पटना. हाईकोर्ट ने एक अवमानना मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि अगर एक सप्ताह के अंदर अदालती आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो केंद्र सरकार के गृह सचिव एवं इलाहाबाद स्टाफ सेलेक्शन कमीशन के अध्यक्ष को कोर्ट में उपस्थित होना होगा। जस्टिस मोहित कुमार शाह ने पिंटू कुमार सिंह एवं अन्य की अवमानना याचिका पर सुनवाई की।
यह मामला सेंट्रल स्टाफ सेलेक्शन कमीशन द्वारा 21.01.15 को प्रकाशित विज्ञापन से सम्बंधित है। इसके तहत सीआरपीएफ, बीएसएफ, एसएसबी, सीआईएसएफ एवं आईटीबीपी में 62390 कॉन्स्टेबल की बहाली होनी थी।
विज्ञापन के अनुसार प्रवेश पत्र जारी कर फ़िज़िकल इग्ज़ैमिनेशन टेस्ट ले लिया गया। एसएससी द्वारा 04.05.16 को लिखित परीक्षा आयोजित की गई, जिसमें याचिकाकर्ताओं ने भाग लिया था। इसके परिणाम में याचिकाकर्ता सफल पाए गए। लेकिन बिना किसी वजह के नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के अभ्यर्थियों की नियुक्ति हेतु कट आफ मार्क्स में बदलाव लाकर परिणाम घोषित कर दिया गया। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि एसएससी द्वारा गलत तरीक़े से परिणाम घोषित कर उनसे कम अंक लाने वाले अभ्यर्थियों की बहाली कर ली गई।
इसके विरुद्ध याचिकाकर्ता ने इस बहाली प्रक्रिया को पटना हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। इस पर हाई कोर्ट ने अपने 05.04.2018 के आदेश में याचिकाकर्ताओं के कॉन्स्टेबल के पद पर नियुक्ति करने हेतु उनके दावों को 30 दिनों के भीतर विचार करने का निर्देश दिया था। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता राजीव कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि न्यायालय के आदेश के चार साल बीत जाने के बाद भी प्रतिवादियों द्वारा याचिकाकर्ताओं की बहाली हेतु आवश्यक कार्रवाई नहीं की। इस मामले की अगली सुनवाई 24 अगस्त 2022 को होगी।