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राष्ट्रपति के सामने ही CM नीतीश 'राज्यपाल' से अपनी बात मनवाने लगे ! कहा- हमरा बतवा मानिएगा न ? गवर्नर ने भी दिया जवाब- हम यही चाहते हैं कि यहां का किसान राजा बने

राष्ट्रपति के सामने ही CM नीतीश 'राज्यपाल' से अपनी बात मनवाने लगे ! कहा- हमरा बतवा मानिएगा न ? गवर्नर ने भी दिया जवाब- हम यही चाहते हैं कि यहां का किसान राजा बने

PATNA: बिहार में चौथे कृषि रोड मैप 2023 की शुरूआत हो गई है. राजधानी के बापू सभागार में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इसका शुभारंभ किया.चौथे कृषि रोड मैप में 12 विभागों को रखा गया है. इस कृषि रोड मैप की अवधि 2028 तक होगी. कृषि रौड मैप के लिए 1 लाख 62 हजार करोड़ रू पास किया गया है. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए सीएम नीतीश ने बिहार के राज्यपाल से कुछ बातें कहीं. इस पर राज्यपाल ने भी मुख्यमंत्री को सलाह देते हुए नसीहत भी दे दी. 

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि राज्यपाल भी बिहार का दौरा करते रहते हैं. वे लगातार फील्ड में जाते हैं. वे फील्ड में जाएं तो देखें कि कृषि रोड मैप का ठीक से पालन हो रहा है या नहीं... अगर कहीं कुछ देखें तो संबंधित अधिकारी को बता दें. इसके बाद सीएम नीतीश ने राज्यपाल की तरफ देखते हुए कहा कि,'' हमारा बतवा मानिएगा न, भले ही राज्यपाल को केंद्र सरकार बनाती है, उसे क्या हुआ... हम तो आपकी काफी इज्जत करते हैं. आप क्षेत्र में जाइए और तमाम बातों को भी देखिए और संबंधित विभाग को बताइए.''  


मुख्यमंत्री के बाद राज्यपाल  कार्यक्रम को संबोधित करने खड़े हुए। उन्होंने नीतीश सरकार को सलाह दिया कि जब तक किसान जागरूक नहीं होंगे, किसानों तक बात नहीं पहुंचेगी तो सारी योजना कागज पर ही रह जायेगी. उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को आम लोगों तक पहुंचाने की जरूरत है. किसानों तक नहीं पहुंचेगा तो फिर यह कागजों पर रह जाएगा . हमारे प्रधानमंत्री हमेशा कहते हैं कृषक की आय दो गुणी होनी चाहिए. इस पर भी हमको ध्यान देने की आवश्यकता है. आय दुगनी कैसे होगी इसके लिए हमारी फसल योजना में नई तकनीक सीखने की आवश्यकता है. हमारे किसान भाइयों को पता चलेगा की नई तकनीक अपनाने के बाद हम अपनी आय को दुगुनी कर सकते हैं. लागत को कम और उत्पादन को बढ़ाने की जरूरत है, तभी हमारी आय बढ़ सकती है.

बिहार के राज्यपाल ने हिमाचल प्रदेश का उदाहरण दिया. कहा कि हिमाचल में प्राकृतिक खेती को लेकर किसान काफी उत्सुक हैं. वहां के 2 लाख किसान भाई प्राकृतिक खेती से जुड़े हुए हैं. पूसा राजेंद्र कृषि विश्वविद्यालय इस पर अध्ययन कर रहा है. वे चाहते हैं कि यह विषय सभी किसान भाइयों तक पहुंचे. हम सबको प्राकृतिक खेती को समझने की जरूरत है. अगर हमने प्राकृतिक खेती को रोड मैप में जोड़ दिया तो यहां के किसान भाई भी किसी से काम नहीं रहेंगे. मेरा आग्रह है मुख्यमंत्री से और यहां के अधिकारियों से कि इस विषय को समझें. इस विषय को जह हम सभी किसान भाइयों तक पहुंचाएंगे, जो भी आवश्यकता है उसे पूरी करेंगे तब किसान उन्नत होंगे. प्राकृतिक खेती में लागत कम और उत्पादन बढ़ता है. यह कृषि रोड मैप जो बन रहा है यह किसानों के हित में है .ऐसा समझ कर चलना है. किसान यहां का राजा बने यही हमारी इच्छा है.

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