MOTIHARI: पूर्वी चंपारण के रक्सौल नगर परिषद में बड़े घपले की कोशिश के मास्टरमाइंड तक पहुंचने से पहले ही मोतिहारी की साईबर पुलिस सुस्त दिखने लगी.दो दिन पहले न्यूज4नेशन ने इस खबर प्रसारित किया. इसके बाद पुलिस की जांच की गाड़ी आगे बढ़ी है. पुलिस की जांच टीम ने रक्सौल नगर परिषद के ईओ व अन्य कर्मियों से पूछताछ की है. हालांकि पूछताछ में रिजल्ट क्या निकला इस बारे में जानकारी हासिल नहीं हो पाई है.
कार्यपालक पदाधिकारी से हुई लंबी पूछताछ
पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक मोतिहारी की साईबर पुलिस ने रक्सौल नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी से उनके दफ्तर में पूछताछ की है. जांच टीम गुरूवार को कार्यालय पहुंची थी, जहां बंद कमरे में लगभग दो घंटे तक कार्यपालक पदाधिकारी अनुभूति श्रीवास्तव से पूछताछ की है. साथ ही कार्यालय के अन्य कर्मियों से भी पूछताछ हुई है. हालांकि पुलिस की पूछताछ में क्या मिला है यह पता नहीं चल सका है. बता दें, केस दर्ज हुए 20 दिन बीत गए हैं ,लेकिन आज तक अदना सा कंप्यूटर ऑपरेटर की भी गिरफ्तारी नहीं हो पाई है. मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी की बात तो छोड़ ही दीजिए. जिस कंप्यूटर ऑपरेटर के खिलाफ पौने तीन करोड़ की अवैध निकासी की कोशिश का केस दर्ज किया गया, वहां तक पुलिस अब तक नहीं पहुंच पाई है. वैसे अदना सा कंप्यूटर ऑपरेटर इतना बड़े घोटाले की साजिश रचेगा,यह बात किसी के गले के नीचे नहीं उतर रही है.
बता दें, पिछले महीने ही रक्सौल नगर परिषद में सरकार का करोड़ों रू एक झटके में ही साफ करने की प्लानिंग रची गई थी. इस प्लानिंग में सरकारी सेवक जिनके ऊपर अमानत को संभाल कर रखने की जिम्मेदारी थी, उन्हीं लोगों ने अमानत का खयानत करने की ठानी. खैर..खुलासे के बाद लगभग पौन तीन करोड़ की राशि तो बच गई. लेकिन दफ्तर के जिम्मेदार लोग कटघरे में खड़े हो गए.
रक्सौल नगर परिषद में बड़े घोटाले की थी तैयारी
रक्सौल नगर परिषद के सरकारी खाता से 23 नवम्बर की मध्य रात्रि पौन तीन करोड़ की अवैध निकासी की कोशिश की गई. रात के 12 बजे के आसपास तीन वेंडरों के खाते में इतनी बड़ी राशि भेजने की कोशिश की गई। मामले का खुलसा तब हुआ जब पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी के मोबाइल पर आधी रात को बड़ी राशि भुगतान का मैसेज आया . इसके बाद उनके होश उड़ गए । पूर्व कार्यपालक पदाधिकारी ने इसकी सूचना रक्सौल में किसी पूर्व जन प्रतिनिधि को दिया । जिसके बाद फर्जीवाड़े के खेल को आनन फानन में रोका गया । 26 तारीख को डाटा ऑपरेटर के आवेदन पर साइबर थाना में एक कंप्यूटर ऑपरेटर आशीष कुमार व अन्य पर प्राथमिकी दर्ज कराया गया है ।
शहर में चर्चा बना हुआ है कि तीन दिनों तक मामला को दबाने के प्रयास के बाद अंत में प्राथमिकी दर्ज कराई गई. अगर तत्कालीन ईओ के मोबाइल पर मैसेज नही जाता तो गबन होना तय था. .यह जबरदस्त चर्चा है कि बिना बड़े पदधारकों की मिलीभगत के कैसे आधी रात को कोई कर्मी कार्यालय पहुंचकर फर्जीवाड़ा करने का प्रयास करेगा ? जबकि रक्सौल नगर परिषद और हाल ही में पदाधिकारी बन कर आए हाकिम का फर्जीवाड़ा से अटूट रिश्ता रहा है । लोग दबी जुबान यह भी चर्चा कर रहे कि दाल में काला नहीं बल्कि पूरी दाल ही काली है. सिर्फ सरकारी सेवक ही नहीं, बिना जनप्रतिनिधि की मिलीभगत के इतना बड़ा फर्जीवाड़ा संभव नही हो सकता. अदना सा कंप्यूटर ऑपरेटर बिना बड़े लोगों की मिलीभगत के कैसे आधी रात को कार्यालय खोल कर फर्जी तरीके से पौने तीन करोड़ का भुगतान कैसे करेगा ? अगर कंप्यूटर ऑपरेटर ने 23 नवंबर को इतना बड़े फर्जीवाड़े का प्रयास किया तो केस दर्ज करने में तीन दिन क्यों लग गए ? उसी रात इसकी सूचना पुलिस को क्यों नही दी गई? आखिर तीन दिनों बाद साइबर थाने में छोटे से कर्मी से प्राथमिकी दर्ज करने को आवेदन क्यो दिलवाया गया ? ये तमाम सवाल रक्सौल से लेकर पटना तक तैर रहे हैं. इसका जवाब नगर विकास विभाग के जिम्मेदार अधिकारियों को देने पड़ेंगे.