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खबर का असर ! JE- प्रिंसिपल ने कागज पर ही 'रेन वाटर हार्वेस्टिंग' का निर्माण करा किया था बड़ा घोटाला, खबर के बाद आनन-फानन में अब जमीन पर शुरू हुई खानापूर्ति

खबर का असर ! JE- प्रिंसिपल ने कागज पर ही 'रेन वाटर हार्वेस्टिंग' का निर्माण करा किया था बड़ा घोटाला, खबर के बाद आनन-फानन में अब जमीन पर शुरू हुई खानापूर्ति

PATNA:  बिहार में रेन वाटर हार्वेस्टिंग निर्माण कागज पर ही हो गया. महालेखाकार ने मामले को धरा, फिर भी सब गोपनीय ही था. न्यूज4नेशन ने जब करोड़ों के घोटाले का पर्दाफाश किया तो अब धरातल पर खानापूर्ति शुरू हो गई है. रविवार को न्यूज4नेशन ने कागज पर बनाये गए रेन वाटर हार्वेस्टिंग की खबर बताई थी. वैसे तो यह सूबे के अधिकांश जिलों का मामला है, लेकिन पूर्वी चंपारण के वास्तविक हकीकत से रूबरू कराया था. बताया था कि कैसे सर्व शिक्षा अभियान के जूनियर इंजीनियर और प्रधानाध्यापकों ने मिलकर कागज पर ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग निर्माण का काम कर राशि की निकासी कर ली. महालेखाकार के विपत्र वापस करने के बाद भी लगभग 8 महीनों से शिक्षा विभाग कागजात को दबाकर बैठा था. खुलासे के बाद कुछ स्कूलों में फिर से काम शुरू कराया गया है. 

जेई व प्रिंसिपल मिल कर डकार गए थे राशि.खुलासे के बाद फिर से शुरू हुआ कार्य

पूर्वी चंपारण जिले में कागज पर ही बना रेन वाटर हार्वेस्टिंग. खुलासे के बाद हड़कंप मचा है. कुछ स्कूल के प्रधानाध्यापक पाप छुपाने की कोशिश में जुट गए हैं. वहां पर फिर से काम शुरू हो गया है,ताकि जांच हो तो वे बच सकें. लेकिन सबसे बड़ा गुनाहगार जिसने बिना बनाये ही पैसे का भुगतान करा दिया, वो JE यहां से ट्रांसफऱ कराकर जमुई भाग गए हैं. जिस समय की यह योजना है, उस समय जिले के सर्व शिक्षा अभियान में अमित कुमार नाम का जेई कार्यरत्त था. लेकिन अब वो यहां नहीं हैं. कई स्कूलों के प्रधानाध्यापक ने अपरोक्ष तौर पर उस जेई को इसके लिए जिम्मेदार बताया है. बड़ा सवाल यही है जब रेन वाटर हार्वेस्टिंग का काम नहीं हुआ था तो जेई ने बिल कैसे पास कर दिया ?  अगर काम पूरा हो गया था तो अब फिर से काम कराने की नौबत क्यों आन पड़ी. अगर सब कुछ ठीक था तो फिर महालेखाकार ने विपत्र को वापस क्यों कर दिया ? ये तमाम सवाल हैं..इस तमाम आरोपों में पूर्वी चंपारण के तत्कालीन जेई अमित कुमार व  अन्य अधिकारी घिरे हुए हैं. पूर्वी चंपारण सर्व शिक्षा अभियान के तत्कालीन जेई अमित  कुमार की पोल उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय झखऱा ही खोल रहा है. खबर प्रसारित होने के बाद वहां आधा-अधूरा बने रेन वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण कार्य की खानापूर्ति किया जा रहा है. वहीं तत्कालीन जेई अमित कुमार जिन पर कागज पर ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग निर्माण कराने का आरोप है, वह अब बात करने को तैयार नहीं. फोन ही रिसीव नहीं कर रहे. 

