बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

चक्रव्यूह से कैसे निकलेगी बीजेपी ? कुढ़नी में कोर वोटरों ने गच्चा दिया तो जीतना मुश्किल, बोचहां चुनाव परिणाम तो याद ही है.......

चक्रव्यूह से कैसे निकलेगी बीजेपी ? कुढ़नी में कोर वोटरों ने गच्चा दिया तो जीतना मुश्किल, बोचहां चुनाव परिणाम तो याद ही है.......

PATNA: बिहार विधानसभा की कुढ़नी सीट पर उप चुनाव हो रहे हैं। 2022 में इसके पहले दो दफे विस उप चुनाव हो चुके हैं. मार्च-अप्रैल 2022 में बोचहां सीट पर हुए उप चुनाव में भाजपा की करारी हार हुई थी. तब बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन था। राजद के सामने बीजेपी चारो खाने चित्त हो गई थी। बोचहां के बाद गोपालगंज और मोकामा में उप चुनाव हुए। गोपालगंज सीट बीजेपी बचाने में कामयाब रही तो मोकामा राजद। अब कुढ़नी सीट पर हो रहे उप चुनाव में बीजेपी और जेडीयू आमने-सामने है। राजद ने इस बार अपनी सीटिंग सीट सहयोगी जेडीयू के हवाले कर दिया है। लेकिन बोचहां की तरह कुढ़नी सीट पर भी भाजपा पॉलिटिकल चक्रव्यूह में फंसी दिख रही है।  

कुढ़नी में कैसे पार पाएगी भाजपा ? 

कुढ़नी के रण में बीजेपी एक बार फिर से फंसती दिख रही है. बोचहां में जिस चक्रव्यूह में बीजेपी उलझी थी, कुछ वैसी ही घेराबंदी कुढ़नी के रण में देखने को मिल रहा है। बोचहां की तरह यहां भी मुकेश सहनी की पार्टी वीआईपी ने चाल चली है. वीआईपी ने बीजेपी के कोर वोटरों में सेंध लगाने की कोशिश की है. मुकेश सहनी ने भूमिहार समाज से अपना प्रत्याशी दिया है। इस विस क्षेत्र में भूमिहार वोटरों की अच्छी आबादी है. इस वर्ग के वोटर भाजपा से थोड़े नाराज भी हैं, ऐसे में अगर इस वर्ग का वोट बंटा तो सीधा नुकसान बीजेपी प्रत्याशी को होगा।। मुकेश सहनी ने कुढ़नी से चार बार विधायक रहे साधु शरण शाही के पोते निलाभ कुमार पर दांव खेला है। वीआईपी इस रणनीति पर काम कर रही कि अगर बहुसंख्यक मल्लाह और भूमिहार साथ हो गए तो फिर भाजपा रेस से ही बाहर हो जायेगी। 

बोचहां में भाजपा के कोर वोटरों ने ही बताई थी हैसियत 

बोचहां में कोर वोटरों की नाराजगी का खामियाजा भाजपा को भुगतना पड़ा था. जब इस वर्ग के लोगों ने अपना पूर्ण समर्थन बीजेपी प्रत्याशी को नहीं दिया. लिहाजा वोटों में बंटवारा हो गया था। बीजेपी की हार का अँतर काफी बड़ा हो गया। अब कुढ़नी में मुकेश सहनी ने भूमिहार समाज से उम्मीदवार दिया है. ऐसे में संभावना है कि अगर वोट बंटा तो सीधा फायदा जेडीयू कैंडिडेट को मिल सकता है। हालांकि भाजपा इस चाल को समझ गई है। लिहाजा शुरू से ही मुकेश सहनी की पोल खोलने में जुटी है। बीजेपी नेतृत्व यह बताने की कोशिश में जुटी है कि मुकेश सहनी जेडीयू के एजेंट के तौर पर काम कर रहे. इनकी सेटिंग नीतीश कुमार के साथ है। बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल, मुजफ्फरपुर सांसद अजय निषाद समेत कई नेता मुकेश सहनी पर हमलावर हैं। 

