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सीएम नीतीश के नियुक्ति पत्र के जवाब में बिहार की जनता जल्द देगी मुक्ति पत्र : विजय सिन्हा

सीएम नीतीश के नियुक्ति पत्र के जवाब में बिहार की जनता जल्द देगी मुक्ति पत्र : विजय सिन्हा

PATNA : बिहार विधानसभा में  नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने नीतीश कुमार द्वारा पटना के गाँधी मैदान में समारोह आयोजित कर नियुक्ति पत्र वितरण को महज एक दिखावा करार दिया है। सिन्हा ने कहा कि पटना के गाँधी मैदान में 1 लाख 20 हजार 336 शिक्षकों को दिये गये नियुक्ति पत्र की सत्यता पर बिहार के लोग संदेह कर रहें हैं क्योंकि बिहार सरकार पर विभिन्न भर्तियों में घोटालों के साक्ष्य पब्लिक डोमेन में आ चुके हैं। सरकार को सिपाही परीक्षा, बी पी एस सी की पी टी परीक्षा, एस एस सी की परीक्षा सहित विभिन्न परीक्षाओं के दौरान अनियमितता के कारण रदद्  करना पड़ा हैं। सरेआम चर्चा है कि बिहार में जब से महागठबंधन की सरकार बनी है। यहाँ नौकरी पैसों से ख़रीदा जा रहा है। नियुक्ति पत्र वितरण का इस तरह दिखावा करके बिहार के जनमानस में नीतीश कुमार अपनी छवि  बनाना चाहते हैं। बिहार की जनता मुख्यमंत्री और सरकार की मंशा को भाँप चुकी है और उनके इस तरह के दिखावे वाले राजनीति को अब दरकिनार करते हुए प्रदेश में बदलाव का मन बना चुकी है। 

सिन्हा ने कहा कि नीतीश कुमार राजनीति के अवसान काल से गुजर रहे हैं और अब उनमें ना नेतृत्व की शक्ति बची है और ना ही उनका किसी विभाग पर दबदबा है।नियुक्ति पत्र बाँटने के नाम पर समारोह में सरकार ने करोड़ों रुपए बहा दिये है। उपमुख्यमंत्री के 10 लाख नौकरी देने का वादा जुमला साबित हुआ है। प्रदेश में जिस तरह से शिक्षा, स्वास्थ्य, गृह विभाग आदि की निष्क्रियता दिखाई दे रही है उससे यह तय हो गया है कि बिहार की जनता जल्द ही नीतीश कुमार को मुक्ति पत्र दे देगी। सिन्हा ने कहा कि बिहार में जिस तरह से दारोगा भर्ती, सिपाही भर्ती, अमीन परीक्षा सहित सभी पात्रता परीक्षाओं में धांधली और अनियमितता हुई है। बावजूद इसके सरकार इन विषयों पर संवेदनशील होने के बजाये वाहवाही लूटने में मग्न है। बिहार के हज़ारों लाखों छात्रों की प्रतिभा को दबा कर धनोपार्जन के लिए अयोग्य लोगों को नौकरी में शामिल करने की नीति इस सरकार की गलत नियत को दर्शाता है। हमने उक्त विषय हेतु लगातार आवाज़ उठाया है और इसकी जाँच हाईकोर्ट के सिटिंग जज या स्पीडी ट्रायल से कराने पर ज़ोर दिया है। लेकिन इस सरकार की ग़लत मंशा के कारण आज तक इन मामलों में कोई ठोस कार्यवाही नहीं हुई है। 

सिन्हा ने कहा कि हताश, परेशान छात्र लगातार मंत्रालय और विभागों का चक्कर लगा रहे हैं। उनकी सुध लेने वाला कोई नहीं है। यहाँ तक की शिक्षा मंत्री भी छात्रों को टरकाते और नज़रअंदाज़ करते नज़र आ रहे हैं। पिछले दिनों ही छात्रों का एक प्रतिनिधि मंडल हमसे मुलाक़ात कर EWS मामले और गलत प्रश्नपत्रों का सबूत पेश किया। बिहार के भविष्य सड़क पर दिन-रात बिता रहे हैं, और सरकार मंच से दिखावा और वाहवाही लूट रही है तो दूसरी तरफ सरकार के विभाग केवल फाईलों तक ही सीमित है। विभाग के तरफ से किसी तरह की कोई सकारात्मक पहल नहीं दिखाई दे रही है।

सिन्हा ने कहा कि सरकार को शीघ्र आँकड़ा जारी कर राज्य की जनता को बताना चाहिए कि इस नियुक्ति में कितने पहले से नियोजित अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र दिया गया है। मुख्यमंत्री की असहजता औऱ मंत्रियों को शिक्षक नियुक्ति का क्रेडिट नहीं लेने का उपदेश से स्पष्ट होता है कि यह नियुक्ति संशयपूर्ण, अस्थिर औऱ भेदभाव का नमूना है। अभी भी 1 से 5 कक्षा में शिक्षकों के हजारों पद रिक्त हैं। सरकार को योजनाबद्ध ढंग से नियुक्ति की कार्रवाई करनी चाहिए। लेकिन सरकार ने अपने राजनीतिक लाभ के लिए पूरी नियुक्ति प्रक्रिया को अराजक बना दिया है।

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