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कटिहार के इस गांव में हिंदू समुदाय सौ साल से मना रहे हैं मोहर्रम का त्योहार, दूर-दूर तक नहीं है कोई मुस्लिम आबादी

कटिहार के इस गांव में हिंदू समुदाय सौ साल से मना रहे हैं मोहर्रम का त्योहार, दूर-दूर तक नहीं है कोई मुस्लिम आबादी

KATIHAR : देश में जिस तरह धार्मिक कट्टरता बढ़ रही है और एक समुदाय दूसरे समुदाय के खिलाफ होता जा रहा है। उन सबके अब भी कुछ जगह ऐसी हैं जहां किसी पर्व के लिए कोई धार्मिक बाधा नहीं बनती है। कटिहार के  हसनगंज प्रखंड के मोहम्मदिया हरिपुर गांव ऐसी ही एक जगह है, जहांं लगभग सौ सालों से भी अधिक समय से हिंदू समुदाय के लोग मोहर्रम मनाते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि इस इलाके में दूर-दूर तक मुस्लिम आबादी नहीं है ऐसे में मोहम्मदिया हरिपुर गांव के हिंदू मोहर्रम के चर्चा पूरे इलाके में है।

दोस्त को किए वादे को निभा रही है अगली पीढ़ियां

आज जब दोस्ती की उम्र छोटी होती जा रही है. हरिपुर गांव के लोग एक दोस्त को किए गए वादे को पिछले सौ साल से भी ज्यादा समय से पीढ़ी दर पीढ़ी निभाते आ रहे हैं।  दरअसल कभी इस गांव के रहने वाले बकाली मियां और छेदी साह गहरे दोस्त थे और जब बकाली मियां यह इलाका छोड़कर जा रहे थे तो छेदी साह को इस वादे के साथ मजार सौंप कर गए थे कि हर साल यहां मुहर्रम मनाया जाएगा। कई पीढ़ी बीत जाने के बाद आज भी छेदी शाह के परिवार अपने पूर्वज के द्वारा किए गए वादे को निभाते हुए पूरे गांव के साथ मिलकर तमाम रीति-रिवाज से मोहर्रम मनाते हैं।

अब गांव के लिए बन गई परंपरा

दोस्ती से शुरू हुई यह परंपरा अब मोहम्मदिया हरिपुर की पहचान बन गई है। हर साल यहां छेदी साह के परिवार के साथ गांव के लोग भी पूरे उत्साह के साथ मोहर्रम का त्योहार मनाते हैं। बड़ी बात यह है कि इसमें हिंदू महिलाएं भी शिरकत करती हैं और सभी मजार की परिक्रमा करते हैं। स्थानीय जनप्रतिनिधि मनोज मंडल का कहना है कि जब छोटा था, तब से यहां मोहर्रम होता देखता रहा हूं। हिंदू-मुस्लिम एकता का सबसे बेहतरीन उदाहरण है।

श्याम की रिपोर्ट

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