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भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूर्वी क्षेत्र के 23 साल पूरे, कृषि सचिव ने की वैज्ञनिकों की जमकर तारीफ

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूर्वी क्षेत्र के 23 साल पूरे, कृषि सचिव ने की वैज्ञनिकों की जमकर तारीफ

PATNA : बिहार सरकार के कृषि सचिव डॉक्टर एन श्रवण कुमार ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पूर्वी क्षेत्र के कार्यकलापों की जमकर प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि कृषि वैज्ञानिकों ने कृषि के क्षेत्र में नए-नए आविष्कार कर देश को खासकर बिहार को एक नई मुकाम हासिल कराया है। कृषि सचिव बुधवार को पटना के भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद का पूर्वी क्षेत्र कार्यालय के 23 वें स्थापना दिवस पर किसानों को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि किसानों ने अपनी मेहनत और लगन की बदौलत बिहार में कृषि में एक नई क्रांति लाई है।

इस मौके पर परिषद के निदेशक डॉ अनूप दास ने कहा कि वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलिट्री वर्ष घोषित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह संस्थान ना केवल धान, गेहूं या दलहन तिलहन के क्षेत्र में कार्य कर रहा है बल्कि फसल विविधीकरण, पशुधन विकास, मत्स्य प्रबंधन, जल प्रबंधन, बागवानी, कृषि वानिकी तथा मुद्रा विज्ञान के क्षेत्र में भी सराहनीय कार्य कर रहा है। संस्थान का मूल उद्देश्य सातों पूर्वी राज्यों में टिकाऊ खेती के लिए कार्य करना है। 

उन्होंने कहा कि जिसका भौगोलिक क्षेत्र मात्र 22. 5% है जबकि जनसंख्या लगभग 34% है। उन्होंने कहा कि सुखार एवं कम वर्षा वाले क्षेत्र के लिए धान 5 के उन्नत प्रजाति स्वर्ण समृद्धि धान, स्वर्ण शक्ति धाम, स्वर्ण सुखार धान, स्वर्ण उन्नत धान एवं स्वर्ण पूर्वी धान को विकसित किया गया है। जिसकी उत्पादकता 40 से 55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है। उन्होंने कहा कि मखाना बिहार की एक प्रमुख नकदी फसल है। इस संस्थान के दरभंगा स्थित मखाना अनुसंधान केंद्र द्वारा मखाना की पहली प्रभेद स्वर्ण वैदेही विकसित की गई है। जिसकी उत्पादकता काफी अच्छी है। मखाना से आमदनी बढ़ाने के अवसर को देखते हुए असम, छत्तीसगढ़, झारखंड, उड़ीसा ,उत्तर प्रदेश एवं पश्चिम बंगाल में मखाना की खेती का प्रचार प्रसार किया जा रहा है। 

इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में बिहार सरकार के कृषि सचिव डॉक्टर इन श्रवण कुमार के अलावा कृषि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बीएस महापात्रा, कुलपति विधान चंद्र बिहार सरकार के कुलपति पशु एवं विश्वविद्यालय डॉ रामेश्वर सिंह अटारी, पटना के निदेशक डॉ अंजनी कुमार , राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र मुजफ्फरपुर के निदेशक डॉ विकास दास, कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर अनिल कुमार सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित थे।

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