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कलंक कथा : SDO की बात तो दूर यहां तो परिवहन का 'दारोगा' भी धनकुबेर है ! 1 दिन में पटना में खरीद लिया 26 D कॉमर्शियल प्लॉट..'आम बगीचा' की जानकारी दी पर 'प्लॉट' का छुपा लिया...

कलंक कथा : SDO की बात तो दूर यहां तो परिवहन का 'दारोगा' भी धनकुबेर है ! 1 दिन में पटना में खरीद लिया 26 D कॉमर्शियल प्लॉट..'आम बगीचा' की जानकारी दी पर 'प्लॉट' का छुपा लिया...

PATNA: बिहार में धनकुबेर अफसरों के खिलाफ अभियान जारी है. 1 जून को विशेष निगरानी इकाई ने एक बड़े अफसर यानि SDM के ठिकानों पर छापेमारी की थी. जांच में अकूत संपत्ति का पता चला है. मोहनिया के एसडीएम सत्येंद्र प्रसाद के तीन ठिकानों पर विशेष निगरानी इकाई ने एक साथ छापा मारा। इस कार्रवाई में एसडीएम के डेढ़ करोड़ के मकान, 25 लाख रुपये बैंक में और एलआइसी में 25 लाख के निवेश का पता चला है . सत्येंद्र प्रसाद के ठिकाने से 15 लाख रुपये मूल्य के सोने-चांदी के जेवरात और कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट भी बरामद किए गए हैं। अब तक की कार्रवाई में एसडीएम की वैध कमाई से डेढ़ सौ गुणा ज्यादा अवैध संपत्ति अर्जन के प्रमाण मिले हैं। एसवीयू ने सत्येंद्र प्रसाद के विरुद्ध गैरकानूनी और नाजायज तरीके से 84.25 लाख रुपये की संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज कर कोर्ट से छापा मारने की अनुमति मांगी थी। यह तो बिहार प्रशासनिक सेवा के अधिकारी यानि राज्य के बड़े अधिकारी हैं. यहां तो छोटे-छोटे सरकारी सेवक भी धनकुबेर हैं. परिवहन विभाग का एक दारोगा पटना में 9 कट्ठा व्यवसायिक जमीन की खऱीद करता है और उसकी जानकारी सरकार को नहीं दिया.. दारोगा ने आम का बागीचा, पैतृक गांव का मकान -जमीन, जिला मुख्यालय में जमीन-मकान के बारे में जानकारी साझा किया, लेकिन पटना सिटी में 2020 में पत्नी के नाम पर क्रय कॉमर्शियल भूखंड के बारे में जानकारी छुपा लिया. 

एक दिन में 26 डिसमिल कॉमर्शियल जमीन की कराई रजिस्ट्री 

परिवहन विभाग में प्रवर्तन अवर निरीक्षक (दारोगा) जिनका पैतृक गांव चंपारण हैं. इन्होंने अपनी पत्नी कुमारी #### व एक अन्य के नाम पर पटना सिटी में व्यवसायिक जमीन की खरीद की है. परिवहन के सब-इंस्पेक्टर ने जुलाई 2020 में पटना सिटी के रजिस्ट्री कार्यालय में एक दिन में लगभग 26 डिसमिल जमीन की रजिस्ट्री कराई। इस 26 डिसमिल जमीन का सरकारी रेट लगभग 18 लाख है. निबंधन के कागजात में जमीन को व्यवसायिक ब्रांच रोड बताया गया है. यहां तक तो सब ठीक है. जमीन की रजिस्ट्री कराना गलत नहीं है. गलत तब है जब उस जमीन को परिवहन के सब-इंस्पेक्टर ने संपत्ति के ब्योरा में छुपा लिया. प्रवर्तन अवर निरीक्षक ने 2023 में संपत्ति का जो ब्योरा दिया है उसमें सारी बातें हैं, पर पटना सिटी वाला उस जमीन का ब्योरा नहीं दिया गया है. जबकि यह व्यवसायिक जमीन 2020 में ही खरीद की गई। सरकारी सेवक को स्वयं या पत्नी के नाम पर अर्जित संपत्ति की जानकारी साझा करना होता है. सरकार के आदेश पर हर सरकारी सेवक संपत्ति की जानकारी देता है. सभी जानकारी देते भी हैं लेकिन वहां भी खेल कर देते हैं. कुछ ऐसे सरकारी सेवक हैं जो चालाकी करते हैं और पत्नी के नाम पर अर्जित महंगी जमीन खरीद की जानकारी छुपा लेते हैं. सरकार की नजर में वो संपत्ति अवैध मानी जाती है और डीए का केस हो सकता है. 

आखिर कौन हैं ये परिवहन सब-इंस्पेक्टर....

बता दें, जिस प्रवर्तन अवर निरीक्षक (दारोगा) ### कुमार ### की बात कर रहे हैं उनका पैतृक घऱ चंपारण के गंडक तटवर्ती इलाका है.  वर्तमान में इनकी प्रतिनियुक्ति गंगा नदी के किनारे के एक शहर में है.इसी साल विभाग ने इन्हें एक कमिश्नरी से हटाकर दूसरे कमिश्नरी मुख्यालय में प्रतिनियुक्त किया है. विभागीय सूत्र बताते हैं कि ये हमेशा मनचाही प्रतिनियुक्ति लेते रहे हैं. वर्तमान में जहां हैं वह आज की तारीख में काफी उर्वर जगह है. उर्वर इस मायने में कि 'पुल' की वजह से 'श्रोत' बढ़ा हुआ है. वैसे प्रवर्तन अवर निरीक्षक की पत्नी हाऊस वाइफ हैं. परिवहन सब-इंस्पेक्टर ने खुद की संपत्ति का जो ब्योरा दिया है उसमें पैतृक गांव की जमीन,गांधी के शहर जिला मुख्यालय स्थित मकान,बागीचा के साथ-साथ नोएडा में पत्नी के नाम पर फ्लैट बुकिंग का भी उल्लेख किया है. अब सब-इंस्पेक्टर की पूरी पोल-पट्टी खुल गई है,साथ ही पड़ताल भी शुरू हो गई है.

 

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