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आजादी के बाद पहली बार दुर्गम पहाड़ियों में बसे थारू जाति के लोगों को रोजगार से जोड़ने की पहल, 500 परिवारों के लिए नाबार्ड ने उठाया बड़ा कदम

आजादी के बाद पहली बार दुर्गम पहाड़ियों में बसे थारू जाति के लोगों को रोजगार से जोड़ने की पहल, 500 परिवारों के लिए नाबार्ड ने उठाया बड़ा कदम

BETIA : इंडो नेपाल सीमा के तराई क्षेत्र के दुगर्म पहाड़ियों के बीच बसे दोन क्षेत्र के लिए एकीकृत आदिवासी विकास परियोजनाओं का भव्य उद्घाटन प•चम्पारण के नौरंगिया में नाबार्ड के CGM डॉ सुनील कुमार ने किया।   

दरअसल आज़ादी के बाद पहली बार दुर्गम इलाके दोन में 10 गांवों के क़रीब 500 परिवारों को सतत जीविकोपार्जन हेतु परियोजनाओं की शुरुआत की गई है ताक़ि थरुहट के थारू आदिवासी बहुल इलाकों में लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा सके जिससे उन्हें रोजगार के अवसर भी प्राप्त हों सकें। 

बताया जा रहा है कि दुर्गम पहाड़ी व नदियों के साथ जंगलों के बीच बसे दोन क्षेत्र में पहली बार सरकार की इतनी बड़ी योजनाओं कि एक साथ शुरुआत हुई है जिससे ग्रामीणों में बेहद उत्साह है । नाबार्ड से लाभान्वित हो रहे लाभुकों का कहना है कि आजादी के बाद पहली बार उनके सतत जीविकोपार्जन के लिए नाबार्ड जैसी संस्था रोजगार का अवसर दे रही है जिससे निश्चित तौर पर उनकी आर्थिक स्थिति सुधरेगी और क्षेत्र का चहुमुखी विकास होगा।

दोन में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम से पूर्व इस मेगा कैम्प के ज़रिए विकास की नई इबारत लिखने की क़वायद तेज़ हो गई है जिससे आदिवासी बहुल इलाकों में ख़ुशी का माहौल है। नाबार्ड के समन्यवक एम के पांडेय के नेतृत्व में 10 गांव के 500 परिवार यहां नाबार्ड की सहायता से मधुमक्खी पालन, बकरी पालन, सुअर पालन और नींबू व आम की बागवानी कर आत्मनिर्भर बनेंगे।

इधर नाबार्ड के सीजीएम का कहना है कि इस सुदूरवर्ती इलाके में लोगों को सतत जीविकोपार्जन हेतु सभी विभागों से तालमेल बैठा ग्रामीणों को सभी योजनाओं का लाभ दिया जाएगा ताकि इन लोगों को इलाके में ही रोजगार का सृजन हो सके।


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