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‘हमारा बजाज’ वाले राहुल बजाज के नाम से नाखुश थी इंदिरा, अपनी माँ को भी नहीं पहचानते थे राहुल, गांधी के ‘पांचवे बेटे’ के पोते के निधन पर जानिए अनकहे किस्से

‘हमारा बजाज’ वाले राहुल बजाज के नाम से नाखुश थी इंदिरा, अपनी माँ को भी नहीं पहचानते थे राहुल, गांधी के ‘पांचवे बेटे’ के पोते के निधन पर जानिए अनकहे किस्से

दिल्ली. एक दौर में भारत में स्कूटर का मतलब बजाज था और तब हर जुबां पर ‘हमारा बजाज’ लाने का श्रेय गया राहुल बजाज. शनिवार को राहुल बजाज का 83 साल की उम्र में निधन हो गया. लेकिन अपने पेशेवर दौर में राहुल बजाज ने वह मुकाम हासिल किया जिसने बजाज को भारत के घर घर तक लोकप्रिय नाम बना दिया. राहुल बजाज को लेकर बिजनेस की दुनिया में कहा जाता था कि वह अपने दौर से आगे की सोच रखने वाले उद्योगपति थे. अपने परिवार के पारिवारिक व्यवसाय को उन्होंने इसी कारण एक पहचान दिलाने में सफलता पाई और बजाज कई दशकों तक भारत के लोगों के लिए ‘हमारा बजाज’ बना रहा. 10 जून 1938 को कोलकाता में पैदा हुए राहुल बजाज वे 50 साल तक बजाज ग्रुप के चेयरमैन रहे. वे पिछले काफी समय से कैंसर से जूझ रहे थे और शनिवार को उन्होंने अंतिम सांस ली. उनके जीवन से जुड़े कही अनकहे कस्से रहे. राहुल बजाज के कार्यकाल में ही बजाज को लेकर एक और पंचलाइन प्रसिद्ध हुआ 'बुलंद भारत की बुलंद तस्वीर' .

राहुल बजाज भारत के स्वतंत्रता संग्राम के दौरान एक उद्योगपति और मोहनदास करमचंद गांधी के प्रमुख समर्थक जमनालाल बजाज के पोते थे.जमनालाल बजाज को उस दौर में गांधी का पांचवा पुत्र कहा जाता था. दरअसल गांधी के प्रति जिस प्रकार का समर्पण भाव और गांधी को जमनालाल पर विश्वास था उस कारण ही उन्हें गांधी का पांचवा बेटा कहा जाने लगा था. महात्मा गांधी भी उन्हें पुत्रवत स्नेह देते थे. 

जमनालाज भारत के पहले प्रधानमंत्री बने जवाहरलाल के भी अच्छे दोस्त थे. बाद में जमनालाल के बेटे कमलनयन बजाज भी नेहरु के खास मित्रों में शामिल रहे. इसी दौरान कमलनयन बजाज और सावित्री बजाज के घर बेटा हुआ तो उन्होंने नेहरु को उसके नामकरण की जिम्मेदारी सौंपी. तब जवाहरलाल नेहरु ने उनका नामकरण किया राहुल बजाज. हालांकि बच्चे का नाम राहुल रखने से नेहरु की बेटी इंदिरा गाँधी नाराज हो गई. कहा जाता है कि इंदिरा गांधी खुद अपने बच्चे का नाम राहुल रखना चाहती थीं. जब उन्हें पता चला कि पंडित नेहरु ने कमलनयन के बेटे का नाम राहुल रखा है तो इससे वे नाराज हो गई. बाद में इंदिरा ने अपने बड़े बेटे का नाम राजीव रखा और राजीव के बेटे का नाम राहुल गांधी रखा गया जो अब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं. 

इस बीच, 1961 में राहुल बजाज की मराठी ब्यूटी क्वीन कही जाने वाली लड़की रूपा गोलप से शादी हुई. 1966 में राहुल बजाज के घर बेटा हुआ तो उसका नाम उन्होंने राजीव रखा. यानी इंदिरा के बेटे का नाम. नेहरु और बजाज परिवार में इतनी ज्यादा नजदीकियां रहीं.  

एक किस्सा ये भी है कि भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान राहुल की मां जेल गईं थी और जब लंबे समय के बाद राहुल अपनी मां से मिले थे तो वे मां को पहचान नहीं पाए. राहुल ने अपनी मां से पूछा था कि आप ही हमारी मां हो? जिसे सुनकर सावित्री बजाज रोने लगीं.

जमनालाल बजाज ने साल 1926 में बजाज समूह के तहत चीनी मिल की स्थापना की थी. वहीं राहुल बजाज ने 26 नवंबर 1964 को 26 साल की उम्र में बजाज कंपनी में सबसे पहले कर्मिशियल डिपॉर्टमेंट संभाला. राहुल बजाज ने 60 के दशक में अमरीका के हार्वर्ड बिज़नेस स्कूल से एमबीए की डिग्री ली थी. पढ़ाई पूरी करने के बाद वर्ष 1968 में 30 वर्ष की उम्र में जब राहुल बजाज ने 'बजाज ऑटो लिमिटेड' के सीईओ का पद संभाला तो कहा गया कि ये मुक़ाम हासिल करने वाले वो सबसे युवा भारतीय हैं. उन्होंने परिवार की विरासत को अलग रूप देना शुरू किया. राहुल बजाज के दौर में बजाज स्कूटर का जलवा पूरे देश में दिखा. उनकी मेहनत और दूरदर्शी सोच की वजह से बजाज कंपनी 72 मिलियन से 46.16 बिलियन की कंपनी बन गई. बजाज ग्रुप देश की सबसे पुरानी कंपनियों में से एक है. बजाज ग्रुप के अंदर 26 और कंपनियां हैं. जिसमें बजाज ऑटो, बजाज इलैक्ट्रिकल्स, बजाज हिंदुस्तान शामिल हैं. बजाज ऑटो टू व्हीलर और थ्री व्हीलर बनाने में दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कंपनी है.

2005 में उन्होंने अपना चेयरमैन का पद छोड़ दिया था. इसके बाद उनके बेटे राजीव बजाज ने ये जिम्मेदारी संभाली. 2008 में उन्होंने बजाज ऑटो को तीन यूनिट में बांट दिया था. इसमें बजाज ऑटो, फाइनेंस कंपनी बजाज फिनसर्व और एक होल्डिंग कंपनी शामिल है. भारत सरकार ने 2001 में राहुल बजाज को पद्म भूषण से नवाजा था. 2006 से 2010 तक राहुल बजाज राज्यसभा के सदस्य भी रहे थे. वर्ष 2014 में केंद्र में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद राहुल बजाज ने मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना भी थी इसे लेकर उस दौर में काफी हंगामा हुआ था. 


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