INDEPENDENCE DAY SPECIAL: भारत की आज़ादी के लिए क्यों चुना गया 15 अगस्त का दिन, जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी

DESK: आज हमारे देश को अंग्रेजों से मुक्ति मिले 77 साल हो गए हैं। आज देश अपना 77वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। देश को अंग्रेजो की गुलामी से 14 अगस्त 1947 में मध्य रात्रि में मिली थी। 14 अगस्त की रात 12 बजकर1 मिनट पर देश की आजादी की घोषणा रेडियो से की गई। जिसके बाद देश के हर एक नागरिक के लिए यह दिन सबसे खास हो गया। 15 अगस्त को देश का हर नागरिक चाहे वो बुजुर्ग हो बच्चे हो या फिर युवा सभी एक समान उत्साह से मनाते हैं। आज के दिन देशवासियों के चेहरे पर जो रौनक होती है, वह सबसे अद्भूत है। और हो भी क्यों ना हम अपनी जीवन में यह दिन मना सके इसलिए ना जाने कितने ही देशभक्तों ने जान गंवा दी। हमें आजादी दिलाने के लिए कई मातों की गोद सुनी हो गई। कई बहने अपनी भाई की कलाईयों पर राखी ना बांध सकी। देश के वीर जवानों की बलिदान की गथा बच्चों बच्चों की जुबान पर रहती है।
15 अगस्त के दिन को पूरा देश बड़े ही उत्साह से मनाता है। हर जगह कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। झंडा तोलन कर, हमारे देश के वीर जवानों की बलिदानी को याद किया जाता है। बता दें कि, भारत ने अपना पहला स्वतंत्रता दिवस 1947 में मनाया था और इसीलिए इस साल 77वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जाना चाहिए, लेकिन आधिकारिक तौर पर इस साल 76वां स्वतंत्रता दिवस मनाया जा रहा है। इस साल स्वतंत्रता दिवस की थीम, आजादी का अमृत महोत्सव के साथ 'नेशन फर्स्ट, ऑल्वेज फर्स्ट' यानी 'राष्ट्र पहले, हमेशा पहले' है। लेकिन आपने कभी सोचा है कि, आखिर 15 अगस्त को ही स्वतंत्रता दिवस क्यों मनाई जाती है। ऐसी क्या वजह थी कि देश के आजादी के लिए 15 अगस्त को चुना गया। आइए आज इस सवाल के जबाव को पता करते हैं।
दरअसल, भारत को आजादी देने के लिए ब्रिटिश शासन ने 30 जून 1948 को चुना था। लेकिन इसी बीच में नेहरू और जिन्ना के बीच भारत और पाकिस्तान को लेकर बटवारे का मुद्दा शुरू हो गया। यह मुद्दा लोगों के बीच में सांप्रदायिक झगड़े की ओर ले जा रहा था। जिस वजह से देश को 15 अगस्त 1947 को ही आजाद कर दिया गया। अब जानते हैं कि 15 अगस्त को ही क्यों चुना गया। बता दें कि, भारत का अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन था। माउंटबेटन ने ही भारत को आजाद करने की घोषणा की थी। वहीं लॉर्ड माउंटबेटन ने अपने निजी कारणों से भारत की स्वतंत्रता के लिए 15 अगस्त को चुना था।
बताया जाता है कि इस दिन को वे अपने कार्यकाल के लिए बहुत सौभाग्यशाली मानते थे। इसके पीछे दूसरी खास वजह ये थी कि 15 अगस्त, 1945 के दिन द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान ब्रिटिश के सामने जापानी आर्मी ने आत्मसमर्पण किया था। उस समय ब्रिटिश की सेना में लार्ड माउण्टबेटन अलाइड फोर्सेज़ में कमांडर थे। जापानी सेना के आत्मसमर्पण का पूरा श्रेय माउण्टबेटन को दिया गया था, तो माउण्टबेटन 15 अगस्त को अपनी जिंदगी का सबसे अच्छा दिन मानते थे और इसलिए उन्होंने 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के लिए चुना। लेकिन आजादी के लिए इस दिन को चुनने में लॉर्ड माउंटबेटन को एक और रुकावट का सामना करना पड़ा।
दरअसल, लॉर्ड माउंटबेटन ने जब देश को आजाद करने के लिए 15 अगस्त के दिन की घोषणा की तो देश भर के ज्योतिषियों में आक्रोश पैदा हो गया क्योंकि ज्योतिषीय गणना के अनुसार 15 अगस्त 1947 का दिन अशुभ और अमंगलकारी था। वहीं विकल्प के तौर पर दूसरी तिथियां भी सुझाई गईं लेकिन माउंटबेटन 15 अगस्त की तारीख पर ही अड़े रहे, क्योंकि यह उनके लिए खास तारीख थी। आखिरी समस्या का हल निकालते हुए ज्योतिषियों ने बीच का रास्ता निकाला। फिर 14 और 15 अगस्त की मध्यरात्रि का समय सुझाया और इसके पीछे अंग्रेजी समय का ही हवाला दिया गया। अंग्रेजी परंपरा में रात 12 बजे के बाद नया दिन शुरू होता है। वहीं हिंदी गणना के अनुसार नए दिन का आरंभ सूर्योदय के साथ होता है। इसी उपाए के अनुसार इस समस्या का हल किया गया और देश की आजादी की घोषणा 14 अगस्त को मध्यरात्रि में 12 बजतक 1 मिनट पर कर दिया गया। जिसके बाद अगले दिन सुबह प्रधानमंत्री ने लाल किला पर झंडा फहराया। जिसके बाद से हर 15 अगस्त को प्रधानमंत्री लाल किला पर झंडा फहराते हैं और देशवासियों को संबोधित करते हैं।