दिल्ली- भारत में जी 20 शिखर सम्मेलन को लेकर तैयारियां अपने सबाब पर हैं. वैसे तो इस सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए कई राष्ट्राध्यक्ष के साथ विशेष अतिथि और पत्रकार आ रहें हैं जिनपर पूरी दुनिया की नजर होगी. चर्चा भी होगी विशेष कर रूस और यूक्रेन लड़ाई के बाद बिगड़े हालात , क्लाईमेट चैंज पर छिड़ी बहस, अर्थव्यवस्था, व्यापार और भी ज्वलंत मुद्दा पर. वहीं भारत में इस साल होने वाली जी-20 समिट से रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने किनारा कर लिया है. जहां समिट में रूस का प्रतिनिधित्व विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव करेंगे, तो वहीं चीन की तरफ से प्रधानमंत्री ली कियांग भारत आएंगे. इसे लेकर भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा है कि यह पहली बार नहीं है जब जी-20 में कोई राष्ट्राध्यक्ष न पहुंचा हो. पहले भी ऐसे कई मौके आए हैं. जयशंकर ने कहा कि अलग-अलग समय पर जी-20 में कोई न कोई राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री रहे हैं, जो किसी वजह से खुद नहीं आ पाए हैं. इससे फर्क नहीं पड़ता. मायने यह रखता है कि उस देश का पक्ष और स्थिति क्या है और वह इसी बात से साफ हो जाता है कि वह अपने किस प्रतिनिधि को जी-20 के लिए भेजता है. उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि जी-20 में सभी काफी गंभीरता के साथ आ रहे हैं.
भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार बांग्लादेश, मिस्र, मॉरीशस, नीदरलैंड, नाइजीरिया, ओमान, सिंगापुर, स्पेन और संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधियों को जी20 शिखर सम्मेलन में आमंत्रित किया है. इसके अलावे जी20 समूह की इस बैठक में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, फ्रांस, जर्मनी, भारत, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया, तुर्की, ब्रिटेन, अमेरिका और यूरोपीय संघ के नेता शामिल होने की उम्मीद है.इसके साथ ही संयुक्त राष्ट्र , अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष और विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रतिनिधि भी जी20 में उपस्थित होंगे.
इस वर्ष के G20 का विषय 'वसुधैव कुटुंबकम' यानि एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य है.विदेश मंत्री से रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर सवाल पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा कि आप इसे ऐसे चित्रित कर सकती हैं लेकिन मेरे लिए कोई भी अपनी राष्ट्रीय स्थिति को सामने रखने की कोशिश करेगा. यदि आप चाहें तो अपनी बातचीत की स्थिति को अधिकतम करने की कोशिश करेंगे. मुझे लगता है कि आपको इंतजार करना चाहिए और देखना चाहिए कि बातचीत में वास्तव में क्या होता है और इसे पहले से ही इस आधार पर नहीं आंकना चाहिए कि एक अवसर पर क्या कहा जा सकता है और एक अवसर पर जो कहा गया था उसकी मीडिया व्याख्या क्या हो सकती है.