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मानवाधिकार आयोग ने बिहार पुलिस पर खड़े किए सवाल, कहा- मुजफ्फरपुर यौन शोषण मामले में नहीं की कार्रवाई, मामले में मुख्य सचिव और डीजीपी से मांगा जवाब

मानवाधिकार आयोग ने बिहार पुलिस पर खड़े किए सवाल, कहा- मुजफ्फरपुर यौन शोषण मामले में नहीं की कार्रवाई, मामले में मुख्य सचिव और डीजीपी से मांगा जवाब

MUZAFFARPUR : मुजफ्फरपुर के नेटवर्किंग कंपनी डीबीआर में युवतियों के साथ हुए यौन शोषण के मामले बिहार पुलिस और सरकार घिरती हुई नजर आ रही है। मामले में जिस तरह की खबर मीडिया में सामने आई है, उसके बाद अब राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने इस पूरे मामले में स्वत: संज्ञान लिया है। शुक्रवार को बिहार के मुख्य सचिव और डीजीपी से एक सप्ताह में विस्तृत रिपोर्ट देने को कहा है।

पुलिस पर कार्रवाई नहीं करने का आरोप

मीडिया में खबर प्रकाशित होने के बाद आयोग ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है कि नेटवर्क कंपनी में काम करने वाली कई महिलाओं को कंपनी के संचालक ने नशीली गोलियां खिलाई, उन्‍हें पीटा गया तथा शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया। ऐसी पीड़ित लड़कियों की संख्या 100 से अधिक बताई जा रही है। कंपनी के खिलाफ बिहार के विभिन्न जिलों में बड़ी संख्या में आपराधिक मामले दर्ज हैं, लेकिन पुलिस ने इन मामलों में कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है।

अगर समाचार रिपोर्ट सही है तो...'

आयोग ने पाया है कि समाचार रिपोर्ट यदि सही है तो मानव अधिकारों के उल्लंघन का गंभीर मुद्दा है। इसे देखते हुए मुख्य सचिव एवं डीजीपी एक सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। इसमें रिपोर्ट में उल्लिखित संचालक और नेटवर्किंग कंपनी के खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों की संख्या, उनकी जांच की स्थिति तथा अपराधियों के खिलाफ पुलिस द्वारा की गई कार्रवाई शामिल हो।

इसके साथ ही आयोग ने पीड़ित लड़कियों को प्रदान की गई राहत और पुनर्वास के साथ-साथ उपचार तथा परामर्श सेवाओं के साथ ही भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए उठाए गए उपायों के बारे में भी रिपोर्ट देने को कहा है।

यह है पूरा मामला

सारण की एक युवती ने कोर्ट में परिवाद दायर किया था। इसमें कहा गया था कि पहले अच्छी सैलरी देने के नामपर कंपनी में ज्वाइन कराया गया। इसके बाद झूठी शादी कर शारीरिक संबंध बनाए। इसका वीडियो बनाकर लगातार यौन शोषण किया गया।

पीड़िता ने यह भी बताया था कि टारगेट पूरा नहीं करने पर उसके साथ मारपीट की गई। युवती ने आरोप लगाया कि ऐसा बड़ी संख्या में काम करने वाली लड़कियों के साथ किया गया। अहियापुर थाना द्वारा मामले की प्राथमिकी के बाद कार्रवाई नहीं करने पर यह परिवाद दायर किया गया था। कोर्ट के आदेश पर पुलिस सक्रिय हुई।

पुलिस की अबतक की गई कार्रवाई

कंपनी के निदेशक वर्तमान में यूपी के नोएडा में सेक्टर-दो के सी 68 में रह रहे मूलरूप से गोपालगंज जिला के कररिया थाना के कररिया गांव मनीष कुमार समेत नौ लोगों को आरोपित किया। इसमें पूर्वी चंपारण जिला के रामगढ़वा थाना के बेला गांव एनामुल अंसारी, सिवान जिला के मैरवा थाना के कोडरा गांव के तिलक कुमार सिंह, पूर्णिया जिला के बाड़ा रहुआ गांव के अहमद रजा, वैशाली जिला के हाजीपुर सदर थाना के दिग्घी के विजय कुशवाहा, सिवान जिला के सियाडी के सियरी गांव के कन्हैया कुशवाहा, मैरवा थाना के मैदनियां गांव के हृदयानंद सिंह, गोपालगंज जिला के फुलवरिया गांव के लौध गांव के हरेराम कुमार राम व सुपौल जिला के लौध गांव का मो.इरफान शामिल हैं।

इनमें से तिलक कुमार सिंह को गोरखपुर से गिरफ्तार किया गया। वहीं जांच में एक और नाम सामने आने के बाद अजय कुमार को बलिया से पकड़ा गया। पुलिस एसआइटी गठित कर विभिन्न बिंदुओं पर जांच कर रही है। निदेशक मनीष कुमार की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।

बता दें कि कंपनी ने अपनी शाखाएं बिहार, उत्तर प्रदेश तथा नेपाल में कई जगहों पर खोल रखी हैं। बिहार के मुजफ्फरपुर, सुपौल, पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, सारण, सीवान, गोपालगंज समेत 10 से ज्यादा जिलों में लड़कियों का शारीरिक और मानसिक शोषण किया जा रहा है।


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