजेपी अपनी कोशिशों में कितनी कामयाब होती है यह तो 4 जून को ही पता चलेगा। लेकिन फिलहाल इन सीटों पर बीजेपी को इंडिया गठबंधन कड़ी टक्कर दे रही है।  

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