बिहार उत्तरप्रदेश मध्यप्रदेश उत्तराखंड झारखंड छत्तीसगढ़ राजस्थान पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश दिल्ली पश्चिम बंगाल

LATEST NEWS

विश्व ने माना भारतीय कूटनीति का लोहा, क्या कारण रहे भारत में जी20 शिखर सम्मेलन 2023 की सफलता के, विरोधियों ने भी क्यों किया समर्थन, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

विश्व ने माना भारतीय कूटनीति का लोहा, क्या कारण रहे भारत में जी20 शिखर सम्मेलन 2023 की सफलता के, विरोधियों ने भी क्यों किया समर्थन, पढ़िए इनसाइड स्टोरी

दिल्ली- दो दिवसीय जी-20 शिखर सम्मेलन के पहले दिन ही साझा घोषणापत्र पर सहमति बनना ऐतिहासिक रहा. शिखर सम्मेलन के अंत में हमेशा घोषणा पत्र जारी किया जाता है लेकिन ऐसा पहली बार हुआ कि इस पर सहमति का एलान पहले दिन ही कर दिया गया.जी-20 के मीडिया सेंटर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बयान दिया कि जी-20  घोषणा पत्र पर सभी देशों की सहमति बन गई है. इस बारे में सबसे पहले ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी ने जानकारी दी. अपने एक बयान में उन्होंने कहा, "मेरा प्रस्ताव है कि इस लीडर्स डिक्लेरेशन को भी एडॉप्ट किया जाए. मैं इस डिक्लेरेशन को अडॉप्ट करने की घोषणा करता हूं."जब पश्चिमी देश रूस के खिलाफ यूक्रेन युद्ध के लिये निंदा प्रस्ताव लाना चाह रहे थे,ऐसे में यह सफलता दोगुनी हो जाती है. भारत ने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की खुलकर कभी निंदा नहीं की है. इसने पश्चिमी देशों और रूस के बीच संतुलन बनाकर रखा और कहा कि शांति स्थापित करना ही समय की ज़रूरत है.भारत की कूटनीतिक कामयाबी थी कि घोषणा में यह बात भी आई कि यह युद्ध का युग नहीं है, रूस को चेतावनी भी दी गई कि परमाणु हमला या धमकी किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं है. सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के नहीं आने के बाद ये अनुमान लगाये जा रहे थे कि शायद घोषणा पत्र पर सहमति न बन सके. कूटनीतिक कौशल के साथ भारत सरकार ने शब्दों के चयन में ऐसी कुशलता दिखाई कि अमेरिका समेत पश्चिमी देशों के साथ रूस और चीन के प्रतिनिधि भी साझा प्रस्ताव से सहमत हो गए.जी-20 सम्मेलन भारत के नाम डंका बजा.


विकासशील देशों के आर्थिक और ऊर्जा के मामले का मुद्दा बनाने में सफल रहा. नरेंद्र मोदी सरकार की विदेशी नीति की सफलता है कि हमारी प्रतिष्ठा विश्व में शीर्ष पर पहुंची हैं. इन वैश्विक मुद्दों पर बीस देशों की सहमति बनाना एक दुष्कर काम जिसे भारत ने संभव कर दिखाया. भारत जहां जी-20 के सूत्रधार अमेरिका को अपना बात मनवाने में सफल रहा वहीं पुराने मित्र रूस से संबंधों की लाज भी रक ली.

अमेरिका की ओर से कहा गया है कि भारत को सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य बनाने में हरसंभव सहयोग किया जाएगा. मोदी की इस बात को वैश्विक समुदाय ने सराहा कि 21वीं सदी शांति और वैश्विक समुदाय के समग्र विकास का युग है, जिसके लिये पूरी दुनिया को एक परिवार के रूप में एकजुट होना है.


 भारत की एक बड़ी उपलब्धि यह भी है कि जिस अफ्रीका में चीन, रूस और तुर्की कब्जा जमाने को भारी निवेश कर रहे थे, उसका दिल भारत ने जीत लिया. अफ़्रीकी संघ की सदस्यता से भारत को कई और फायदे हैं. अफ़्रीकी संघ की जी-20 में शामिल होने की वकालत करके ये साबित किया है कि उसका ग्लोबल साउथ कहे जाने वाले विकासशील देशों का नेतृत्व करने का दावा ग़लत नहीं है.भारत के प्रयासों से 55 सदस्यों वाला अफ्रीकी संघ जी-20 का सदस्य बन गया है. इस सफलता का श्रेय भी भारत को ही मिल रहा है.जी-20 जैसे वैश्विक मंच में अफ्रीकी देशों की उपेक्षा नहीं हो सकती. अफ्रीका में खाद्य सुरक्षा संकट और आर्थिक असमानता के मुद्दों को उठाने का मौका मिलेगा.


जी-20 के दिल्ली शिखर सम्मेलन में 83 बिंदुओं पर सहमति बनना बड़ी नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धि है.वैश्विक हितों को प्राथमिकता देने से यह कामयाबी मिली है. 


Suggested News