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कनिष्क विमान दुर्घटना आज पूरे हुए 35 साल, किसी उड़ते हवाई जहाज को बम से उड़ाने की हुई थी पहली घटना

कनिष्क विमान दुर्घटना आज पूरे हुए 35 साल, किसी उड़ते हवाई जहाज को बम से उड़ाने की हुई थी पहली घटना

NEWS4NATION DESK : 35 साल पहले आज ही के दिन एक बड़ी घटना हुई थी। जिसने देश ही नहीं पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया था। उस घटना को याद कर आज भी लोगों के रुह कांप जाते है। 23 जून 1985 को भी संडे था, लेकिन वो संडे दुनिया के इतिहास के बेहद वीभत्स और मनहूस दिनों में गिना जाता है। उस दिन एयर क्रैश में एकसाथ 329 लोग मारे गए थे।  

एयर इंडिया फ्लाइट कनिष्क-182 टोरंटो से उड़ान भरने के बाद लंदन होते हुए कुछ घंटों में नई दिल्ली पहुंचने वाली थी, लेकिन सुबह होने से पहले यूरोप की सीमा में दाखिल होने के बाद 31 हजार फीट की ऊंचाई पर इस विमान में जोरदार धमाका हुआ और उसमें सवार सभी 329 लोग मारे गए।

एयर इंडिया का बोइंग विमान कनिष्क हवाई जहाज में 307 यात्री और 22 क्रू मेंबर्स सवार थे और टोरंटो से इन लोगों को लेकर विमान यूरोप की सीमा में दाखिल होने के बाद आयरलैंड की ओर पहुंचा ही था कि उसमें धमाका हो गया जिससे हजारों फीट की ऊंचाई पर विमान में आग लग गई और जलता हुआ विमान अटलांटिक सागर में गिर गया, साथ ही सवार सभी यात्रियों की मौत हो गई।

हादसे में मारे गए कुल 329 लोगों में से 268 कनाडा, 27 इंग्लैंड, 10 अमेरिका और 2 भारत के नागरिक थे। साथ ही जहाज की क्रू में शामिल सभी भारतीय 22 लोग भी मारे गए। 329 लोगों में महज  131 यात्रियों के शव ही महासागर से बरामद किए जा सके थे। 

कनाडा और भारत की ओर से जांच में इस हादसे के लिए सिख आतंकी संगठन बब्बर खालसा को जिम्मेदार ठहराया गया और कहा गया कि उसी ने हवाई जहाज में बम रखने की योजना को अंजाम दिया। बब्बर खालसा के अलावा हमले की इस साजिश में कनाडा का भी एक ग्रुप शामिल था। कनाडा की जांच समिति की ओर से यह आशंका जताई कि इसके पीछे इंटरनेशनल सिख यूथ फेडरेशन भी शामिल था। किसी उड़ते हवाई जहाज को बम से उड़ाने की यह पहली घटना थी। 

इस हमले को 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में छिपे अलग खालिस्तान की मांग कर रहे सिख आतंकियों को मारने के लिए केंद्र सरकार की ओर से 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' के तहत की गई कार्रवाई का बदला माना गया। 

बता दें कि 6 जून 1984 को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में ऑपरेशन ब्लू स्टार किया गया। भारतीय सेना का यह मिशन स्वर्ण मंदिर को जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों के चंगुल से छुड़ाना था। इस ऑपरेशन में 83 सैन्य कर्मी और 492 नागरिक मारे गए थे। 

एयर इंडिया के इस विमान का नाम प्राचीन भारत के महान सम्राट कनिष्क के नाम पर रखा गया था। इस हादसे को कनिष्क विमान हादसा के नाम से भी जाना जाता है।

इस हादसे में जहां 329 लोगों ने अपनी जान गवाई। वहीं हादसे से देश की जेनरल इंश्योंरेंश कंपनी नेशनल इंश्योंरेश के बंद होने की नौबत आ गई थी। इस विमान का बीमा नेशनल इंश्योंरेंश कंपनी ने की थी। गनीमत यह थी कि उसने विदेश की एक कंपनी से रि-बीमा करा रखा था। 

फिलहाल गुजरते वक्त के साथ इस हादसे को साढ़े 3 दशक गुजर गए हैं, लेकिन इसे साजिशकर्ताओं की कोई जानकारी नहीं मिल  सकी। कहा जाता है कि जहाज में 'एम सिंह' के नाम के यात्री को विमान में चढ़ना था, लेकिन वो नहीं चढ़ा। बस उसका सूटकेस जहाज तक पहुंचा दिया गया था. उस संदिग्ध 'एम सिंह' का न आज तक कोई पता चला और न ही उसे पकड़ा जा सका। इस दिन को आज भी मनहूस हवाई सफर के मामले में काले दिन के रूप में गिना जाता है।  

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