बिहार के वरिष्ठ IPS अफसर अरविंद पांडेय पर की गई कार्रवाई के बाद राजनीति तेज, विपक्ष ने बताया DGP की रेस से हटाने की साजिश

PATNA: बिहार के वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय पर की गई कार्रवाई के बाद राजनीति तेज हो गई है। मुख्य विपक्षी राजद ने इस कार्रवाई को दुर्भावना से प्रेरित बताया है। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी अरविन्द पाण्डेय पर की गई कार्रवाई को दुर्भावना से प्रेरित बताते हुए इसकी तीखी आलोचना की है।
राजद प्रवक्ता ने कहा कि बिहार की बदत्तर विधि-व्यवस्था की सबसे बड़ी वजह पुलिस विभाग में नियुक्ति और पदस्थापन मे सरकार द्वारा अपनायी जा रही भेदभाव पूर्ण नीति है। अभी बिहार में पुलिस महानिदेशक पद पर नियुक्ति होने वाली है। पुलिस महानिदेशक के पद पर नियुक्ति के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा कुछ शर्तें लगा दी गई है। उन शर्तों के आधार पर पुलिस महानिदेशक पद के लिए अरविन्द पाण्डेय एक मजबूत दावेदार हैं। लेकिन सामाजिक पृष्ठभूमि और ईमानदार छवि के कारण राज्य सरकार उन्हें पुलिस महानिदेशक नहीं बनाना चाह रही है।इसलिए एक सुनियोजित साजिश के तहत इन्हें रास्ते से हटाने के लिए उस मामले को पुनर्जीवित कर दिया गया है जिसे 2013 मे हीं तत्कालीन मुख्यमंत्री जीतन राम माँझी के आदेश से बन्द कर दिया गया था।
उन्होंने कहा कि सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि माँझी जी के हटने के बाद नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे, यदि मांझी जी के निर्णय पर पुनर्विचार हीं करना था तो उसी समय करते,इतने दिनों के बाद इसे पुनर्जीवित करने का क्या मतलब ? राजद नेता ने कहा कि जबतक पूर्वाग्रह से ग्रसित होकर सक्षम और ईमानदार पदाधिकारियों की उपेक्षा होगी और सामाजिक आधार पर पदस्थापन किया जाएगा बिहार में विधि व्यवस्था में सुधार संभव नहीं है।
जानिए क्या है मामला:-
आप को बता दें कि झारखंड के मनातू प्रखंड के बीडीओ भवनाथ झा की हत्या के समय 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी अरविंद पांडेय पलामू जिला के एसपी थे। वर्ष 1997 में जब उग्रवादियों ने बीडीओ भवनाथ झा की हत्या की तो उस समय यह आरोप लगा कि पुलिस कप्तान रहते अरविंद पांडेय ने जिम्मेदारियों को सही तरीके से नहीं निभाया। विभागीय जांच में पांडेय की कार्यशैली में लापरवाही पाई गई थी।इसी मामले में पांडेय के खिलाफ विभागीय कार्यवाही संचालित की गई थी।