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जंजीरों में जकड़े हुए दिखे धनबाद जिले के सैकड़ों मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव, जाने क्यों हुआ ऐसा

जंजीरों में जकड़े हुए दिखे धनबाद जिले के सैकड़ों मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव, जाने क्यों हुआ ऐसा

DHANBAD : आम तौर पर जंजीरों में किसी शातिर अपराधी या दिमागी रूप से विक्षिप्त लोगों को रखा जाता है। लेकिन, झारखंड के कोल सीटी धनबाद में नजारा कुछ अलग था। यहां सैंकड़ों की संख्या में मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव जंजीरों में जकड़े हुए सड़क पर नजर आए। सभी के हाथ में बेड़ियां थी लेकिन यह जंजीरें किसी अपराध के कारण नहीं थी। बल्कि एक विरोध प्रदर्शन का हिस्सा था। यहां अपनी नौ सूत्री मांगों को लेकर मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव बुधवार को एकदिवसीय हड़ताल कर रहे थे। जिसके लिए विरोध का यह अनोखा तरीका अपनाया गया।

 जिले में 600 रिप्रेजेंटेटिव हड़ताल में शामिल थे। हड़ताल, जुलूस और प्रदर्शन अनोखे अंदाज में किया गया। मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव ने प्रदर्शन और जुलूस के दौरान खुद को जंजीरों से जकड़ रखा था। उनका कहना था कि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की गलत नीति एवं मालिक की मनमानी उनको गुलाम बना रही है। बड़ी संख्या में मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव रणधीर वर्मा चौक पर जमा हुए और अनोखा जुलूस निकाला और प्रदर्शन किया। अपनी मांगों के समर्थन में सरकार के खिलाफ नारेबाजी लगाई। कार्यक्रम की अध्यक्षता बीएसएसआरयू के जिलाध्यक्ष संदीप आईच ने की। उनके साथ संयुक्त महामंत्री असीम हलधर, उपाध्यक्ष प्रभात कुमार आदि लोग शामिल थे।


यह है विरोध कर रहे एमआर की मांग

 बता दें कि बिहार-झारखंड सेल्स रिप्रेजेंटेटिवस यूनियन (बीएसएसआरयू) ने अखिल भारतीय दवा कर्मचारी महासंघ के आह्वान पर हड़ताल की। हड़ताल के माध्यम से मेडिकल सेल्स रिप्रेजेंटेटिव केंद्र सरकार से चार लेबर कोड निरस्त करने, सेल्स प्रमोशन एम्पलाई एक्ट 1976 लागू करने, दवा व दवा उपकरण से जीएसटी हटाने, दवा का ऑनलाइन सेल बंद करने और फिक्सड टर्म एंप्लॉयमेंट रद्द करने की मांग कर रहे हैं। उन्होंने राज्य सरकार से सभी मेडिकल एवं सेल्स रिप्रेजेंटेटिव के लिए एसपीई एक्ट 1976 लागू करने और मेडिकल एवं सेल्स रिप्रेजेंटेटिव की न्यूनतम मजदूरी 26,000 रुपए प्रतिमाह निर्धारित करने की मांग की। 

निगरानी का किया विरोध

दवा कंपनियों के मालिकों से ग्रीवांसेज रिड्रेसल फोरम लागू करने, सेल्स प्रमोशन एंप्लाइज का इलेक्ट्रॉनिक गैजेट से ट्रैकिंग बंद करने और मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पर नया वर्किंग सिस्टम लागू करने की नीति बंद करने की भी मांग की। चेतावनी दी गई कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जातीं, तो आनेवाले दिनों में हड़ताल और वृहद होगा, जिसकी जिम्मेदारी केंद्र सरकार, राज्य सरकार और दवा कंपनियों के मालिक की होगी।

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