जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा था - तेजस्वी को घोषणा पत्र में ऐलान करना चाहिए कि उन्होंने कितने लोगों की जमीनें हड़पी

पटना. नौकरी के बदले जमीन हड़पने के मामले में लालू यादव परिवार के खिलाफ जारी सीबीआई और ईडी की कार्रवाई के बीच जदयू अध्यक्ष ललन सिंह ने शनिवार को पूरी जांच प्रक्रिया पर सवाल उठाया है. ललन सिंह ने ट्वीट किया कि नौकरी के बदले जमीन मामले में सीबीआई दो बार जांच कर साक्ष्य नहीं जुटा पाई। लेकिन 9 अगस्त 2022 के बाद अचानक दिव्यशक्ति से उनको साक्ष्य मिलने लग गया और माननीय लालू प्रसाद जी एवं उनके परिजनों के यहां भारी छापेमारी हुई, खोदा पहाड़ निकली चुहिया।
ललन सिंह यही नहीं रूके और लिखा कि अरे भाई...! साक्ष्य नहीं भी मिलता तो साक्ष्य दिखाने के लिए पालतू तोते कुछ भी कर सकते हैं। गाय का सींग भैंस में और भैंस का सींग गाय में जोड़ रहे हैं। अखबार कहता है कि 'एके इंफोसिस्टम के कारण छापा डाला गया है'... जिसका नौकरी से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन खैर पालतू तोते अपने मालिक का निर्देश पाकर कुछ भी कर सकते हैं, अघोषित आपातकाल जो है। गर्भवती महिला और छोटे-छोटे बच्चों के साथ इस तरह का निर्मम आचरण देश में पहली बार हुआ है, देश इसको याद रखेगा। दमन चाहे जितना कर लें, 2024 में देश भाजपा मुक्त होगा।
हालांकि ललन सिंह का लालू और तेजस्वी के बचाव में किया गया यह ट्विट उनके गले की आफत बन गया. ट्विटर पर कई यूजर ने ललन सिंह का एक पुराना वीडियो शेयर किया है. यह वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव के समय का है. इसमें ललन सिंह मीडिया से बात करते हुए कह रहे हैं कि- तेजस्वी जी को अपने घोषणा पत्र में यह ऐलान करना चाहिए कि उन्होंने कितने लोगों की जमीनें हड़पी हैं। ललन सिंह ने कहा कि उन्हें यह भी बताना चाहिए कि टिकट बेचकर कितनी संपत्ति हासिल की है। यह वीडियो क्लिप तेजी से वायरल हो रहा है।
गौरतलब है कि लालू यादव के रेलमंत्री रहते हुए वर्ष 2004 से 2009 के बीच रेलवे में कई लोगों को ग्रुप डी की नौकरी दी गई. आरोप में कहा गया है कि इसमें भर्ती नियमों की अवहेलना की गई. साथ ही लालू ने नौकरी के बदले लोगों से उनकी जमीन ले ली. इस मामले में उनके खिलाफ केंद्रीय जांच एजेंसियां पिछले कई वर्षों से जांच कर रही है. पिछले साल ही इस मामले में आरोपपत्र भी दाखिल किया गया.
वहीं होली के ठीक पहले 6 मार्च को सीबीआई ने पहले पटना में राबड़ी देवी और फिर दिल्ली में लालू यादव से घंटों पूछताछ की. 10 मार्च इसी मामले में ईडी ने देश भर में लालू यादव से जुड़े उनके पारिवारिक सदस्यों, रिश्तेदारों और निकटस्थ लोगों के करीब दो दर्जन ठिकानों पर अलग अलग राज्यों में छापेमारी की. इसमें तेजस्वी यादव का दिल्ली स्थित आवास भी शामिल रहा जहाँ उनकी पत्नी राजश्री उपस्थित थी.