DESK: जमुई में तैनात जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी ने खुदकुशी कर ली है. 50 वर्षीय रामस्वरूप चौधरी मंगलवार की सुबह अपने कमरे में फंदे से झूलते पाए गए. उन्हें तत्काल ही परिजन अस्पातल लेकर पहुंचे जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. पुलिस फिलहाल घरवालों से पूरे मामले के संबंध में जानकरी इकट्ठा कर रही है. पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. पुलिस के मुताबिक पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण स्पष्ट हो पाएगा.
इसी बीच पुलिस को कमरे से सुसाइड नोट मिला है. जिस कमरे में डॉक्टर ने खुदकुशी की थी, उसी कमरे से उन्हें यह पत्र मिला. इसमें लिखा है कि कोरोना पीड़ित होने के बाद से उनकी मानसिक स्थिति बिगड़ सी गई थी. उनकी याद्दाश्त कम हो गई थी. जल्दी नींद नहीं आने और पागलपन जैसा महसूस होने के कारण उन्होनें यह बड़ा कदम उठाया. उन्होनें लिखा कि स्वभाव में बदलाव के चलते उनकी कार्यकुशलता में कमी आ गई थी, जिससे वह खुद को ही उपेक्षित महसूस करने लगे थे. उन्होनें किसी तरह के पारिवारिक विवाद की घटना से इंकार किया है.
वहीं इस मामले में सिविल सर्जन डॉ. विनय कुमार शर्मा ने बताया कि उनकी मौत की खबर से पूरा अस्पताल स्तब्ध है. सोमवार को ही उनसे मुलाकात हुई थी. वह बिल्कुल ठीक थे और उनपर काम को लेकर किसी तरह की कोई प्रेशर नहीं था. आपको बता दें कि कोरोना काल में जमुई में ‘कोरोना टेस्टिंग में फर्जीवाड़ा’ सामने आया था. जिसके बाद तत्कालीन जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी डॉ. विमल कुमार चौधरी को निलंबित कर दिया गया था और डॉ. रामस्वरूप चौधरी को जिला प्रतिरक्षण पदाधिकारी की कमान सौंपी गई थी. इसके साथ ही वह गिद्धौर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी भी थे.