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जीतनराम मांझी के हम ने कृषि विभाग के अधिकारी पर लगाया गंभीर आरोप, किसानों के बीच कर रहे घटिया बीज का वितरण, सरकार करे हस्तक्षेप

जीतनराम मांझी के हम ने कृषि विभाग के अधिकारी पर लगाया गंभीर आरोप, किसानों के बीच कर रहे घटिया बीज का वितरण, सरकार करे हस्तक्षेप

AURANGABAD: बिहार सरकार के कृषि विभाग के किसानों ने बड़ा आरोप लगाया है। किसानों का कहना है कि कृषि विभाग की ओर से खरीफ फसल में हरित चादर के रुप में उपलब्ध कराया गया ढैंचा का बीच बिल्कुल खराब है। बीज आधा से अधिक सड़ा हुआ है और उसमें घुन लगे हुए हैं। यहीं नहीं किसानो का कहना है कि अच्छे बीज और खराब बीज को एक साथ रख दिया गया है। जिससे सभी बीज खराब हो गए हैं। वहीं अब इस मामले में हम सेक्युलर पार्टी के किसान प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष राजीव रंजन से सरकार से बड़ा सवाल किया है। उन्होंने कृषि पदाधिकारियों पर आरोप लगाते हुए कहा है कि वो किसानों को गुमराह करने के लिए घटिया बीज उपलब्ध करा रहे हैं। 

उन्होंने कहा कि, औरंगाबाद जिले के कृषि विभाग के पदाधिकारी जान बूझकर अपने निजी आर्थिक फायदे के लिए किसानों को गुमराह कर घटिया बीज उपलब्ध करा रहे हैं। इसके लिए प्रखंड एवं जिला में बैठे पदाधिकारी बड़े ही सुनियोजित तरीके से अपने निचे के कर्मचारी तथा पंचायत में कार्यरत कृषि सालाहकारों पर दबाव बनाकर घटिया बीज को किसानों को गुमराह कर बाटने का दबाव बना रहे हैं। 

राजीव रंजन ने कहा कि, जो भी कर्मचारी या कृषि सलाहकार उच्च पदाधिकारोंयों के इस कुकृत्य में उनका साथ नहीं दे रहे हैं उनपर कार्रवाई भी की जा रही है एवं अंदरूनी धमकी तथा विभागीय दबाव भी बनाया जा रहा है। जिले के कई गावों के किसानों को गुमराह कर पिछले साल भी MTU 7029 धान के घटिया बीज को उपलब्ध कराया गया था जिससे किसानों को भारी क्षति हुई थी।

उन्होंने कहा कि इस खेल में पदाधिकारी मालमल हो रहे है जबकि छोटे कर्मचारयों एवं कृषि सालाहकारों को किसानों का आक्रोश झेलना पड़ता है। उन्होंने कहा कि हम जिला पदाधिकारी से इस मामले की गहन जांच कर सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करवाने वाले इन चंद रिश्वतखोरों पर उचित कार्रवाई की अपेक्षा करते है।

किसानों का कहना है कि, इस मामले में एजेंसी दोषी हैं। एक ओर जहां सरकार अच्छे किस्म की बीज किसानों को देने की बात करती है तो वहीं एजेंसी के द्वारा घटिया बीजों का वितरण किया जाता है। जिससे उनकी फसल खराब हो जाती है और उन्हें दोहरे मार का शिकार होना पड़ता है। 

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