डेस्क- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में दिए दो बयानों पर बिहार में सियासी पारा चरम पर है. जाति आधारित सर्वे के आंकड़े पेश होने के बाद विधानसभा में चर्चा के दौरान सीएम नीतीश कुमार ने ऐसा कुछ कहा जिसपर सोशल मीडिया पर बहस छिड़ गई. उनके बयान पर आसपास बैठे विधायक भी असहज दिखे.सीएम नीतीश ने कहा, 'लड़की पढ़ लेगी अगर, तो जब शादी होगा. तब पुरुष रोज रात में करता है ना. उसी में और (बच्चे) पैदा हो जाता है. लड़की अगर पढ़ लेगी तो उसको भीतर मत ..., उसको .... कर दो. इसी में संख्या घट रही है.'पूरे सदन में इस बयान के दौरान अजीब स्थिति देखने को मिली. महिला विधायक इसपर नाराज दिखीं. वहीं कुछ अन्य विधायक हंस रहे थे.अपने संबोधन में नीतीश ने कहा कि 2011 की जनगणना की तुलना में साक्षरता दर 61 फीसदी से बढ़कर 79 फीसदी से ऊपर हो गई है.बयान पर चौतरफा घिर चुके नीतीश कुमार ने अपना बयान वापस ले लिया .उन्होंने आगे कहा, "मेरी कोई बात गलत थी तो मैं माफी मांगता हूं. जो लोग मेरी निंदा कर रहे हैं, उनका भी मैं अभिनंदन करता हूं."
मांझी पर मिसफायर कर गए नीतीश! अब हो रहा विरोध
नीतीश के सदन में 'सेक्स ज्ञान' पर हंगामा मचा ही था, जिस पर उन्होंने सदन में ही माफी मांगी. वह हंगामा अभी थमा भी नहीं था कि नीतीश ने जीतनराम मांझी को लेकर भी सदन में बयान दे दिया. सदन में आरक्षण संशोधन बिल पर चर्चा के दौरान जब जीतनराम मांझी अपनी बात रख रहे थे तो सीएम नीतीश कुमार अचानक उनपर बिफर पड़े और उन्हें तू-तड़ाक करने लगे. उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को जमकर लताड़ लगाई. उन्होंने कहा कि मेरी गलती थी कि इस आदमी को मैंने मुख्यमंत्री बनाया. एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सदन में आपे से बाहर दिखे. उन्होंने कहा कि "इसको कुछ आइडिया. बिना सेंस का कुछ भी बोल रहा है. मेरी ही गलती है कि मैंने इस आदमी को मैंने मुख्यमंत्री बनाया. ऐसे ही बोलते रहता है. इसको कुछ मालूम नहीं है. मैं कह रहा था कि उन्हीं लोगों के साथ रहिए, तो ई भागकर चला आया था मेरे पास. इसलिए इसको जानकर के भगाए इसको.नीतीश ने आगे कहा था कि ये (मांझी) गवर्नर बनना चाहता है. इसके बाद सीएम ने बीजेपी के विधायकों की तरफ इशारा करते हुए कहा था- इसको राज्यपाल बना दीजिए. इसके बाद मामला बिगड़ता देख सत्तापक्ष की तरफ से कुछ विधायक और तेजस्वी यादव ने नीतीश को संभाला था. बाद में विजय कुमार चौधरी ने नीतीश को रोका था
मौन धरने पर बैठने की नहीं मिली जीतन राम मांझी को इजाजत
इसपर आप सुप्रीमो ने बेहद संजीदगी से विरोध किया. हम के संस्थापक जीतनराम मांझी नीतीश के बयान के खिलाफ हाईकोर्ट के पास बने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के सामने पर प्रोटेस्ट करने पहुंचे तो प्रशासन ने अनुमति नहीं दी. उन्होंने दिल्ली के राजघाट पर धरना देने की बात भी कही है. इससे पहले बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सलाह देते हुए सीएम नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए मौन व्रत पर जाने से पहले कहा कि आज देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की जयंती है. आज के दिन राहुल गांधी को भूलकर भी नीतीश से मुलाकात नहीं करनी चाहिए. नहीं तो वह (नीतीश) नेहरूजी की जगह राहुल गांधी की ही जयंती मनाने लगेंगे. स्व.महावीर चौधरी पुण्यतिथि वाला कांड याद ही होगा?.'नीतीश कुमार के विधानसभा में बर्ताव के विरोध में जीतनराम मांझी पटना हाईकोर्ट के पास बने बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की प्रतिमा के सामने मौन धरने पर बैठने पहुंचे तो पार्क में ताला जड़ दिया गया. इससे जीतन राम माझी का पारा सातवें आसमान पर पहुंच गया. भाजपा के कई नेता मांझी को समर्थन देने पहुंचे. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी, नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा सहित कई भाजपा नेता हाईा कोर्ट के पास बाबा साहब पार्क के बाहर पहुचकर मांझी के पक्ष में समर्थन दिया. उन्होंने नीतीश कुमार को नैतिक रूप से बिहार के लिए असक्षम बताया. भाजपा ने नेताओं ने नीतीश को दलित और महिला विरोधी बताया और सीएम नीतीश से इस्तीफा मांगा. .
सेक्स ज्ञान' और मांझी पर कमेंट से हुआ बवाल तो बदला नीतीश का अंदाज
सियासी बवाल के बीच मुक्यमंत्री नीतीश ने मीडिया से दूरी बना ली है. मंगलवार को पटना में एक कार्यक्रम से लौटते समय पत्रकारों ने बातचीत की कोशिश की.मुख्यमंत्री ने बात तो नहीं की लेकिन उन्होंने झुककर नमस्कार किया. बिल्कुल दंडवत अंदाज में नमस्कार किया और चलते बने. 14 नवंबर को भी जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर राजकीय समारोह में नीतीश कुमार पहुंचे थे. मीडिया को कवरेज से पूरी तरह से दूर रखा गया था. कार्यक्रम के बाद जब मीडिया के लोगों ने सवाल पूछना चाहा तो नीतीश कुमार ने एक शब्द नहीं कहा. यही नहीं वो बार-बार मीडिया के आगे दंडवत प्रणाम करते नजर आए. इससे पहले मौलाना आजाद की जयंती पर भी मीडिया के कार्यक्रम में जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था. सूत्रों का कहना है कि जेडीयू के नेताओं और मंत्रियों ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बयान देने से रोका है. जिसे नीतीश ने भी मान लिया है. यही वजह है कि मुख्यमंत्री ने अब मीडिया से दूरी बना ली है.