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जानिए बहुमुखी प्रतिभा के धनी काराकाट सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार घनश्याम तिवारी को...

जानिए बहुमुखी प्रतिभा के धनी काराकाट सीट से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार घनश्याम तिवारी को...

SASARAM  : घनश्याम तिवारी ! पहली नज़र में निम्न मध्यवर्गीय परिवार का साधारण सा दिखनेवाला बिल्कुल आम व्यक्तित्व। पर विलक्षणता ऐसी की साधारणता में असाधारणता का सृजन , आम ऐसा की खास भी पानी पानी हो जाये । दुनिया के चंद प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों में शुमार हार्वर्ड विश्वविद्यालय से स्नातक घनश्याम अगर चाहते तो अभी लाखों करोड़ों के पैकेज पर किसी बड़ी कंपनी में वातानुकूलित जीवन जी रहे होते । पर देश सेवा और पीड़ित मानवता की सेवा का जुनून  उन्हें राजनीति में ले आया । 

नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल यूनाइटेड को जॉइन किया । घनश्याम की सादगी और विद्वता ने एकबारगी नीतीश कुमार समेत पूरी पार्टी का दिल जीत लिया । जदयू में रहते हुए घनश्याम ने नीतीश कुमार के दो बड़े सपनों - हरित बिहार अभियान और बिहार को विशेष राज्य का दर्जा - को साकार करने की जंग में जिस विलक्षणता का प्रदर्शन किया उसकी चारों ओर सराहना हुई । नीतीश कुमार ने उन्हें अपनी पार्टी का प्रवक्ता भी बनाया पर शायद घनश्याम की फ़क़ीर बौद्धिकता पार्टी के रूढ़िवादी और सुविधापरस्त नेताओं को रास नहीं आयी , जिसके चलते घनश्याम ने अपने रास्ते अलग कर लिए । 

सही मायने में इस अनगढ़ हीरे को परखने और तराशने का काम अखिलेश यादव ने किया । अखिलेश ने घनश्याम को समाजवादी पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता भी बनाया और काफी अल्प समय में लोकसभा का उम्मीदवार भी बना दिया । सपा का राष्ट्रीय प्रवक्ता रहते घनश्याम ने अपने ज्ञान की गहराई , तर्कों की तीक्ष्णता और व्यक्तित्व की संजीदगी से पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींच लिया । क्या हिंदी क्या इंग्लिश , घनश्याम की अद्भुत भाषायी पकड़ और वाकपटुता ने उन्हें राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय मीडिया का चहेता बना दिया । 

अब जबकि घनश्याम काराकाट के उम्मीदवार हैं , यह न केवल काराकाट बल्कि पूरे बिहार के लिए गर्व का विषय है । बार - बार आजमाए नेताओं की जमात में घनश्याम की मौजूदगी हवा के ताजे झोंके जैसा है । इसलिए कि इस देश का प्रत्येक मतदाता परंपरागत नेताओं से, जात पात और संप्रदाय की राजनीति से ऊब चुका है । वह एक ऐसे नेतृत्व के लिए व्याकुल है जो सही मायनों में उसके सपनों को साकार कर सके । जो बात विचार से , रहन सहन से बिल्कुल अपने बीच का लगे , जिस तक पहुंचने के लिए न कोई पाती न कोई पैरवी । एक बार याद किया , नेता हाज़िर । ऐसा नेता जो सदन में चुनकर जाये तो चुननेवालों का सीना गर्व से चौड़ा हो जाये और छाती ठोक के बोले -देखो , घनश्याम मेरा नेता है !

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