JHARKHAND: माता-पिता 20 बीज हैं तो बच्चे पौधा हैं। पिता का दर्जा स्वर्ग से भी ऊंचा होता है। दरअसल, झारखंड हाई कोर्ट ने अपने एक आदेश में पिता का दर्जा स्वर्ग से भी ऊंचा होता है इस बात की चर्चा की है। हाईकोर्ट ने कहा कि जन्म लेने के काऱण कुछ ऋण होता है, जिसे चुकाना बेटे का कर्तव्य होता है। इसी टिप्पणी के साथ अदालत ने एक बेटे को अपने पिता को हर माह 3 हजार रुपए गुजारा भत्ता देने का आदेश दिया है।
हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
जानकारी के अनुसार कोडरमा के फैमिली कोर्ट ने मनोज साहू को आदेश दिया था कि वह अपने पिता को हर महीने ₹3000 गुजारा भत्ता देंगे। लेकिन इसके खिलाफ मनोज शाह ने हाईकोर्ट में अपील दाखिल की थी। वहीं इसी मामले में सुनवाई करते हुए झारखंड हाईकोर्ट ने फैमिली कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है और बेटे को उसका पवित्र कर्तव्य निभाने का आदेश दिया है।
पिता का दर्जा स्वर्ग से भी ऊंचा
बता दें कि, इस मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने यक्ष- युधिष्ठिर के बीच हुए संवाद की चर्चा करते हुए कहा कि महाभारत में यक्ष ने युधिष्ठिर से पूछा कि पृथ्वी से भी अधिक वजनदार क्या है? स्वर्ग से भी ऊंचा क्या है? हवा से भी क्षणभंगुर क्या है? और घास से भी अधिक असंख्य क्या है? इस पर युधिष्ठिर ने उत्तर दिया था कि मां धरती से भी भारी है, पिता स्वर्ग से भी ऊंचा है, मन हवा से भी क्षणभंगुर हैं और हमारे विचार घास से भी अधिक असंख्य है।
बेटे को देना होगा गुजारा भत्ता
इस घटना के चर्चा करते हुए जस्टिस सुभाष चंद्र की अदालत में एक बेटे को उसका पवित्र कर्तव्य निभाने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि एक व्यक्ति का जन्म लेने के कारण कुछ ऋण होते हैं जिसमें पिता और माता का ऋण भी शामिल होता है जिसे हमें चुकाना चाहिए। इसके साथी झारखंड हाईकोर्ट में एक बेटे को अपना कर्तव्य निभाने का आदेश दिया है। अदालत ने कहा है कि बेटे को हर महीने ₹3000 अपने पिता को गुजारा भत्ता देना होगा।