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JHARKHAND NEWS: मई के दूसरे हफ्ते में गहराया जल संकट, कई जगह दूषित पानी पीने को मजबूर हैं लोग

JHARKHAND NEWS: मई के दूसरे हफ्ते में गहराया जल संकट, कई जगह दूषित पानी पीने को मजबूर हैं लोग

DESK: देश में हर साल गर्मी का प्रकोप बढ़ते ही कई क्षेत्रों में जल संकट बढ़ जाता है. लोगों को पानी के लिए कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है. तब जाकर उन्हें थोड़ा सा पानी नसीब होता है. भारत में भौगोलिक स्थिति में परिवर्तन की वजह से सभी जगह एक जैसा पानी जलस्तर नहीं है. कहीं पानी का स्तर काफी ज्यादा है तो कहीं गर्मी की शुरुआत में ही पानी खत्म हो जाता है. इस वजह से लोगों को काफी परेशानी होती है. सबसे ज्यादा दिक्कत महिलाओं को होती है. उन्हें पानी लाने के लिए रोजाना कई किलोमीटर दूर जाना पड़ता है.

झारखंड में गर्मी के दस्तक देते ही जल संकट शुरू हो जाता है. रांची, लोहरदगा, लातेहार के सुदूरवर्ती इलाकों में कुएं और कुछ जलस्रोतों के सूख जाने से लोगों की परेशानी बढ़ गई है. रांची और लोहरदगा के सीमाने से सटे चंदवा प्रखंड के सुदूरवर्ती पंचायत पंचायत बरवाटोली के जवाखाड़ और बेलटाड़ तथा लाधुप पंचायत के आरा, कंरजुआ और उबका के ग्रामीण पानी की समस्या से जूझ रहे हैं. वहीं लातेहार के सदर प्रखंड के सांसग पंचायत के पाहन टोला के ग्रामीणों के बीच पानी के लिए हाहाकार मचा हुआ है. इस टोला में आदिवासी समुदाय के 20 से 25 घर है, जिसकी आबादी करीब 100 है. टोले में एकमात्र कुएं से सभी की प्यास बुझती है, लेकिन फिलहाल कुआं पूरी तरह से सूख गया है.

लातेहार में महिलाओं को रोजाना एक किलोमीटर दूर जाकर पानी लाना पड़ता है. गांव से कुछ दूरी में एक हैंडपंप भी है, लेकिन वो भी दो साल से खराब पड़ा हुआ है. इसे बनाने के लिए गांववालों ने मुखिया व पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को आवेदन भी दिया, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. इसी तरह आरा गांव में तीन साल से जलमीनार खराब है. गांव में लगा एक चापाकल खराब है और दूसरे ने पानी खींचना बंद कर दिया है. कई गांवों की हालत इतनी बुरी है कि ग्रामीण दूषित पानी पीकर प्यास बुझा रहे हैं. इन सुदूरवर्ती इलाकों को अब भी सरकार से मदद की आस है, ताकि इन्हें साफ पानी सालभर नसीब हो सके. 

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