भाजपा ने चक्रव्यूह तोड़ने की बनाई रणनीति 

बोचहां में भूमिहार वोटर भाजपा प्रत्याशी के खिलाफ थे. तमाम कोशिशों के बाद भी इस वर्ग की नाराजगी खत्म नहीं हुई थी। मुजफ्फरपुर के पूर्व विधायक सुरेश शर्मा भी अपने नेतृत्व से नाराज चल रहे थे. प्रत्याशी को लेकर भी इस वर्ग में नाराजगी थी। नतीजा यह हुआ था कि इस वर्ग का 30-35 फीसदी से अधिक वोट राजद कैंडिडेट अमर पासवान के पक्ष में चला गया. इस बार कुढ़नी में मुकेश सहनी ने भूमिहार कैंडिडेट को उतारा है। बीजेपी इस चाल को भांप गई है। लिहाजा शुरू से ही पूरा दम लगा रही है। भूमिहार वोटर साथ रहें इसको लेकर भाजपा नेतृत्व ने इस वर्ग से आने वाले नेताओं की ड्य़ूटी लगा दी है। पूर्व मंत्री सुरेश शर्मा को भी मनाने की कोशिश की गई. हालांकि सुरेश शर्मा के बेटे को जेडीयू ने तोड़ने की कोशिश की है, काफी हद तक उसमें जेडीयू को सफलता भी मिली। सुरेश शर्मा के अलावे बीजेपी ने नेता प्रतिपक्ष विजय सिन्हा, विधान पार्षद देवेश कुमार, पूर्व विधायक मनोज शर्मा समेत कई अन्य भूमिहार समाज से आने वाले विधायकों व अन्य नेताओं को कुढ़नी में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी दी है। वहीं मल्लाह वोटरों पर भी भाजपा डोरे डाल रही है। अनिल सहनी के परिवार को आउट किए जाने के बाद भाजपा ने साफ कर दिया है कि महागठबंधन ने अति पिछड़ों का अपमान किया है। इस उप चुनाव में अति पिछड़ा समाज अपमान का बदला लेगा। 

चक्रव्यूह के फंसकर बुरी तरह हार चुकी है बीजेपी 

बोचहां विधानसभा उप चुनाव में आरजेडी ने शानदार जीत दर्ज की थी. आरजेडी के अमर पासवान ने बीजेपी प्रत्याशी बेबी कुमारी को 36653 वोटों से हराया था. अमर पासवान को यहां वोट 82562 तो वहीं बीजेपी को 45909 वोट मिले हैं. तीसरे स्थान पर वीआईपी की डॉ गीता कुमारी रही हैं. उन्हें 29279 वोट मिले हैं. बोचहां में मुकेश सहनी को सहनी समाज और प्रत्याशी गीता कुमारी जिस वर्ग से आती हैं उस वर्ग का वोट मिला था. यानी वीआईपी ने दो वर्ग के मास वोट पर कब्जा जमाते हुए 29279 वोट लाया. इस बार कुढ़नी में मुकेश सहनी की नजर मल्लाह और भूमिहार वोटरों पर है। बोचहां में कोर वोटरों के टूटने और विपक्ष के चक्रव्यूह की वजह से भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस बार भी भाजपा उसी घेराबंदी में फंसी हुई है। अब देखना होगा कि बीजेपी नेतृत्व इस चक्रव्यूह को कैसे तोड़ पाता है।  

कुढ़नी के रण में ये हैं प्रमुख उम्मीदवार 

बता दें, कुढ़नी में जेडीयू ने जहां पूर्व मंत्री मनोज कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है. वहीं बीजेपी ने पूर्व विधायक केदार प्रसाद गुप्ता पर एक बार फिर से दांव आजमा रही है। जबकि वीआईपी ने कुढ़नी से चार बार विधायक रहे शाधु शरण शाही के पोता निलाभ कुमार पर दांव खेला है। ओवैसी की पार्टी ने पूर्व जिला पार्षद गुलाम मुर्तजा अंसारी को मैदान में उतारा है. गुलाम मुर्तजा जेडीयू के साथ-साथ आरजेडी में भी रह चुके हैं.


,




Suggested News