पटना. नीतीश कुमार के एनडीए से अलग होकर राजद संग नई सरकार बनाने के फैसले के बाद उन्हें पहला बड़ा झटका केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस ने दिया है. पशुपति पारस ने मंगलवार को कहा कि उनका दल राष्ट्रीय लोक समता पार्टी NDA के साथ ही रहेगा. यानी पशुपति पारस बिहार में नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के गठजोड़ वाली सरकार में शामिल नहीं होगे.
पशुपति पारस ने अपने फैसले को लेकर कहा कि राजद और जदयू के गठबंधन का फार्मूला फेल हो चुका है. वर्ष 2015 में जब नीतीश कुमार ने राजद के साथ मिलकर सरकार बनाई थी उसके बाद जिस तरह से बिहार में उथलपुथल की स्थिति रही. जिस तरह से राजद के साथ आने के बाद बिहार में फिर से कई प्रकार की अराजकता देखने को मिली उससे यह स्पष्ट हो चुका है कि बिहार में राजद और जदयू के गठबंधन का फार्मूला फेल साबित हुआ है. 2015 से जुलाई 2017 के बीच ही किसी तरह से वह सरकार बनी. लेकिन अब एक बार फिर से नीतीश कुमार वही करने जा रहे हैं.
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार का निर्णय बिहार के हित में नहीं है. उन्होंने जनता से मिले समर्थन के विपरीत जाकर आज निर्णय लिया है. उन्हें एनडीए में रहकर सरकार चलाने का समर्थन मिला था. लेकिन नीतीश अब राजद के साथ जा रहे हैं जो जनता से मिले बहुमत के खिलाफ निर्णय है. इसलिए राष्ट्रीय लोक समता पार्टी ने एनडीए में ही रहने का निर्णय लिया है. हम बिहार और देश के विकास के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मिलकर काम करते रहेंगे.
गौरतलब है कि पशुपति पारस के भतीजे चिराग पासवान पहले से ही नीतीश कुमार के धुर विरोधी हैं. वे लगातार नीतीश कुमार पर हमला बोलते रहे हैं. हलाकि चिराग पासवान का पशुपति पारस से भी मधुर संबंध नहीं है. पारस पहले ही लोजपा को तोड़कर अलग दल बना चुके हैं. चिराग ने बिहार में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की है. अब पशुपति पारस भी चिराग की भांति नीतीश का साथ छोड़ दिया है.