LUCKNOW : भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) को हराने के लिए बड़े जोर-शोर के साथ अस्तित्व में आए इंडिया गठबंधन अब पूरी तरह से टूट चुका है। बंगाल, बिहार, पंजाब, दिल्ली के बाद अब यूपी में भी गठबंधन की सभी पार्टियों ने अपनी राहें अलग कर ली है। एक आखिरी उम्मीद कांग्रेस और सपा के बीच थी, जिनमें सीट शेयरिंग पर मतभेद खत्म नहीं हुए। . जिसके बाद अब सपा गठबंधन से अलग होकर चुनाव लड़ेगी. सूत्रों की माने तो अब दोनों ही पार्टी राज्य की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी।
अब नहीं होगी कोई मुलाकात
गठबंधन के लिए बातचीत टूटने के पीछे तीन लोकसभा सीटों के पेच को प्रमुख वजह बताया जा रहा है। सपा सूत्रों के मुताबिक कल देर रात तक चली बातचीत में भी जब कोई नतीजा नहीं निकला तब पार्टी ने बातचीत का सिलसिला यहीं रोकने का फैसला कर लिया। सपा सूत्रों ने यह भी दावा किया कि अब राहुल गांधी से अखिलेश यादव की भी कोई मुलाकात नहीं होगी।
गौरतलब है कि सपा ने एक दिन पहले ही कांग्रेस को 17 लोकसभा सीटों का फाइनल ऑफर दिया था. सपा ने दो टूक कह दिया था कि अब इससे अधिक सीटें हम कांग्रेस को नहीं दे सकते. सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने एक दिन पहले ही यह भी कहा था कि वह राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा में तभी शामिल होंगे जब गठबंधन फाइनल हो जाएगा। सपा प्रमुख अखिलेश के इस बयान को कांग्रेस के लिए रेड लाइन की तरह देखा जा रहा था।
इन तीन सीटों पर फंसा पेच
सूत्रों के अनुसार सपा की ओर से दिए गए ऑफर में अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, अमरोहा, बागपत, सहारनपुर, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, बुलंदशहर, फतेहपुर सीकरी, हाथरस, झांसी, बाराबंकी, कानपुर, सीतापुर, कैसरगंज और महाराजगंज सीट शामिल थी। सपा और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग को लेकर बातचीत में पेच तीन सीटों को लेकर फंस गया। कांग्रेस अपने प्रदेश अध्यक्ष अजय राय के लिए बलिया की सीट चाहती थी। साथ ही कांग्रेस मुरादाबाद और बिजनौर सीट पर भी दावा कर रही थी। मुरादाबाद सीट अभी सपा के कब्जे में है और सपा अपनी सीटिंग सीट समेत इनमें से कोई भी सीट छोड़ने के लिए तैयार नहीं हुई।