महालेखाकार ने पकड़ी थी भारी गड़बड़ी 

बिहार सरकार ने हाईस्कूलों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग निर्माण को लेकर राशि भेजी थी. बिहार शिक्षा 'रेन वाटर हार्वेस्टिंग'परियोजना पर्षद के माध्यम से सर्व शिक्षा अभियान को राशि गई थी. इसी के माध्यम से हाईस्कूलों में  रेन वाटर हार्वेस्टिंग निर्माण करना था. बिहार के स्कूलों में इस काम हुआ भी लेकिन कागज पर ही. उपयोगिता प्रमाण पत्र महालेखाकार को भेजी गई तो पूरी पोल-पट्टी खुल गई। महालेखाकार ने विपत्र में भारी गड़बड़ी बताकर उपयोगिता प्रमाण पत्र को वापस कर दिया. एजी ने जो त्रुटि बताया उसमें अभिश्रवों पर विद्यालय का पूरा नाम पता नहीं होना, पास फॉर पेमेंट के नीचे प्रधानाध्यापक का मोहर-हस्ताक्षर नहीं होना, पेड और कैंसिल के नीचे प्रधानाध्यापक का मुहर हस्ताक्षर नहीं होना .जीएसटी- टीडीएस की कटौती नहीं करना, भंडार पंजी में अंकित स्टॉक का पेज नंबर अभिश्रव पर अंकित नहीं होना, राशि भुगतान के माध्यम का अंकित नहीं होना, विद्यालय वार आवंटित राशि की सूची संलग्न नहीं होना. ₹5000 से ऊपर के बिल पर रेवेन्यू स्टांप नहीं होना. इन तमाम बिंदुओं को लेकर महालेखाकर ने बिहार शिक्षा परियोजना परिषद से प्राप्त डीसी विपत्रों को आपत्ति के साथ वापस कर दिया था. इसके बाद शिक्षा विभाग की नींद खुली और इसके निराकरण के लिए सभी जिलों को पत्र भेजा गया है. 

मोतिहारी जिले में भी कागज पर बना रेन वाटर हार्वेस्टिंग 

बिहार शिक्षा परियोजना पर्षद ने इस बाबत सभी जिलोंं को पत्र भेजा. इसके बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ है. मोतिहारी में भी रेन वाटर हार्सवेस्टिंग निर्माण में भारी घपला हुआ है. यहां  पर कागज पर निर्माण कर राशि की निकासी कर ली गई है. मोतिहारो में सरकारी स्कूल के एचएम,,इंजीनियर व अधिकारी के मिलीभगत से भारी घोटाला का उजागर हुआ है । सरकार के द्वारा 2019-20 में उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाने की योजना शुरू की गई थी.  लेकिन एचएम,इंजीनियर व अधिकारियों ने कागज में ही बनाकर  करोड़ो रूपये डकार गए। मोतिहारी में तो स्थिति यह है कि स्कूल में  बिना रेन वाटर हार्वेस्टिंग बने ही 62 हज़ार की निकासी कर ली गई. वहीं कार्यालय में उपयोगिता भी जमा कर दिया गया । सबसे बड़ा सवाल की जब स्कूल में रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए सिर्फ गढ्ढा हो खोदा गया तो इंजीनियर ने उसका बिल कैसे बनाया और बिना जांच के अधिकारी ने भुगतान कैसे कर दिया. 

उदाहरण के तौर पर मोतिहारी के अरेराज प्रखण्ड के UHS रढिया , झखरा,गोबिंदगंज, रामश्रिया,कमलुवा में सरकार द्वारा रेन वाटर हार्वेस्टिंग बनाने के लिए 80-80 हज़ार रुपए आवंटित किया गया था। इंजीनियर द्वारा प्राक्कलित राशि 73600 रुपया बनाया गया। जिले के 118 उत्क्रमित उच्च विद्यालयों में इस मद में 66240-66240 की दर से रुपया निकासी कर लिया गया । जिसका उपयोगिता भी विभाग में जमा कर लिया गया । लेकिन धरातल की स्थिति कुछ अलग ही बयां कर रही है ।अरेराज प्रखंड के उत्क्रमित उच्च विद्यालय झखरा में सिर्फ गढ्ढा ही खोदकर पूरी राशि निकासी कर ली गई. जबकि कुछ  विद्यालय में टंकी बना तो बोरिंग नही है तो कहीं पाइप ही नही लगा है।  कुछ विद्यालयों को छोड़ दें तो अधिकांश विद्यालयों में इंजीनियर ,एचएम व अधिकारी के मिलीभगत से बिना कार्य कराए ही रुपया का निकासी कर घोटाला कर लिया गया । यह योजना वर्ष 2019-20 का बताया जा रहा है। वहीं उपयोगिता प्रमाण पत्र में गड़बड़ी को लेकर महालेखाकार द्वारा विभाग को वापस करने पर हड़कंप मचा हुआ है । पटना प्रभारी पदाधिकारी Ac /dc उपयोगिता कोषांग द्वारा सभी डीपीओ को पत्र भेजकर त्रुटि की सुधार का निर्देश दिया गया है ।

क्या कहते हैं अधिकारी 

पूर्वी चंपारण जिले में रेन वाटर हार्वेस्टिंग का निर्माण कागज पर ही हुआ है. डीपीओ SSA हेमंत कुमार ने बताया कि यह मामला मेरे पदस्थापन से पहले का है. लेकिन वे इस मामले की जांच करायेंगे और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करेंगे. बता दें, जिस समय यह काम हुआ उस समय के पदस्थापित SSA जेई ने यहां से ट्रांसफऱ करा लिया है.

मोतिहारी से हिमांशु की रिपोर्ट

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